राजस्थान: सरकारी कागजों में बढ़ा अस्पतालों का कद, मरीजों को नहीं मिल रही सुविधा!

राजस्थान के ग्रामीण इलाकों में सीएचसी व पीएचसी में संसाधन व चिकित्सकों की कमी
राजस्थान के ग्रामीण इलाकों में सीएचसी व पीएचसी में संसाधन व चिकित्सकों की कमी

राजस्थान के ग्रामीण इलाकों में सीएचसी व पीएचसी में संसाधन व चिकित्सकों की कमी

जयपुर। राजस्थान सरकार गांव व ढाणियों तक बेहतर चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने का दावा कर रही है, लेकिन दूर-दराज के इलाकों में चिकित्सा सेवाओं की रीढ़ सामुदायिक, प्राथमिक व उपप्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों की हालत बदतर है। अस्पतालों में चिकित्सक व संसाधनों की कमी है। इससे रोगियों को खासी परेशानी उठानी पड़ती हैं।

द मूकनायक की टीम ने बुधवार को सरकारी दावों की पड़ताल करने के लिए पूर्वी राजस्थान के सवाईमाधोपुर जिले के मलारना डूंगर उपखण्ड मुख्यालय स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र का निरीक्षण किया तो सरकारी दावों की पोल खुल गई। उल्लेखनीय है कि अल्पसंख्यकों की अच्छी आबादी वाले इस इलाकें से विधायक दानिश अबरार मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के सलाहकार भी हैं।

छह पद स्वीकृत, महज एक चिकित्सक कार्यरत

राज्य सरकार ने 4 करोड़ रुपए की लागत से दो वर्ष पूर्व अस्पताल का नया भवन बनाया था। तब विशेषज्ञ चिकित्सकों की नियुक्ति के साथ बेहतर चिकित्सा सुविधाएं मिलने की उम्मीद जगी थी, लेकिन स्थानीय लोगों की उम्मीदों के हिसाब से कुछ नहीं हुआ। सीएचसी में 6 चिकित्सकों के पद स्वीकृत हैं, लेकिन वर्तमान में केवल एक ही चिकित्सक नियुक्त है। कार्यव्यवस्था के तहत एक अस्थाई चिकित्सक लगाया गया है, लेकिन स्थानीय लोगों ने बताया कि ओपीडी के बाद वह भी नही रुकते हैं। ऐसे में आपातकालीन स्थिति में रोगियों को देखने के लिए कोई चिकित्सक नहीं मिलता।

दो का तबादला हुआ, लेकिन नहीं आए

राजस्थान सरकार ने गत दिनों एक आदेश जारी कर मलारना डूंगर सीएचसी केंद्र के लिए दो चिकित्सकों का तबादला किया था, लेकिन सरकारी आदेश के बावजूद एक सप्ताह बाद भी यह चिकित्सक मलारना डूंगर के सरकारी अस्पताल में ज्वाइन नहीं किया। ऐसे में एक चिकित्सक 24 घण्टे मरीजों को देखने के साथ ही अस्पताल प्रबंधन का काम भी देख रहा है।

एक एक्स-रे मशीन, लेकिन रेडियोग्राफर नहीं

मलारना डूंगर उपखण्ड मुख्यालय सहित मलारन चौड़, खिरनी, भाड़ौती, शेषा, मकसूदनपुरा व मलारना स्टेशन में 7 छोटे बड़े सरकारी अस्पताल है। खास बात यह है कि इसमें से केवल मलारना डूंगर उपखण्ड मुख्यालय के सरकारी अस्पताल में एक्स-रे मशीन लगी है, लेकिन मशीन चलाने के लिए रेडियोग्राफर नहीं है। युवक कांग्रेस के प्रदेश सचिव अकरम बुनियाद बताते हैं कि इस संबंध में हम खुद कई बार सरकार को ज्ञापन दे चुके हैं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं होती है। अमूमन यही हाल जिले के खण्डार, बौंली व बामनवास स्थित सीएचसी व पीएचसी के हैं।

यह बोले चिकित्सा अधिकारी

चिकित्सा अधिकारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि, "ट्रांसफर होकर आए चिकित्सकों में से अभी तक किसी ने ज्वाइन नहीं किया है। उच्च अधिकारियों को कई बार चिट्ठी लिख चुका हूं। अकेला चिकित्सक हूं। एक संविदा पर कार्यरत चिकित्सक को कार्यव्यवस्था के तहत लगाया गया है, लेकिन वह भी ओपीडी के बाद नहीं रुकते। इमरजेंसी में मुझे अकेले ही मरीजों को देखना पड़ता है।"

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