मध्य प्रदेश: एससी आयोग ने लिया संज्ञान, कहा-"महिला-दलित पत्रकारों को दो प्रतिनिधित्व"

अजाक्स की मांग को द मूकनायक ने प्रमुखता से प्रकाशित किया था, जिसके बाद एससी आयोग ने इस मामले में संज्ञान लिया है।
राज्य अनुसूचित जनजाति आयोग
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भोपाल। महिला पत्रकारों सहित एससी/एसटी और ओबीसी वर्ग के पत्रकारों को जनसंपर्क की समितियों में आरक्षण देकर शामिल करने की मांग पर राज्य अनुसूचित जाति आयोग ने स्वतः संज्ञान लिया है। आयोग ने जनसंपर्क विभाग के प्रमुख सचिव को पत्र लिख कर कहा है कि वंचित वर्ग को पत्रकारिता के क्षेत्र में प्रतिनिधित्व दिए जाने के लिए समुचित कार्यवाही कर आयोग को अवगत कराएं। बता दें कि अजाक्स की मांग को द मूकनायक ने प्रमुखता से प्रकाशित किया था, जिसके बाद एससी आयोग ने इस मामले में संज्ञान लिया है। 

बीते माह अजाक्स ने मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव को पत्र लिख कर पत्रकार समितियों में वंचित वर्ग के पत्रकारों को शामिल करने की मांग की थी। अजाक्स ने मुख्यमंत्री को पत्र लिख कर कहा था कि पिछले कई वर्षों से पत्रकार कल्याण के लिए मध्यप्रदेश शासन, जनसंपर्क विभाग द्वारा प्रदेश एवं संभाग स्तरीय समितियों का गठन किया जाता रहा है, लेकिन इन समितियों में अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी) के पत्रकारों की मौजूदगी शून्य रही है। 

इसी प्रकार अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) और महिला पत्रकारों की संख्या भी कम रही है, जिसके परिणामस्वरूप पत्रकारिता के क्षेत्र में वंचित वर्गों का प्रतिनिधित्व नगण्य है। वर्तमान में राज्य एवं संभाग स्तरीय अधिमान्य पत्रकार समिति एवं राज्य पत्रकार कल्याण संचार समिति का गठन नहीं हुआ है। 

अजाक्स ने मुख्यमंत्री से मांग की थी कि पत्रकार समितियों में एससी/एसटी, ओबीसी एवं महिला पत्रकारों को शामिल कर शीघ्र समिति गठन हो। जिससे पत्रकारिता के क्षेत्र में वंचित एवं महिला वर्ग को संविधान एवं शासन की मंशानुरूप समुचित प्रतिनिधित्व मिल सके।

द मूकनायक से बातचीत करते हुए अजाक्स के प्रांतीय महासचिव एसएल सूर्यवंशी ने बताया कि वह पिछले सालों में पत्रकारों की कई समितियों को देखते चले आए हैं, लेकिन इन समितियों आदिवासी, दलित वर्ग के पत्रकार नहीं होते जिसके कारण वंचित वर्ग के लोग पत्रकारिता में नहीं आ रहे।

सूर्यवंशी ने कहा- "संघ ने मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के साथ प्रमुख सचिव, जनसंपर्क को पत्र लिख कर महिलाओं के साथ एसटी/एससी और ओबीसी वर्ग के पत्रकारों को समिति में स्थाई आरक्षण देते हुए शामिल करने की  मांग की थी। अब इस मांग पर अनुसूचित जाति आयोग ने संज्ञान लिया है। हम आयोग का आभार मानते है की वह वंचित वर्ग के अधिकारों की रक्षा के लिए सजग है।" 

जानिए आयोग के पत्र में क्या? 

मध्य प्रदेश राज्य अनुसूचित जाति आयोग के सचिव के हस्ताक्षर से 2 मार्च को प्रमुख सचिव जनसम्पर्क विभाग को भेजे गए पत्र में आयोग ने लिखा- 'आयोग को एस.एल. सूर्यवंशी, प्रांतीय महासचिव अनुसूचित जाति/जनजाति अधिकारी एवं कर्मचारी संघ भोपाल म.प्र. से प्राप्त संदर्भित पत्र का अवलोकन करने का कष्ट करें। जिसमें उल्लेख अनुसार वंचित एवं महिला वर्ग को संविधान एवं शासन की मंशा अनुरूप पत्रकारिता के क्षेत्र में समुचित प्रतिनिधित्व दिये जाने हेतु राज्य एवं संभाग स्तरीय अधिमान्य पत्रकार समिति एवं राज्य पत्रकार कल्याण संचार समिति के गठन का अनुरोध किया है। अतः इस वर्ग को पत्रकारिता के क्षेत्र में प्रतिनिधित्व दिये जाने हेतु कृपया उपरोक्तानुसार समुचित कार्यवाही कर आयोग को भी अवगत कराने का कष्ट करें।' 

पांच साल से गठित नहीं हुई समिति 

जनसंपर्क विभाग द्वारा पत्रकारो को शासन की योजनाओं से जोड़ने के लिए समितियों का गठन किया जाता है। वर्ष 2019 में पत्रकार संचार कल्याण समिति और अधिमान्यता समिति का गठन किया गया था। इन समितियों का कार्यकाल दो वर्ष के लिए होता है। फिलहाल अभी तक दोनों ही समिति का गठन सरकार नहीं कर पाई है। वहीं पत्रकारों को अधिमान्य करने के लिए भी जनसंपर्क विभाग ने संभाग और राज्य स्तरीय समितियों का गठन भी नहीं हो पाया है। 

पत्रकार अधिमान्यता और कल्याण समितियों में सवर्णों का कब्जा रहा है। इसका कारण यह भी है कि अनुसूचित जाति/जनजाति वर्ग के पत्रकार प्रदेश में 1 प्रतिशत भी नहीं है। पिछले समय में जनसंपर्क विभाग ने जितनी भी समितियां गठित की उनमें सवर्ण वर्ग के पत्रकारों को ही शामिल किया गया, यहां तक की महिला और ओबीसी की पत्रकारों की संख्या एक या दो सदस्यों तक ही सीमित रही। 

द मूकनायक प्रतिनिधि से बातचीत में भोपाल के पत्रकार प्रदीप नागर ने कहा- " मध्य प्रदेश में पत्रकारिता के क्षेत्र में अनुसूचित जाति, जनजाति, महिला पत्रकारों की कमी है। निश्चित रूप से सभी वर्गों को मौका मिलना चाहिए। सभी वर्गों के पत्रकारों को जनसंपर्क की समिति में शामिल किया जाना ही चाहिए। सामाजिक न्याय और वंचित वर्ग के प्रतिनिधित्व के लिए यह जरूरी है। अजाक्स की मांग का हम पूर्णतः समर्थन करते हैं। 

राज्य अनुसूचित जनजाति आयोग
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