भोपाल। मध्य प्रदेश के उज्जैन जिले के नईखेड़ी क्षेत्र में रहने वाली नौ वर्षीय अर्पिता के पैर की हड्डी टूटने के बाद हुए ऑपरेशन में लापरवाही का आरोप लगाते हुए उसके परिजनों ने डॉक्टर के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। पीड़ित परिवार का आरोप है कि डॉक्टर की लापरवाही के कारण बच्ची के पैर में संक्रमण फैल गया, जिससे पैर बुरी तरह से खराब हो गया। परिवार पिछले एक साल से न्याय की गुहार लगा रहा है, लेकिन अब तक उसे कोई राहत नहीं मिली है।
नईखेड़ी निवासी सोनू कुशवाहा की पुत्री अर्पिता (9 वर्ष) 29 जनवरी 2023 को एक दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल हो गई थी, जिसमें उसके पैर की हड्डी टूट गई थी। परिजन उसे इलाज के लिए उज्जैन के चेरिटेबल अस्पताल लेकर गए, जहां हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ. आलोक सोनी ने उसका उपचार किया और पैर पर प्लास्टर चढ़ाया।
परिजनों का कहना है कि प्लास्टर चढ़ाने के कुछ दिनों बाद अर्पिता के पैर में तेज दर्द और सूजन होने लगी, लेकिन डॉक्टर ने इसे गंभीरता से नहीं लिया। धीरे-धीरे पैर में संक्रमण बढ़ने लगा और हालत बिगड़ती गई। जब परिजनों ने अन्य डॉक्टरों से परामर्श लिया, तो पता चला कि संक्रमण हड्डी तक पहुंच चुका है और स्थिति गंभीर हो चुकी है।
अर्पिता के पिता सोनू कुशवाहा ने द मूकनायक से कहा, "डॉक्टर की लापरवाही की वजह से मेरी बेटी का जीवन बर्बाद हो गया। जब संक्रमण बढ़ा, तब भी डॉक्टर ने कोई विशेष इलाज नहीं किया। हमने चेरिटेबल अस्पताल, सीएमएचओ कार्यालय और प्रशासनिक अधिकारियों से कई बार शिकायत की, लेकिन डॉक्टर को हर बार क्लीन चिट मिल गई।"
उन्होंने बताया कि अर्पिता की अब तक दो सर्जरी हो चुकी हैं, जिनमें से हाल ही में भोपाल के एम्स अस्पताल में एक सर्जरी हुई है। डॉक्टरों का कहना है कि अगर कुछ दिनों में पैर की स्थिति में सुधार नहीं हुआ तो उसे काटकर शरीर से अलग करना पड़ेगा।
बच्ची की बिगड़ती हालत और डॉक्टर को बार-बार क्लीन चिट मिलने से नाराज परिजनों ने नवंबर 2024 में उज्जैन के टॉवर चौक पर धरना दिया था। इस प्रदर्शन में स्थानीय लोग भी शामिल हुए और प्रशासन से निष्पक्ष जांच कराने की मांग की। प्रदर्शनकारियों ने मांग की कि डॉक्टर आलोक सोनी के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए, ताकि भविष्य में किसी अन्य मरीज को ऐसी स्थिति का सामना न करना पड़े। धरने के बाद प्रशासन ने इस मामले में डॉक्टर आलोक सोनी के क्लीनिक की जांच शुरू की।
धरने के बाद मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (सीएमएचओ) प्रभारी एसके सिंह की टीम ने डॉक्टर आलोक सोनी के क्लीनिक की जांच की। जांच में सामने आया कि डॉक्टर बिना किसी वैध पंजीकरण के क्लीनिक चला रहे थे। स्वास्थ्य विभाग ने इस पर तत्काल कार्रवाई करते हुए क्लीनिक को सील कर दिया।
भारत में किसी भी चिकित्सा संस्थान को संचालित करने के लिए स्वास्थ्य विभाग से पंजीकरण अनिवार्य होता है। बिना रजिस्ट्रेशन क्लीनिक चलाना गैर-कानूनी है और इसके लिए संबंधित डॉक्टर या संचालक के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा सकती है। अर्पिता के परिजन अब भी न्याय के लिए भटक रहे हैं। वे चाहते हैं कि डॉक्टर के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो और उनकी बेटी का सही इलाज हो सके।
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