
भोपाल। दलित आदिवासी महिलाएं और बच्चों पर बढ़े अपराध के बाद अब मध्य प्रदेश दिहाड़ी मजदूरों की आत्महत्या के मामले में देश में तीसरे नंबर पर है। मध्य प्रदेश में एक ही साल में 4657 दिहाड़ी मजदूरों ने आत्महत्या की, जो कि तमिलनाडु (7673) और महाराष्ट्र (5270) के बाद तीसरा स्थान है। एनसीआरबी के 2014 से 2021 तक के आंकड़ों पर गौर करें तो इन 8 सालों में एमपी में 25486 दिहाड़ी मजदूरों ने अपनी जान ली हैं। इस दौरान देशभर के 28 राज्यों और 8 केंद्र शासित प्रदेशों को मिलाकर 2,35,779 दिहाड़ी मजदूरों ने आत्महत्या का आंकड़ा सामने आया है।
एनसीआरबी के नए आकड़ों के मुताबिक, हर साल देश में 19,631 मजदूर सुसाइड करने को मजबूर हैं। महाराष्ट्र में 29516 और तमिलनाडु में 44254 लोगों ने सुसाइड किया। दूसरी ओर केंद्र का दावा है कि देशभर में कामगारों सहित असंगठित क्षेत्र के मजदूरों के लिए सरकार ने सामाजिक सुरक्षा अधिनियम बनाया है। इसके तहत जीवन एवं अपंगता, स्वास्थ्य और प्रसूति लाभ, वृद्धावस्था संरक्षण की योजनाएं हैं।
संबल योजना के माध्यम से जो गरीब, मजदूर परिवार हैं उनके बच्चों को प्रोत्साहन राशि प्रदान की जाती है। यह योजना मध्यप्रदेश के सुपर 500 योजनाओं में से एक है। संबल योजना के अंतर्गत जिस गरीब परिवार का बच्चा 12 वीं कक्षा में सबसे ज्यादा नंबर लाता है, वह प्रोत्साहन के रूप में 30 हजार रुपए प्राप्त करता है।
इस योजना के माध्यम से गरीब असंगठित मजदूरों के किसी दुर्घटना में मृत्यु हो जाने पर 4 लाख रुपए प्रदान किये जाते हैं।
इस योजना के अंतर्गत अगर मजदूर में अपंगता आ जाती है तो उन्हें 2 लाख प्रोत्साहन राशि देने का प्रावधान है। गरीब परिवार में गर्भवती महिला को गर्भवस्था के दौरान बच्चे के जन्म से पहले 4 हजार और जन्म के बाद 12 हजार रुपए प्रदान करने का प्रावधान है। साथ ही माँ को स्वस्थ रखने के लिए अच्छा आहार प्रदान किया जाता है। गरीब परिवार को इस योजना के माध्यम से बिजली बिल में रियायत की सुविधा है।
इधर एनसीआरबी के आंकड़े सामने आने के बाद प्रदेश सरकार के श्रम मंत्री ब्रजेन्द्र प्रताप सिंह का बयान सामने आया है जिसमें उन्होंने कहा कि म.प्र. के दिहाड़ी मजदूर महाराष्ट्र, पंजाब, गुजरात, दिल्ली आदि राज्यों में काम करने जाते हैं। वहां कुछ होने पर सुसाइड करते हैं। राज्य सरकार की कई योजनाएं मजदूरों के लिए चल रही है। संबल योजना में मौत पर तीन से चार लाख का प्रावधान है। पेंशन भी जल्दी लागू की जाएगी।
एनसीआरबी के 2021 के आंकड़ों के मुताबिक, मध्य प्रदेश में सबसे अधिक महिला, बच्चे अपराध के शिकार हुए। चाइल्ड क्राइम में भी एमपी टॉप पर रहा था। आंकड़ों के मुताबिक हर तीन घंटे में एक मासूम के साथ रेप हो रहा है। देश में आदिवासियों पर भी सबसे अधिक क्राइम एमपी में ही दर्ज हुआ था।
रिपोर्ट के अनुसार साल 2021 में बाल यौन शोषण के कुल 33 हजार 36 मामले सामने आए थे। इनमें से अकेले मध्य प्रदेश में ही 3515 मामले थे। इसी तरह महिलाओं से कुल रेप के मामले 6462 दर्ज हुए थे। बाल यौन शोषण के मामले में 2020 में भी एमपी टॉप पर था। तब कुल 5598 मामले रेप के दर्ज हुए थे। इसमें 3259 रेप के मामले छोटी बच्चियों से संबंधित दर्ज हुए थे। रिपोर्ट के मुताबिक 2021 में मध्य प्रदेश में 17,008 बच्चे क्राइम के शिकार हुए थे।
मध्य प्रदेश में आदिवासी और दलितों के खिलाफ अपराध बढ़े हैं। वर्ष 2021 में यहां एससी/एसटी एक्ट के तहत 2627 मामले दर्ज हुए जो 2020 की तुलना में करीब 9.38 फीसदी अधिक है। 2020 में 2401 मामले आए थे। दलितों से अत्याचार के कुल 7214 इस बार दर्ज हुए हैं।
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