मध्य प्रदेश: मैहर में फैली अज्ञात बीमारी को 'छोटी माता' समझकर नहीं कराया इलाज, दो बच्चों की मौत के बाद चेता चिकित्सा महकमा

बीमारी से अबतक 32 बच्चे संक्रमित, कलक्टर ने 8 गांवों के निजी व सरकारी स्कूलों सहित आंगनवाडियों में अवकाश किया घोषित।
मध्य प्रदेश: मैहर में फैली अज्ञात बीमारी को 'छोटी माता' समझकर नहीं कराया इलाज, दो बच्चों की मौत के बाद चेता चिकित्सा महकमा

भोपाल। मध्य प्रदेश के मैहर जिले के गांवों में अज्ञात बीमारी के प्रकोप से अब तक दो बच्चों की मौत हो गई है। 7 बच्चे सिविल अस्पताल में भर्ती हैं। वहीं जांच में 32 बच्चों में इस बीमारी के लक्षण मिले हैं। इस बीमारी का संक्रमण इतनी तेजी से फैल रहा है कि कलेक्टर ने 8 गांवों के निजी और सरकारी स्कूलों सहित आंगनवाडि़यों में 21 फरवरी तक अवकाश घोषित कर दिया है। यहां बच्चों के सैम्पल एम्स भेजे गए है, जिसकी रिपोर्ट इसी सप्ताह में आएगी।

इधर, प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि चिकन पॉक्स के लक्षण जैसी बीमारी को स्थानीय लोगों ने छोटी माता समझकर बच्चों को घर पर ही घरेलू उपचार किया है। चिकित्सा महकमा अब क्षेत्र में बीमारी की रोकथाम के साथ जागरूकता कार्यक्रम भी चला रहा है।

दरअसल, जिले के बुढागर, सेमरा, खेरवासानी, मोहनिया, डूडी, यदुवीरनगर, मतवारा और घुनवारा में ये बीमारी फैल रही है। बुढागर में 12 और 14 फरवरी को 7 और 8 साल के दो बच्चों ने दम तोड़ दिया था। एक बच्चे को बुखार के साथ झटके आ रहे थे। दूसरे को बुखार और पूरे शरीर पर लाल दाने आ गए थे।

15 फरवरी को माध्यमिक शाला बुढागर के प्रिंसिपल ने घुनवारा के संकुल प्राचार्य को पत्र लिखकर तीसरी क्लास में पढ़ने वाले छात्र की मौत की जानकारी दी थी। इसी दिन सेमरा की माध्यमिक शाला के हेडमास्टर ने भी संकुल प्राचार्य को अधिकांश बच्चों में स्मॉल पॉक्स जैसे लक्षण होने की जानकारी दी थी। इसके बाद स्वास्थ्य विभाग को इसकी जानकारी दी गई। स्मॉल पॉक्स के लक्षण की तरह दिखने वाली बीमारी गांव में तेजी से फैल रही है।

कलेक्टर रानी बाटड़ ने स्वास्थ्य विभाग की टीम को अलर्ट रहने के लिए कहा है। कलेक्टर खुद लगातार प्रभावित गांवों का दौरा कर रही हैं। आशंका जताई जा रही है कि बच्चों में स्मॉल पॉक्स फैल रहा है। गांवों में लोग इसे छोटी माता का प्रकोप मान रहे हैं। इसी कारण लोग अब तक इलाज से बचते रहे और घरेलू नुस्खे अपनाकर बच्चों के ठीक होने का इंतजार करते रहे।

द मूकनायक से बातचीत करते हुए सतना सीएमएचओ डॉ. एलके तिवारी ने बताया कि यह स्मॉल पॉक्स नहीं है, प्रारम्भिक जांच में यह कहा जा सकता है। यह वायरल इंफेक्शन हो सकता है। हमने सभी बच्चों के सैंपल एम्स और आईसीएमआर को भेजे हैं, रिपोर्ट आने में 4-5 दिन लग सकते हैं इसके बाद ही यह स्पष्ट कहा जा सकता है, कि मौत और बीमारी की वजह क्या है।

पीड़ितों की हिस्ट्री खंगालने में जुटी मेडिकल टीम

जिन गांव में यह अज्ञात बीमारी फैली है उन सभी में पीड़ित बच्चों की हिस्ट्री की जांच की जा रही है। सबसे पहले बुढागर में सात साल के बच्चे की मौत इस बीमारी से हुई थी। मेडिकल टीम इसी बच्चे की हिस्ट्री की जांच कर रही है। टीम को आशंका है की यह वायरस इसी बच्चे से गांव में फैला होगा। टीम ट्रैवल हिस्ट्री की भी जांच कर रही है।

14 साल तक के बच्चों पर खतरा

जांच कर रही डॉक्टर्स की टीम के मुताबिक यह संक्रमण 14 साल तक के बच्चों में पाया गया है। इससे यह भी सामने आया है कि कमजोर इम्युनिटी के बच्चे इस संक्रमण की चपेट में आ रहे हैं। जिन दो बच्चों की मौत इस बीमारी से हुई है वह बच्चे 7 और 8 साल के ही थे। बाकी 32 बच्चे 14 साल की उम्र तक के ही हैं।

डॉक्टर्स की टीम कर रही गाँव का दौरा

आईडीएसपी (इंटीग्रेटेड डिसीज सर्विलांस प्रोग्राम) की टीम के साथ एपिडेमियोलॉजिस्ट डॉ. प्रदीप गौतम, मैहर बीएमओ डॉ. ज्ञानेश गौतम, सिविल हॉस्पिटल प्रभारी डॉ. वीके गौतम, शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. सुदीप अवधिया, डॉ. पीयूष पांडेय और (डीपीएम) जिला कार्यक्रम प्रबंधक नृपेश सिंह ने गांवों का दौरा कर बच्चों की मेडिकल जांच शुरू कराई। स्टेट एपिडेमियोलॉजिस्ट डॉ. शैव्या सालम ने भी शनिवार को प्रभावित गांवों का दौरा किया। उन्होंने बताया कि बुढागर, सेमरा और खेरवासानी के बच्चे इंफेक्शन से ज्यादा प्रभावित पाए गए हैं। बच्चों के सैंपल भोपाल एम्स भेजे गए हैं।

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