Madhya Pradesh
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मध्य प्रदेशः स्वास्थ्य सेवाएं हाशिए पर, आखिर क्यों दूसरे राज्यों को पलायन कर रहे चिकित्सक?

प्रदेशभर में चिकित्सा महकमे में स्वीकृत कुल पदों में 53 प्रतिशत पर ही चिकित्सक काम कर रहे हैं। कुल 47 प्रतिशत डाक्टरों की कमी अभी भी प्रदेश में बनी हुई है।
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भोपाल। मध्य प्रदेश में चिकित्सकों की कमी के कारण स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित हो रही हैं। चिकित्सा महकमे में चिकित्सकों के चार हजार से ज्यादा पद खाली हैं, जिसके कारण ग्रामीण अंचलों के शासकीय अस्पताल में खासी समस्याएं सामने आ रही हैं, जिसका खामियाजा मरीजों को उठाना पड़ रहा है।

प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में 8,715 चिकित्सकों की जरूरत है, जबकि करीब आधे यानी 4,592 चिकित्सक ही काम कर रहे हैं। इनमें भी विशेषज्ञ चिकित्सकों की भारी कमी है। मध्य प्रदेश में चिकित्सा विशेषज्ञों के 3,618 पद हैं। इनमें से 66 प्रतिशत यानि 2404 पद खाली हैं।

वहीं चिकित्सा अधिकारियों के 5,097 पदों में से लगभग 1,719 पद खाली हैं। अगर राजधानी भोपाल, जबलपुर, ग्वालियर और इंदौर को छोड़ दें तो अन्य जिला अस्पतालों में हालात काफी खराब हैं। आस-पास के जिलों में हालात यह है कि कहीं हड्डी रोग तो कहीं महिला रोग विशेषज्ञ ही नहीं हैं। इस कारण से इमरजेंसी में मरीजों को संभाग मुख्यालय पर स्थित अस्पतालों को रैफर कर दिया जाता है।

विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी

स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के मुताबिक प्रदेश में एमडी मेडिसिन, स्त्री रोग विशेषज्ञ के साथ एनिस्थिसिया विशेषज्ञों की भारी कमी है। 70 फीसद सरकारी अस्पतालों में एनिस्थिसिया विशेषज्ञ नहीं हैं।

सीटें बढ़ी पर डॉक्टरों की भर्ती नहीं हुई

दो साल पहले ही चिकित्सा शिक्षा विभाग ने मध्य प्रदेश में 13 शासकीय एवं निजी मेडिकल कॉलेजों की यूजी और पीजी की सीटों में इजाफा किया था। इंदौर के एलएन मेडिकल कॉलेज को 150 सीटों के साथ मान्यता दी गई थी। इसके साथ ही भोपाल के पीपुल्स व एलएन मेडिकल कॉलेज के साथ इंदौर के अरविंदो मेडिकल कॉलेज में कुल 150 (सभी में 50-50) एमबीबीएस सीटें बढ़ाई गई थीं। अब प्रदेश में 11 निजी मेडिकल कॉलेज, 13 सरकारी मेडिकल कॉलेजों में यूजी सीटों की संख्या चार हजार से ज्यादा हो गई हैं वहीं करीब 1200 सीटें पीजी की हैं।

डॉक्टरों का हो रहा पलायन

मध्य प्रदेश के डॉक्टर लगातार पलायन कर दूसरे राज्यों में जा रहे हैं। एक अनुमान के मुताबिक लगभग 150 डॉक्टर हरवर्ष प्रदेश से पलायन कर दूसरे राज्यों में जा रहे हैं। द मूकनायक से बातचीत करते हुए जीएमसी भोपाल के पीजी स्टूडेंट डॉ. कुलदीप गुप्ता ने बताया कि वेतनमान कम होने और डॉक्टरों के लिए स्वास्थ्य सुविधाएं की नीतियों के कारण डॉक्टर बॉन्ड ब्रेक कर दूसरे राज्यों में पलायन कर रहे हैं।

डॉ. गुप्ता ने बताया कि प्रदेश में करीब 55 से 60 हजार रुपए वेतन एमबीबीएस और पीजी होल्डर डॉक्टरों को दिया जाता है, जबकि अन्य राज्यों में एक लाख रुपए तक वेतन मिल रहा है। इसके साथ ही स्वास्थ्य सेवाओं की नीतियां भी मध्य प्रदेश से बेहतर हैं। यहीं कारण है कि डॉक्टर्स यहां से पलायन कर रहे हैं।

द मूकनायक से बातचीत करते हुए उप मुख्यमंत्री (स्वास्थ्य विभाग) के ओएसडी धीरज शुक्ला ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग डॉक्टरों के रिक्त पदों पर भर्ती करने के लिए तेजी से काम कर रहा है, यह समस्या जल्द ही दूर हो जाएगी।

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