दिल्ली: कर्मचारियों के वेतन और पेंशन भुगतान में देरी पर एक बार फिर हाई कोर्ट सख्त, जानिए MCD को क्या कहा?

कोर्ट ने कहा कि यह सैलरी उन लोगों की है, जो उस वर्ग से आते हैं, जिनके पास रोजमर्रा की जिंदगी को गुजारने के लिए भी पैसे नहीं होते हैं। अगर उन लोगों को सैलरी नहीं मिलेगी तो कैसे उनका घर चलेगा।
दिल्ली हाई कोर्ट
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नई दिल्ली: कर्मचारियों के वेतन भुगतान और उनके पेंशन में देरी को लेकर चल रहे लेट लतीफी के बाद एक बार फिर दिल्ली हाई कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है. दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि, "यह कर्मचारी आपके हैं। यह आतंकवादियों के कब्जे वाले लोग नहीं हैं। जिनकी फिरौती से आप इनकार कर सकते हैं। इन्हें सैलरी दीजिए, यह आपकी जिम्मेदारी है। आप सैलरी दे, वरना हम आपको भंग कर देंगे। हम पिछले 7 सालों से यह सब देख रहे हैं। लेकिन अब नहीं देख सकते। हम पहले भी आपकी बहुत बार मदद कर चुके हैं। लेकिन अब नहीं."

हाई कोर्ट ने कहा कि, "यह सैलरी उन लोगों की है, जो उस वर्ग से आते हैं, जिनके पास रोजमर्रा की जिंदगी को गुजारने के लिए भी पैसे नहीं होते हैं। अगर उन लोगों को सैलरी नहीं मिलेगी तो कैसे उनका घर चलेगा। सैलरी के साथ-साथ पेंशन भी रुकी हुई है। बुढ़ापे में पेंशन ही काम आती है। लेकिन अब उनके पास न सैलरी है, ना पेंशन आ रही है। इस तरह से यह लोग कैसे अपनी जीविका चलाएंगे."

हाईकोर्ट ने कहा क‍ि, "अगर आपको लगता है क‍ि यह मसला हल नहीं हो सकता है तो हम इसको हल करने के लिए दूसरे तरीके निकालेंगे। कोर्ट ने 10 दिन के भीतर फरवरी महीने की सैलरी का भुगतान करने को कहा है। कोर्ट अब इस मामले की 28 मार्च को अगली सुनवाई करेगा। कोर्ट ने कहा कि आप अतीत में क्यों जा रहे हैं? आप इस समय की बात करिए, आपके कर्मचारी कह रहे हैं कि उनको सैलरी और पेंशन नहीं मिली है। आप क्या सोच रहे हैं, आपको भुगतान करना होगा, 2017 से यह मामले लंबित है, आप उनको उनके पैसे नहीं दे रहे हैं, अगर आप इस समस्या को हल नहीं कर सकते है तो हम MCD को बंद कर देंगे."

इसके पहले 9 फरवरी को भी कोर्ट ने दिल्ली नगर निगम से नाराजगी जताते हुए कहा था कि अगर वेतन का भुगतान नहीं किया जाएगा तो हम एमसीडी को बंद करने का आदेश दे सकते हैं। कोर्ट ने साफ किया था कि वह दिल्ली नगर निगम के संसाधनों की बढ़ोतरी का इंतजार नहीं करेगा। कर्मचारियों को सातवें वेतन आयोग के मुताबिक वेतन देना दिल्ली नगर निगम की वैधानिक जवाबदेही है, अगर दिल्ली नगर निगम इस स्थिति में नहीं है कि वह वेतन का भुगतान कर सके तो उसे इसके नतीजे भुगतने होंगे।

सुनवाई के दौरान दिल्ली नगर निगम की ओर से कहा गया था कि वह बकाये के भुगतान की कोशिश कर रहा है। दिल्ली नगर निगम ने कहा था कि सभी दिल्ली नगर निगम पर वेतन भुगतान का बकाया एक हजार करोड़ रुपये था जो घटकर चार सौ करोड़ रह गया है। निगम के वकील की इस दलील पर गौर करते हुए हाईकोर्ट ने कहा था कि आप निगमायुक्त से कहिए कि कोर्ट कड़ी कार्रवाई करेगा। हम चार साल तक इंतजार नहीं करेंगे। आप चार हफ्ते में फैसला कीजिए।

द मूकनायक ने एमसीडी के अधिकारियों और इस मामले से संबंधित अधिकारियों से बात करने की कोशिश की परंतु उनसे बात नहीं हो पाई।

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