मध्य प्रदेशः फर्जी बिल व मरीज बनाकर आयुष्मान योजना में लाखों की ठगी

भोपाल की एमपी नगर थाना पुलिस ने सिटी अस्पताल के संचालक पर धोखाधड़ी समेत अन्य धाराओं में मामला दर्ज किया।
मध्य प्रदेशः फर्जी बिल व मरीज बनाकर आयुष्मान योजना में लाखों की ठगी

भोपाल। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में अस्पताल संचालक द्वारा आयुष्मान योजना में फर्जी मरीजों को भर्ती दिखाकर लाखों रुपए की ठगी करने का मामला सामने आया है।

एमपी नगर थाना पुलिस ने सिटी अस्पताल के संचालक पर धोखाधड़ी समेत अन्य धाराओं में मामला दर्ज किया है। जांच में सामने आया कि अस्पताल संचालक ने 24 मरीजों का आयुष्मान योजना के तहत बिल लगाकर दो लाख 40 हजार रुपए की ठगी की है। पुलिस ने राज्य स्वास्थ्य एजेंसी, आयुष्मान निरामय की कार्यपालक अधिकारी दिव्या पटेल की शिकायत पर मामला पंजीबद्ध कर जांच शुरू कर दी है।

जानकारीे के अनुसार 25 जनवरी को राज्य स्वास्थ्य एजेंसी से अनुबंधित विडाल टीपीए (थर्ड पार्टी एडमिनिस्टेटर) दल आयुष्मान योजना के अंतर्गत मिलने वाले लाभ की जांच कराई गई थी। जांच में खुलासा हुआ कि अस्पताल में केवल 18 मरीज भर्ती हैं, जिन्हें आयुष्मान योजना का लाभ दिया जाना था, लेकिन कागजों में 24 मरीजों का भुगतान बिल लगाकर दो लाख चालीस हजार रुपए मध्य प्रदेश शासन से लिए गए। घटना की शिकायत कार्यपालक अधिकारी आयुष्मान निरामय दिव्या पटेल ने भोपाल क्राइम ब्रांच से की थी। पुलिस ने जांच के बाद मामला दर्ज कर लिया है।

एमपीनगर थाना पुलिस के एसआइ कृशांत शर्मा ने बताया कि कार्यपालक अधिकारी आयुष्मान भारत निरामयम के चिकित्सा अधिकारी दिव्या पटेल ने लिखित शिकायत की थी, जिसमें उन्होंने बताया कि 25 जनवरी 2023 को आयुष्मान योजनातर्गत संबंद्ध सिटी अस्पताल भोपाल का राज्य स्वास्थ्य एजेंसी से अनुबंधित विडाल टीपीए (थर्ड पार्टी एडमिनिस्टेटर) के दल ने दौरा किया था। इस दौरान पाया कि अस्पताल द्वारा ट्रांजेक्शन मैनेजमेेंट सिस्टम पर कुटरचित दावा प्रस्तुुत किया गया है। इसमें बताया गया कि 16 जनवरी से 25 जनवरी 2023 के बीच में कुल 24 मरीज आयुष्मान हितग्राही भर्ती दर्शाए गए थे, लेकिन जब निरामय टीम ने दौरा कर निरीक्षण किया तो 24 मरीजों में से केवल 18 मरीज ही भर्ती पाए गए थे। जांच में सामने आया की अस्पताल ने छह मरीजों का इलाज का बिल भी इस योजना से लगाया था। जबकि वह अस्पताल में भर्ती ही नहीं थे। जांच टीम ने अपनी शिकायत में यह भी लिखा है कि अस्पताल ने बिना मरीजों को इलाज के भर्ती किए ही अनाधिकारिक रूप से शासन से वित्तीय लाभ लिए जाने के लिए यह कुटरचित रूप का दावा प्रस्तुत किया। इस पर पुलिस ने जांच के बाद सिटी अस्पताल संचालक पर धोखाधड़ी की धाराओं में एफआइआर दर्ज की है।

आयुष्मान योजना में अस्पताल ऐसे करते है धोखाधड़ी!

मध्य प्रदेश में आयुष्मान योजना के तहत निःशुल्क इलाज स्कीम स्कैम बन चुकी है। पहले भी प्रदेश के विभिन्न जिलों से मरीज का इलाज और भर्ती किए बगैर ही शासन से पैसे ठग लिए गए। दरअसल आयुष्मान योजना को बट्टा लगा रहे अस्पताल प्रबंधन दलाल के माध्यम से बड़ी चालाकी से धोखाधड़ी करते है। अस्पताल के प्रबंधन में पैठ जमाकर बैठे सक्रिय दलाल ऐसे लोगों की तलाश करते है, जिन्हें पैसे की जरूरत हो। खासकर मजदूर वर्ग को ये अपना निशाना बनाते है। दलाल ऐसे लोगों को 5 से 15 हजार तक कि रकम दिलाने का वादा करते है। उसके बदले में एक स्वस्थ्य व्यक्ति को कागजों में मरीज बनाया जाता है। तीन से लेकर सात दिन तक भर्ती दिखाकर फर्जी बिल, फर्जी इलाज और फर्जी ऑपरेशन तक दिखा कर आयुष्मान पोर्टल पर पैसे की मांग का दावा कर दिया जाता है। हालांकि इसके पहले अस्पताल प्रबंधन को मरीज के भर्ती होने की तारीख को ही आयुष्मान योजना के अंतर्गत मरीज की बीमारी और इलाज क्या किया जाना है इसकी पूरा जानकारी पोर्टल के माध्यम से दी जाती है। इस पूरे स्कैम में अस्पताल संचालक से लेकर डॉक्टर और अन्य स्टाफ की मिलीभगत रहती है।

स्वस्थ्य को मरीज बना कर कर देते है भर्ती

आयुष्मान योजना अंतर्गत फर्जी मरीजों को भरोसे में लेकर अस्पताल प्रबंधन होशियारी के साथ पैसे ठगता है। कई बार निरामय जांच दल के निरीक्षण के डर से स्वस्थ्य लोगों को मरीज बना कर बेड पर लिटा दिया जाता है। धोखाधड़ी के लिए यह लोग एक.एक हफ्ते तक सिर्फ अस्पताल के बेड पर सोते है। यहाँ फर्जी मरीज को अस्पताल प्रबंधन इलाज के नाम पर समय-समय पर दवाइयां, इंजेक्शन और अन्य सामग्री के फर्जी बिल तैयार करता है। इसी बीच कोई आयुष्मान जांच अधिकारी निरीक्षण के लिए आता भी है तो उसे मरीज बेड पर आराम करते मिलता है।

सैकड़ों अस्पतालों में हुआ था आयुष्मान घोटाला

मध्य प्रदेश में वर्ष 2022 में आयुष्मान भारत योजना से संबद्ध 120 निजी अस्पतालों ने दो सौ करोड़ रुपयों का घोटाला किए जाने का मामला उजागर हुआ था। इनमें इंदौर, भोपाल, ग्वालियर और जबलपुर सहित प्रदेश के निजी अस्पताल शामिल थे। उस वक्त भी भोपाल और जबलपुर के कुछ अस्पतालों के खिलाफ धोखाधड़ी की एफआइआर दर्ज की गई थी।

दरअसल जानकारी लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग द्वारा तैयार कराई गई थी जो कि एक जांच रिपोर्ट में सामने आई थी। स्वास्थ्य विभाग ने भोपाल के वैष्णव मल्टीस्पेशलिटी अस्पताल के विरुद्ध एफआइआर दर्ज कराई थी। इसके साथ ही आयुष्मान योजना की संबद्धता भी समाप्त कर अस्पताल का पंजीयन निरस्त किया था। स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक आष्युमान योजना के अंतर्गत कुल 620 निजी अस्पतालों को तीन साल (वर्ष 2019 से जुलाई 2022 तक) में 1048 करोड़ 98 लाख 19 हजार 481 रुपयों का भुगतान किया गया था।

अस्पतालों ने ऐसे लगाया सरकार को चूना

स्वास्थ्य विभाग की जांच में पता लगा कि कई अस्पतालों में खुद के कर्मचारियों के नाम पर आयुष्मान कार्ड बनवा दिए गए थे और उन्हें मरीज बनाकर रकम आयुष्मान को इलाज किए जाने का प्रस्ताव भेजा गए थे। इसी तरह किसी मरीज का बिल 80 हजार का बना तो उसे बढ़ाकर दो लाख रुपये की रकम सरकार से वसूल की गई।

जनिए क्या है आयुष्मान भारत योजना ?

देश के गरीब और मध्यमवर्गीय लोगों को चिकित्सीय लाभ के लिए आयुष्मान भारत योजना शुरू की गई थी। जिसका अब नाम बदलकर (आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना) कर दिया है। दरअसल, इस आयुष्मान योजना के अंतर्गत पात्र लोगों के आयुष्मान कार्ड बनाए जाते हैं। फिर कार्डधारक सूचीबद्ध अस्पतालों में अपना 5 लाख रुपये तक का मुफ्त में इलाज करवा सकता है।

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