नासिक से लेकर मुम्बई तक हजारों की संख्या में सड़क पर उतरे किसानों की क्या हैं मांगे!

आंदोलन के दौरान एक किसान की मौत, किसानों का आक्रोश देख सरकार ने 70 फीसदी मांगे मानी।
अपनी मांगों को लेकर पैदल सड़क पर उतरे किसान
अपनी मांगों को लेकर पैदल सड़क पर उतरे किसान

महाराष्ट्र के किसानों ने अचानक मोर्चा खोल दिया। नासिक से लेकर मुम्बई तक हजारों की संख्या में किसान मुम्बई जाने के लिए सड़कों पर पैदल निकल पड़े। 13 मार्च को शुरू हुई इस पैदल मार्च से आला-अफसरों सहित मंत्रिमंडल में खलबली मच गई। इस आंदोलन के दौरान एक किसान की मौत हो गई जिससे किसानों का गुस्सा सातंवे आसमान पर चढ़ गया। किसानों के इस आक्रोश को देखकर सरकार ने किसानों की लगभग 70 फीसदी मांगों को पूरा करने का वादा किया। इसके साथ ही इस मार्च में मरने वाले किसान के परिजनों को 5 लाख रुपये का मुआवजा देने की बात भी सरकार ने कही है। सरकार के इस आश्वासन के बाद किसानों ने 5 दिन की इस पैदल यात्रा पर विराम लगा दिया है।

आंदोलन में एक किसान की मौत के बाद गरमाया मामला
आंदोलन में एक किसान की मौत के बाद गरमाया मामला

जानिए क्या है पूरा मामला?

महाराष्ट्र में किसानों ने नासिक के डिंडोरी शहर से मुंबई के लिए अपनी पदयात्रा 12 मार्च को शुरू की थी। मार्च में 10 हजार से अधिक किसान शामिल हुए थे। इसमें महिलाएं भी थी। नासिक-मुंबई के बीच 175 किलोमीटर लंबे मार्च में शामिल कुछ महिलाओं सहित कम से कम 40 किसान बीमार हो गए थे। इस मार्च में भाग लेने वाले किसानों की मांग थी कि उन्हें प्याज पर एमएसपी चाहिए। इसके अलावा किसानों के लिए बिजली बिल में माफी, वन भूमि अधिकार और बेमौसम बारिश के कारण फसलों के नुकसान के लिए मुआवजा उनकी प्रमुख मांगें थे।

पैदल सड़क पर चलने से घायल हुआ किसान का पैर
पैदल सड़क पर चलने से घायल हुआ किसान का पैर

हालांकि किसानों की सभी मांगों को सरकार ने मान लिया है। किसानों ने महाराष्ट्र सरकार के सामने 14 मांगें रखीं थीं। इस मार्च में किसानों के अलावा, असंगठित क्षेत्र के कई कार्यकर्ता, जैसे आशा कार्यकर्ता और आदिवासी समुदायों के सदस्य मार्च में शामिल होने लगे थे। किसानों की ओर से कुल 17 ऐसी मांगें थी। इनमें सबसे प्रमुख मांगों में प्याज, कपास, सोयाबीन, अरहर, मूंग, दूध और हिरदा का लाभकारी मूल्य दिया जाना, प्याज के लिए 2000 रुपये प्रति क्विंटल कीमत और निर्यात नीतियों में बदलाव के साथ-साथ 600 रुपये प्रति क्विंटल की तत्काल सब्सिडी की मांग शामिल थी।

किसान की मार्च के दौरान हुई मौत, सरकार देगी 5 लाख

नासिक जिले के डिंडोरी तहसील के माहुदी गांव में रहने वाला किसान जाधव इस यात्रा में शामिल था। 17 मार्च की दोपहर अचानक जाधव की तबीयत बिगड़ गई थी। जिसके बाद उन्हें इलाज के लिए एम्बुलेंस से अस्पताल लाया गया। अस्पताल में डॉक्टरों ने उन्हें भर्ती होने की सलाह दी, लेकिन जाधव ने अस्पताल में भर्ती होने से यह कहते हुए मना कर दिया था। वह अस्पताल से घर चले गए, जिसके बाद रात करीब 8:00 बजे जाधव को फिर से तकलीफ शुरू ही हुई और उल्टी भी हुई। जाधव को तबीयत खराब होने के कारण रात में एक बार फिर अस्पताल लाया गया जहां इलाज के दौरान की उसकी मौत हो गई। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने मृतक किसान के परिजनों के लिए 5 लाख रुपए के मुआवजे का ऐलान किया है।

सरकार ने किसानों की अधिकांश मांगे मानी
सरकार ने किसानों की अधिकांश मांगे मानी

सीएम ने किसानों की मांगें स्वीकार की

मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे किसानों की मांगें स्वीकार करते हुए कहा, "सरकार ने किसानों की मांग मान ली हैं और वे अपना आंदोलन खत्म कर दें। आदिवासी किसानों के नाम पर जमीन किए जाने को लेकर सरकार ने एक कमेटी बनाई है जो एक महीने में अपना फैसला देगी। प्याज किसानों को ज्यादा मुआवजा दिया जाएगा। मोर्चा की मांगों को तुरंत पूरा किया जाएगा। अधिकारियों को इस बारे में अवगत करा दिया गया है।"

सीएम ने आगे कहा, वन अधिकार अधिनियम पर दावों से संबंधित मुद्दों को हल करने के लिए मंत्रियों और अधिकारियों की एक कमेटी बनाई जाएगी। सीपीएम के पूर्व विधायक जेपी गावित और वर्तमान सीपीएम विधायक विनोद निकोल इस कमेटी का हिस्सा होंगे। यह कमेटी एक महीने में अपनी रिपोर्ट देगी।

सीएम का कहना था कि जेपी गावित के नेतृत्व में लॉन्ग मार्च निकाला गया, हमने उनसे बात की। 14-15 मुद्दे थे और उनमें से कुछ पर निर्णय लिए गए। फैसलों का क्रियान्वयन भी होगा, इसलिए मैं जेपी गावित और उनके सहयोगियों से अपना आंदोलन वापस लेने का अनुरोध करता हूं।

अपनी मांगों को लेकर पैदल सड़क पर उतरे किसान
घर, परिवार और खेती संभालती महिला किसान के संघर्षों की कहानी

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