कर्नाटकः शशि सी बनी राज्य की पहली ट्रांसजेंडर वकील

शशि ने अपनी प्राथमिक और माध्यमिक पढ़ाई जयनगर, कृष्णमूर्ति पुरम और लक्ष्मीपुरम के सरकारी संस्थानों से की है.
शशि सी.
शशि सी. Internet

मैसूरः पूरा विश्व प्राइड महीना माना रहा है, इसी में कर्नाटक ने अपने पहले ट्रांसजेंडर वकील का स्वागत करके एक शानदार उदाहरण स्थापित किया है। 30 वर्षीय शशि सी, जिन्हे पहले शशि कुमार के नाम से जाना जाता था, अब वह आधिकारिक तौर पर कर्नाटक राज्य बार काउंसिल में वकील नामांकित हो गईं हैं.

बता दें की शशि ने अपनी प्राथमिक और माध्यमिक पढ़ाई जयनगर, कृष्णमूर्ति पुरम और लक्ष्मीपुरम के सरकारी संस्थानों से की है. उन्होंने 2021 में सफलतापूर्वक विध्यवर्धका लॉ कॉलेज से लॉ की पढ़ाई पूरी की. पढ़ाई के दौरन वह अन्य वरिष्ठ वकीलों के साथ जुड़ी हुई थीं, जिससे उन्हें काफी मदद मिली.

अपने जीवन में शशि को कई सामाजिक भेदभाव का सामना करना पड़ा इसलिए वह मानती है की पढ़ाई ही सफलता की पूंजी है. वह अपने समाज के लिए एक प्रेरणा का स्त्रोत बन गई है.

जज चयन प्रक्रिया में ट्रांस समुदाय के लिए आरक्षण नीतियों में प्रगति के बाद, शशि खुद जज बनने की इच्छा रखती हैं। उनकी इच्छा है की वह ट्रांस समुदाय के प्रति हो रहे समाज में भेदभाव को हटा सकें और एक ऐसा समाज बनाए जो ट्रांस समुदाय को स्वीकार करे.

यह हैं कुछ भारतीय ट्रांसजेंडर जो अपने क्षेत्र में प्रथम थे

ट्रांसजेंडर लोग को समाज में कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है. उनपर समाज कई तरीके से आरोप लगाता है और स्वीकार नहीं करता. ऐसे में इन बंधनों को तोड़ते हुए अपने क्षेत्र में बड़ी उपलब्धि हासिल करने वाले कई लोग उस क्षेत्र के पहले ट्रांसजेंडर बने.

  • साथ्यारी शर्मिला, भारत की पहली ट्रांसजेंडर लॉयर थी जिन्होंने तमिल नाडु और पुडुचेरी हाईकोर्ट में रजिस्ट्रेशन करवाया था. उन्होंने अपने साथ हुए अन्याय और रूढि़वादी मानसिकता को तोड़ने के लिए लॉ की पढ़ाई की और बाकियों के लिए एक प्रेरणा बन गई.

  • जोयिता मंडल, भारत की पहली ट्रांसजेंडर जज है. अक्टूबर 2017 को 29 साल की उम्र में वह उत्तर बंगाल की लोक अदालत में जज के रूप में नियुक्त हुईं थीं.

  • पृथिका यशीनी, भारत की पहली ट्रांसजेंडर पुलिस ऑफिसर हैं. 6 साल की लंबी लड़ाई के बाद उन्हें तमिलनाडु यूनिफॉर्मेड सर्विस रिक्रूटमेंट बोर्ड से सब इंस्पेक्टर के पोस्ट में नियुक्त किया गया.पृथिका का सपना ट्रांसजेंडर समुदाय के लिए कुछ करने और उन्हें समाज में मान सम्मान दिलाने का है। वो हर माता-पिता को सलाह देती हैं कि अगर आपका बच्चा दूसरे बच्चों से अलग है तो उसे इसी रूप में स्वीकार करें.

  • मनाबी बंदोपाध्याय, 7 जून 2015 को कृष्णानगर महिला कॉलेज की पहली ट्रांसजेंडर कॉलेज प्रिंसिपल बनीं। वर्तमान में, वह प्रोफेसर हैं और भारत की पहली ट्रांसजेंडर व्यक्ति भी बनीं जिन्होंने डॉक्टर ऑफ फिलॉसफी (पीएचडी) पूरी की है. इससे पहले, विवेकानंद सातोबार्शिकी महाविद्यालय में बंगाली में एसोसिएट प्रोफेसर के रूप में पढ़ाया था.

  • मुमताज, सामाजिक कार्यकर्ता मुमताज पहली ट्रांसजेंडर हैं जो पंजाब में बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) से चुनाव लड़ने उतरीं थी। मुमताज ने भुच्चो मंडी सीट से चुनाव लड़ा था. वह 11 साल से अधिक समय से बीएसपी के साथ काम कर रही हैं.

  • शबनम मौसी, भारत की पहली ट्रांस विधायक है. उन्होंने जीवन में कठिन रास्ता अपनाया. उन्होंने मध्य प्रदेश के शहडोल जिले के सोहागपुर निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ा. चूँकि उसे अपने परिवार का समर्थन नहीं मिला, इसलिए वह स्कूल नहीं जा सकी, फिर भी उसने लगभग 12 अलग-अलग भाषाएं सीखीं.

  • भारत की पहली ट्रांसजेंडर सैनिक शबी, लगभग आठ साल पहले पूर्वी नौसेना कमान के समुद्री इंजीनियरिंग विभाग में शामिल हुईं.

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