मध्य प्रदेश: शिक्षक भर्ती में 'आरक्षण की चोरी' कर रही सरकार, जानिए क्या है पूरा मामला?

आरक्षण नियमों के उल्लंघन पर हाईकोर्ट में याचिका दायर, आरक्षण नियम, 1994 एवं शिक्षक चयन नियम, 2018 के उल्लंघन किए जाने का आरोप।
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट.
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भोपाल। नौकरियों में आरक्षण को लेकर मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में याचिकाएं दायर की गईं हैं। जबलपुर हाईकोर्ट में इन याचिकाओं के जरिए आरक्षित वर्ग के प्रतिभाशाली अभ्यर्थियों को अनारक्षित वर्ग में चयनित न किए जाने की प्रक्रिया को चुनौती दी गई है। याचिका में आरक्षण नियम, 1994 एवं शिक्षक चयन नियम, 2018 के उल्लंघन किए जाने का आरोप है। 

याचिकाकर्ताओं ने उच्च माध्यमिक शिक्षक चयन-प्रक्रिया में आरक्षण नियमों के उल्लंघन का आरोप लगाया है। हाईकोर्ट में बुधवार को प्रशासनिक न्यायाधीश शील नागू व न्यायमूर्ति विनय सराफ की युगलपीठ के समक्ष सुनवाई हुई है। 

दरअसल, मध्य प्रदेश व्यावसायिक परीक्षा मंडल द्वारा 28 अगस्त, 2018 को विस्तृत नियमावली व नियम-पुस्तिका जारी कर शिक्षक पात्रता परीक्षा का आयोजन किया गया था। उच्च माध्यमिक शिक्षक के पद पर नियुक्ति की पात्रता रखने वाले अभ्यर्थियों ने आवेदन प्रस्तुत कर पात्रता परीक्षा उत्तीर्ण की थी। उक्त पात्रता परीक्षा व चयन प्रकिया शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 एवं मध्य प्रदेश शिक्षक चयन नियम 2018 के अनुरूप किया जाना था।

याचिकाकर्ता दमोह निवासी निकिता सहित अन्य की ओर से अधिवक्ता ब्रहमेंद्र पाठक, रीना पाठक, शिवेश अग्निहोत्री, राममिलन साकेत व आतिश कुमार यादव ने पक्ष रखते हुए, दलील दी कि आरक्षित वर्ग के प्रतिभाशाली अभ्यर्थियों को अनारक्षित वर्ग में चयनित न करके उन्हीं के प्रवर्ग में रोका जा रहा है।

शिक्षक पात्रता उत्तीर्ण अभ्यर्थियों की मेरिट अनुसार अंतिम चयन सूची प्रकाशित की गई थी। जिसके बाद स्कूल शिक्षा विभाग व आदिवासी विकास विभाग द्वारा अपनी रिक्तियों के अनुसार मेरिट के क्रम में अभ्यर्थियों का चयन कर उच्च माध्यमिक शिक्षक के पद पर पदस्थापना की जानी थी।

पात्रता परीक्षा की नियमावली व शिक्षक भर्ती नियम 2018 के अनुसार दोनों विभागों द्वारा एकीकृत चयन सूची से ही अभ्यर्थियों का चयन कर नियुक्ति पत्र दिया जाना था। लेकिन दोनों विभागों द्वारा अपनी अलग-अलग सूची बनाई गई, जिसमें अभ्यर्थियों के नाम दोनों सूची में पाए जाने से अन्य योग्य एवं पात्र अभ्यर्थियों का चयन नहीं हो सका। 

स्कूल शिक्षा विभाग ने अपनी पहली चयन सूची पांच अक्टूबर, 2021 में इस आरक्षण नियमों का पालन किया था, लेकिन कुछ समय बाद 25 अक्टूबर, 2021 को आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों को जिनका चयन अनारक्षित प्रवर्ग में मेरिट के आधार पर हुआ था उन्हें वापस उनकी आरक्षित प्रवर्ग की सूची में डाल दिया गया। इससे आरक्षित वर्ग के निचले क्रम के पात्र अभ्यार्थी चयन से वंचित हो गए।

जानिए क्या है आरक्षण नियम? 

पीड़ित अभ्यर्थियों ने संबंधित विभाग को अभ्यावेदन प्रस्तुत कर उक्त विसंगति को दूर कर मेरिट के अनुसार चयन करने का अनुरोध किया, लेकिन विभाग द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की गई। इसी प्रकार एक अन्य विसंगति भी सामने आई, जिसमें आरक्षण नियम, 1994 एवं शिक्षक चयन नियम, 2018 का खुला उल्लंघन किया गया है, आरक्षण नियम के प्रावधान अनुसार आरक्षित प्रवर्ग का अभ्यर्थी यदि सामान्य के निचले चयन वाले अभ्यर्थी से ज्यादा अंक अर्जित करता है तो उसका चयन सामान्य प्रवर्ग में किया जाएगा और आरक्षित प्रवर्ग की मेरिट सूची और नीचे आएगी। जिससे अन्य आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों का नाम मेरिट सूची में शामिल हो जाता है। 

आरक्षण नियमों का उल्लंघन 

द मूकनायक से बातचीत करते हुए मध्य प्रदेश अनुसूचित जाति/जनजाति अधिकारी कर्मचारी संघ (अजाक्स) के प्रांतीय प्रवक्ता विजय शंकर श्रवण ने बताया कि मध्यप्रदेश सामान्य प्रशासन विभाग के आदेशानुसार 100 बिंदु रोस्टर और आरक्षण प्रक्रिया से सम्बंधित प्रदेश के सभी विभागों में की जाने वाली शासकीय एवं आउटसोर्स की भर्तियों में नियमों को संधारित करने के लिए अजाक्स का अधीकृत पदाधिकारी शामिल होता है। जिसके हस्ताक्षर के बाद ही भर्ती प्रक्रिया में आरक्षण नियम को वैध माना जाता है।  

अजाक्स के प्रांतीय प्रवक्ता श्रवण ने कहा- "मध्य प्रदेश के कई विभाग इस प्रक्रिया का पालन नहीं कर रहे हैं। इसीलिए यह स्थितियां निर्मित हो रहीं हैं। यदि आरक्षण रोस्टर और नियम में इस प्रक्रिया को बाईपास किया गया तो पूरी भर्ती प्रक्रिया ही अवैध हो सकती है। हम जल्द ही इस संबंध में मुख्यमंत्री को अवगत कराएंगे।"

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