दिल्ली: महिला घरेलू वर्कर्स के साथ दुर्व्यवहार और वेतन न दिए जाने का मामला आया सामने

घरेलू वर्कर्स के साथ दुर्व्यवहार के मामले दिल्ली, मुंबई, बैंगलोर और चेन्नई जैसे महानगरीय शहरों में ज्यादा देखे जाते हैं।
देश में हर दिन दुर्व्यवहार, शोषण और हिंसा का सामना करते हैं घरेलू कामगार।
देश में हर दिन दुर्व्यवहार, शोषण और हिंसा का सामना करते हैं घरेलू कामगार। द मूकनायक.
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नई दिल्ली। भारत में घरेलू कामगारों को कम वेतन दिए जाने, उनसे अधिक काम करवाने और नियोक्ताओं द्वारा उनके साथ दुर्व्यवहार, शोषण और हिंसा के कई मामले और रिपोर्ट हर दिन सामने आते रहते हैं। देश में लाखों घरेलू वर्कर्स इन खराब परिस्थितियों में काम करने को मजबूर हैं। उन्हें सबसे बुनियादी श्रम अधिकारों से भी वंचित कर दिया जाता है। घरेलू वर्कर्स के साथ दुर्व्यवहार के मामले दिल्ली, मुंबई, बैंगलोर और चेन्नई जैसे महानगरीय शहरों में ज्यादा देखे जाते हैं।

ऐसा ही एक मामला दिल्ली के 110 सैनिक फार्म खानपुर, 110062 का है। 51 वर्षीय फ्लोरा टोप्पो ने अपने नियोक्ता द्वारा उनके साथ दुर्व्यवहार, वेतन न देने और वादख़िलाफ़ी का आरोप लगाया है।

द मूकनायक से बात करते हुए फ्लोरा कहती हैं, “मैं यहाँ 25 सालों से काम कर रही हूँ और मेरे परिवार को यहाँ रहने के लिए सर्वेंट क्वार्टर दिया गया है। मुझे यहाँ खाना बनाने के लिए 1998 में 1000 रुपये में रखा गया था।”

आगे वह जोड़ती हैं, “जब मैं यहां काम करने आई थी तब साहब सी.एम. खुराना और मैडम वीना खुरानाही रहते थे और उनके दो बच्चे अजय खुराना और आशीष खुराना विदेश में रहते थे।1998 से 2006 तक खाना बनाने, साफ सफाई, और कपड़े धोने के लिए मैं थी और दो माली थे जो बाहर का काम करते थे।”

“मैडम वीना खुराना को 2001 में कैंसर हो गया। उस दौरान मैंने उनकी बहुत सेवा की। वह मुझे (फ्लोरा टोप्पो) बेटी के तौर पर मानती थी और उन्होंने मेरे परिवार को भी उसी तरह देखा। क्योंकि जब कभी भी वह अपने बच्चों से मिलने इंडिया से बाहर जाते थे या किसी काम से बाहर जाते थे तब वह वहां से मेरे और मेरे परिवार के लिए कपड़े, चॉकलेट, खिलौने, इत्यादि आदि लाते थे। मतलब एक परिवार जैसा ही रिश्ता था मेरा उनके साथ।”

“मैडम वीना खुराना को जब पता चला कि उनका आखिरी वक्त आ गया है तो उन्हें अपनी इच्छा जाहिर कि वो मेरी बेटी की शादी करवाना चाहती हैं। वो मेरी बेटी की शादी का पूरा खर्च उठाना चाहती थी और उन्होंने अपनी इच्छा जाहिर की, कि उनके और उनके पति के गुजर जाने के बाद घर का जो भी समान होगा वह सब तुम्हारा (फ्लोरा टोप्पो) है। घर का जो भी फर्नीचर है वह सब तुम ले लेना और तुम्हें तुम्हारी नौकरी से कोई नहीं निकलेगा। तुम्हारा जब तक मन है यहां काम करना और रहना और अगर काम नहीं भी कर पाओ तब भी मेरे बच्चे तुम को तनखा देंगे और तुम यही रहोगी। तो मैंने बोला अगर मैडम जी मुझे यहां से जाने के लिए बोला जाएगा तो, तो उन्होंने बोला कि मेरे बच्चे तुम्हारे रहने का और आगे गुजर बसर करने का इंतजार करके देंगे, तुम चिंता मत करो। यही बात उन्होने अपने बड़े बेटे अजय खुराना से भी वादा करवाया।”

वह बताती हैं, “2006 में मैडम वीना खुराना का देहांत हो गया और उनके बाद पति सीएम खुराना अपने बच्चों के साथ भारत के बाहर रहने लगे और उनका भी देहांत 2008 में हो गया। 2006 में वीना खुराना के गुजर जाने के बाद इस फार्म हाउस सिर्फ में मैं और मेरा परिवार ही रहते आए हैं और यहां का सारा काम मैं और मेरा परिवार मिल कर करते हैं।”

बात को आगे बढ़ाते हुए फ्लोरा की 28 वर्षीय बेटी सुस्मिता बताती हैं, “इस बीच अजय और आशीष खुराना के एक दोस्त अजय त्रिगुणा 110 सैनिक फ़ार्म में अपनी कार पार्क किया करते थे। शुरू में तो सब ठीक था लेकिन 2015 से उन्होंने हमें परेशान करना शुरू कर दिया। वे हमें जातिसूचक गलियाँ देते थे और कई बार धमकी भी देते थे। वे हमारे खिलाफ अजय और आशीष खुराना को भी भड़काने लगे।”

“इसके बाद 15 नवंबर 2023 से सर्वेंट क्वार्टर का पानी का सप्लाई और 13 दिसंबर 2023 से बिजली का सप्लाई बंद कर दिया गया। वहीं 2 दिसंबर 2023 को हमें घर ख़ाली करने के लिए भी बोला गया। परंतु कोई कारण नहीं दिया गया कि घर क्यों ख़ाली करना है।”

वह कहती हैं, “मेरी माँ को अगस्त, सितंबर, अक्टूबर और नवंबर और दिसंबर की तनखा भी नहीं दिया गया। इसके बाद मैंने नेब सराय थाने में इस सब की शिकायत की। पुलिस कई बार पूछताछ के लिए आई लेकिन हमें अबतक न्याय नहीं मिला।” ममले में पीडि़त महिला के न्योक्ता से सम्पर्क करने की कोशिश की गई, लेकिन उनसे सम्पर्क नहीं हो पाया।

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