यूपी: लापता दलित किशोरी को खोजने में आड़े आई जाति, जानिए फिर दारोगा ने क्या किया?

दारोगा ने सुसाइड नोट की आख्रिरी चार लाइन में बताई भेदभाव की कहानी, चार महीने से किशोरी को अकेले ही तलाश रहा था.
सांकेतिक तस्वीर
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सीतापुर। यूपी के सीतापुर जिले में लापता दलित किशोरी की तलाश करने के लिए एक दारोगा चार महीने अकेले भटकता रहा। आरोप है कि इस दौरान दारोगा की थानेदार सहित किसी भी अधिकारी ने मदद नहीं की। जिसके बाद दारोगा ने एक सुसाइड नोट लिखकर आत्महत्या कर ली। मौत से पहले लिखे सुसाइड नोट में दारोगा ने थानेदार पर गंभीर आरोप भी लगाए हैं।

पूरा मामला सीतापुर जिले के मछरेहटा थाना क्षेत्र का है। दारोगा मनोज कुमार (54) मूल रूप से फतेहपुर जनपद के जलाला गांव के रहने वाले थे। उनका परिवार लखनऊ जनपद के बिजनौर क्षेत्र में रहता है। शुक्रवार सुबह करीब सवा दस बजे मनोज कुमार थाने पहुंचे थे। इसी बीच करीब साढ़े दस बजे उन्होंने सर्विस रिवाल्वर को बाएं सीने से सटाकर गोली मार ली। उनकी मौके पर ही मौत हो गई।

थानेदार को चढ़ावा न दे तो बेकार...

दारोगा ने अपने सुसाइड नोट में लिखा- 'श्रीमान जी आप सभी जनमानस को हम जानकारी देते है कि जो भी कर्मी निष्ठा लग्न से जितना भी काम/ड्यूटी करे। अगर वह अपने अधिकारियों को हर महीने चढ़ावा न करें तो सब बेकार। ऑफिस के लोगों को भी समझना पड़ता है। थाना मछरेहटा के एसएचओ राजबहादुर सिंह जब से आये हैं तब से सभी कर्मचारी परेशान हैं। यह सभी विवेचनाओं में पैसों की मांग करते हैं। CD (केस डायरी) सामने प्रस्तुत करने पर ही हस्ताक्षर करते हैं, अन्य के दफ्त में रखी रहती है। थाने के कारखास अबू हादी खान, रंजीत यादव शाने आलम, सुनील और अन्य लोग थाने पर मामले से संबंधित व्यक्तियों से रुपए लेकर थानेदार को देते हैं।'

दारोगा ने सुसाइड नोट में लिखा है-"बिना अपराध के व्यक्ति/महिलाओं को अवैध शराब व् शस्त्र अधिनियम और एनडीपीसी में बंद करवाते हैं। अगर न बंद करवाओ तो अभद्र टिप्पणी करते हैं। हमको नौकरी से हटवाने की मंशा बनाये हैं। ईमानदार व्यक्ति की पुलिस में कोई इज्जत नहीं है। जिस ऑफिस में जाओ अगर खर्च न करो तो काम नहीं होंगे। मु०स० 10/24 की विवेचना के दौरान मानवी (बदला हुआ नाम) की बरामदगी और अभियुक्त की गिरफ्तारी में किसी अधिकारी ने सहयोग नहीं किया। अकेले पता लगाते रहे...।"

द मूकनायक ने मामले की पड़ताल की। बीते 4 जनवरी 2024 को मछरेहटा थाना क्षेत्र में रहने वाली अनुसूचित जाति समाज की एक महिला की 16 साल की बेटी स्कूल गई और वापस नहीं लौटी। पूरे मामले को लेकर महिला ने थाने में शिकायत की और बीहट गाँव के रहने वाले एक युवक पर शक जताया। महिला का कहना था कि युवक लम्बे समय से फोन पर उसकी बेटी से बात कर रहा था। युवक ही बेटी को बहला फुसलाकर ले गया होगा।

महिला ने 5 जनवरी को थाने में एफआईआर दर्ज कराई। जांच उप निरीक्षक मनोज कुमार को सौंपी गई थी। पीड़ित महिला द मूकनायक को बताती है-"चार महीना हो गए हैं। मेरी बेटी अभी तक नहीं मिल पाई है। दारोगा जी मेरी बेटी को ढूढ़ने के लिए खूब मेहनत कर रहे थे, लेकिन उन्हें थाने से मदद नहीं मिल रही थी। थाने से उन्हें फ़ोर्स नहीं दी जाती थी। जब वह मेरी बेटी को ढूंढने के लिए बाहर जाने की बात करते तो उन्हें मना कर दिया जाता है। बहुत ही अच्छे इंसान थे। कभी एक पैसे की मांग नहीं की थी।"

एक दलित किशोरी की तलाश करने के लिए दारोगा पूरी निष्ठा से लगा था। रोजाना किशोरी की मां पुलिस से बेटी के बारे में पूछती थी। वहीं दूसरी तरह थानेदार सहित अन्य पुलिसकर्मी इस मामले में दारोगा की मदद नहीं कर रहे थे। दारोगा पिछले चार महीने से इस मामले में अकेले ही भाग दौड़ कर रहा था। यह बात दारोगा ने अपने सुसाइड नोट में लिखी है।

इस पूरे मामले में पुलिस अधीक्षक सीतापुर चक्रेश मिश्रा ने द मूकनायक को बताया-'मामले की जांच के लिए टीम गठित कर दी गई है। थानेदार सहित अन्य पुलिस कर्मियों को लाईन हाजिर की कार्रवाई करने के लिए चुनाव आयोग को पत्राचार किया गया है।"

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यूपी: दरोगा ने लगाया दलित उत्पीड़न का आरोप ! जानिए फिर पुलिस कमिश्नर ने क्या किया?

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