लैंगिक भेदभाव: यूपी-गुजरात के स्कूलों से नौकरी गंवा चुकी ट्रांस शिक्षिका सुप्रीम कोर्ट से मांगेगी अधिकार

जेन बताती हैं किउनकी एक ट्रांस महिला मित्र मेधावी और उच्च डिग्री होने के बावजूद नौकरी नही हासिल कर सकी और जीवन यापन करने के लिए मजबूरी में सेक्स वर्कर बनना पड़ा
जेन कौशिक
जेन कौशिक

नई दिल्ली- समाज द्वारा थर्ड जेंडर के साथ किये जाने वाले लैंगिक भेदभाव के एक चिंताजनक मामले में, एक योग्य ट्रांसजेंडर शिक्षिका को गुजरात के एक स्कूल ने नियुक्ति देने के बाद नौकरी देने से इनकार कर दिया। शिक्षिका ने स्कूल को उसे नौकरी पर रखने की मांग करते हुए लीगल नोटिस भेजा जिस पर स्कूल द्वारा कोई जवाब नहीं दिए जाने से व्यथित होकर शिक्षिका सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी में है। 

गौरतलब है कि ट्रांसजेंडर (अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम, 2019 का उल्लंघन करने पर गुजरात के जामनगर में पी. वी. मोदी स्कूल को पीड़िता जेन कौशिक द्वारा उक्त नोटिस भिजवाया गया है। 

ट्रांसजेंडर अधिकारों के लिए संघर्षरत सामाजिक कार्यकर्ता और शिक्षिका जेन कौशिक को 24 जुलाई 2023 को उक्त स्कूल से ईमेल के माध्यम से  प्रस्ताव पत्र प्राप्त हुआ था, जिसमें उन्हें अंग्रेजी और सामाजिक अध्ययन विषय के शिक्षक के रूप में नियुक्त किया गया था। अवसर से उत्साहित होकर, जेन ने तुरंत प्रस्ताव स्वीकार कर लिया। 

द मूकनायक ने जेन कौशिक से बात की और उनकी पीड़ा को जानने का प्रयास किया।  जेन को इससे पहले उत्तरप्रदेश के लखीमपुर खीरी के एक स्कूल द्वारा भी ट्रांसमहिला होने के कारण नौकरी से निकाल दिया था।  

इंटरव्यू के बाद हुआ था सेलेक्शन

जेन बताती है कि "गुजरात जामनगर से 24 जुलाई 2023 को स्कूल से ईमेल के माध्यम से मुझे प्रस्ताव पत्र मिला। मुझे अंग्रेजी और सामाजिक अध्ययन शिक्षक के रूप में नियुक्त किया गया था। मैं बहुत खुश थी, क्योंकि मेरी आर्थिक स्थिति बहुत खराब चल रही है। इतने समय से मेरे पास नौकरी नहीं है। जैसे तैसे गुजर बसर कर रही थी। मैंने तुरंत यह प्रस्ताव स्वीकार कर लिया। इसके बाद स्कूल प्रशासन और मेरे बीच में बात होने लगी।

आगे जेन बताती है कि उन्होंने मेरा इंटरव्यू लिया जो मैंने बहुत अच्छे से पास किया। स्कूल प्रशासन ने भी इंटरव्यू बहुत अच्छा बताया। 28 जुलाई को मेरी जॉइनिंग थी। मुझे गुजरात जामनगर के लिए निकलना था। यह नौकरी मिलने से मैं ही नहीं, मेरा परिवार भी बहुत खुश था। क्योंकि पहली नौकरी छूटने पर मेरा परिवार बहुत दुखी था। मेरे परिवार ने मुझे सामाजिक तौर पर तो अपना लिया है। परंतु अभी भी बहुत सी परेशानियां है। वो लोग सोचते हैं, कि एक अच्छी नौकरी मिल जाएगी तो सब ठीक हो जाएगा।

दोस्त का घर है सहारा

जेन कहती है कि " आर्थिक तंगी इतनी ज्यादा है कि मुझे अपने दोस्त के पास रहना पड़ रहा है जब मुझे प्रस्ताव आया तो मेरी दोस्त भी बहुत खुश हुई। मेरी दोस्त ट्रांसजेंडर है।"  अपनी एक और दोस्त के बारे में जेन बताती हैं जो बहुत पढ़ी लिखी है। " बहुत अच्छे मार्क्स से उन्होंने अपनी पढ़ाई पूरी की है। आपको जानकर हैरानी होगी, कि उनको कहीं भी नौकरी नहीं मिली। घर वालों ने भी साथ छोड़ दिया। अपनी पढ़ाई पूरी करने के लिए और अपने रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करने के लिए उन्हे सेक्सवर्कर बन बनना पड़ा। क्योंकि अंत में अपनी जीविका चलाने के लिए यही रास्ता होता है। मेरी दोस्त खुश थी, कि जेन तुम तो कुछ कर पाओगी। हमारी कम्युनिटी में कोई भी अच्छी नौकरी या अच्छी जगह पर काम नहीं कर पाया है। अगर कोई आगे बढ़ता है तो उनको देखकर हम लोग खुश होते हैं। कि शायद हम लोग भी आगे कुछ कर पाए। एक उम्मीद जाग जाती है।"

होरिजोंटल रिजर्वेशन की मांग को लेकर पिटिशन दिखाती हुई जेन
होरिजोंटल रिजर्वेशन की मांग को लेकर पिटिशन दिखाती हुई जेन file pic

जामनगर पहुंचने से पहले ही आया फोन

जेन बताती है कि 28 जुलाई को उसे जामनगर पहुंचना था। " मैं 27 की ट्रेन की टिकट ली। मेरे पास पैसे की थोड़ी परेशानी थी। फिर मैं अपने मीडिया कर्मी दोस्त और कुछ और दोस्तों से मदद मांगी। काफी सारे लोगों ने मेरी मदद की। मेरे पास काफी पैसे हो गए थे। उसी से मैंने टिकट खरीदी। हमारी जिंदगी वैसे ही संघर्ष पूर्ण रहती है। इसके साथ-साथ हमें पैसों की भी परेशानी रहती है। मैं 28 की सुबह जामनगर पहुंचने वाली थी। मैंने 27 को स्कूल प्रशासन को मैसेज कर दिया कि मैं सुबह तक पहुंच जाऊंगी। तो आप मेरे रहने का इंतजाम कर दीजिएगा। उन्होंने कहा कि आपके लिए हम होटल बुक कर देते हैं। बाद में आपके लिए पीजी देख लेंगे। आप हमें अपना आधार कार्ड की फोटो भेज दीजिए। मैंने उनको अपने आधार कार्ड की फोटो भेज दी, होटल बुकिंग के लिए। आधार कार्ड के अंदर ट्रांसजेंडर लिखा था। मैंने जैसे ही उनको आधार कार्ड भेजा, तुरंत उनकी एचआर का फोन आया और वह कहती है कि "जैन तुम ट्रांसजेंडर हो तुमने पहले क्यों नहीं बताया। इतनी बार आपसे बात हुई आपने एक बार भी नहीं बताया कि आप ट्रांसजेंडर है। मैंने उनसे कहा कि आप को शिक्षक चाहिए था। क्या फर्क पड़ता है, कि वह आदमी है,औरत है, या ट्रांसजेंडर है। उसके बाद एक और एचआर का फोन आता है, वह कहते हैं कि "हमें अचानक से इस बात का पता चला, कि आप ट्रांसजेंडर है तो थोड़ा सा अजीब लगा। आप आ जाइए। आपके आने पर बात करते हैं"।

प्रिंसिपल के साथ मीटिंग

जेन आगे बताती है कि "मैं वहां पहुंची पहले से ही होटल बुक किया हुआ था। होटल में थोड़ी देर रुकने के बाद, उनका फोन आता है, कि शाम को प्रिंसिपल के साथ आपकी मीटिंग रख दी गई है। शाम को मैं मीटिंग के लिए पहुंची। वहां प्रिंसिपल थे ,और एचआर थे। उन्होंने कहा कि "सारे स्टाफ को पता लग गया है कि आप ट्रांसजेंडर है। और आपने भी हमें नहीं बताया कि आप ट्रांसजेंडर है। आगे से हम अगर किसी भी शिक्षक को प्रस्ताव देंगे। तो हम पहले उनसे उनकी जेंडर की बात पूछेंगे"। आगे वह कहते हैं कि "जेन आपको पता है अभी जो सेम-सेक्स मैरिज का चल रहा था। यहां पर कुछ लोग इकट्ठा होकर डीएम ऑफिस चले गए थे। क्योंकि वह लोग सेम-सेक्स मैरिज के खिलाफ थे। तो क्या आपको लगता है कि यहां के लोग आपको स्वीकार करेंगे। कभी ना कभी बच्चों को भी पता लगेगा कि आप ट्रांसजेंडर है। तो बच्चे इस बात का मजाक बनाएंगे। और बाकी बच्चे उनको देखकर बिगड़ जाएंगे"। 

जेन कहती हैं "यह वह लोग हैं जो शिक्षा देते हैं। मैंने कहा कि आप मुझे एक महीना रख लीजिए, अगर कोई दिक्कत होती है तो आप मुझे निकाल देना। उन्होंने मुझे कहा कि " महीने की छोड़ दीजिए। पहले दिन से ही दिक्कत होने लग जाएगी"। मतलब वह लोग घुमा फिरा कर सब कुछ मेरे ऊपर रखना चाहते थे। उनको किसी भी तरह से मुझे नौकरी पर नहीं रखना था। वह सिर्फ बहाने बना रहे थे"।

स्कूल को भिजवाया नोटिस

जेन आगे कहती है कि "वहां से आने के बाद मैं स्कूल को लीगल नोटिस भिजवाया। अब तक दो नोटिस भिजवा चुकी हूं। दो नोटिस पहुंचने के बाद भी स्कूल वालों का कोई फोन या कोई जवाब तक नहीं आया। दो-तीन हफ्ते होने वाले हैं पर स्कूल की तरफ से कोई जवाब नहीं आ रहा है। इस हफ्ते हम सुप्रीम कोर्ट जाएंगे। उत्तर प्रदेश सरकार, भारत सरकार, गुजरात सरकार और वह दोनों स्कूलों को लेकर हम सुप्रीम कोर्ट जा रहे हैं। ताकि हमें न्याय मिल सके। क्योंकि सरकार हमारे बारे में सोच ही नहीं रही है। उसने हमें तीसरे जेंडर का अधिकार तो दे दिया है। लेकिन वह अधिकार हमें अभी तक मिले नहीं है"।

ट्रांसजेंडर के लिए कोई हेल्पलाइन नहीं

जेन कहती है कि "जैसे सभी vulnerable समूह की उनकी मदद के लिए एक हेल्पलाइन होती है। हमारे लिए वह हेल्पलाइन भी नहीं है। जो मेरे साथ हुआ, मैं उसकी शिकायत कहां पर करूं। हमारे साथ कुछ भी गलत हो, तो हम कहां जाएं? हमारे लिए कम से कम एक हेल्पलाइन तो होनी चाहिए। जिससे कि हम एक ऐसी जगह जा सके, जहां पर वह प्रशासन हमारी दिक्कतों, परेशानियों के बारे में सुन सके।

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