उत्तर प्रदेश: जमीन मुआवजे को लेकर 603 दिनों से धरने पर बैठे किसान, औने-पौन दाम पर जमीन अधिग्रहण का आरोप

किसानों का आरोप है कि उनके जमीनों के सरकार द्वारा अधिग्रहण के समय बहुत कम मूल्य दिया गया. जबकि उनके जमीनों का सर्किल रेट भी अधिक है.
धरने पर बैठे किसान
धरने पर बैठे किसानफोटो- मोहम्मद अब्दुल्ला
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उत्तर प्रदेश: अम्बेडकर नगर में किसान पिछले 603 दिनों से धरने पर बैठे हुए है और वहीं पर महापंचायत लगा रखी है। इस धरने में 12 गांव के लोग शामिल है। कड़ाके की इस ठंड में किसान खुले आसमान के नीचे बैठने को मजबूर हैं, जिसमें बच्चे, बुजुर्ग व महिलाएं भी हैं।

क्या है पूरा मामला?

लुंबिनी से लेकर वाराणसी तक NH 233 का निर्माण हुआ जिससे कुछ गांवों के किसानों की ज़मीन भी उसकी जद में आ गई, और सरकार द्वारा किसानों की ज़मीन को ले लिया गया. किसानों को आश्वासन दिया गया कि उन्हें पूरा मुआवजा दिया जाएगा। 43 गांवों का पूरा मामला है जिसमें से 31 गांव को सर्किल रेट पर भुगतान किया गया बाकी के 12 गांवों को औना-पौना मूल्य ही दिया गया। जिसकी वजह से वही शेष बचे 12 गांवों के लोग धरने पर बैठे हुए हैं।

धरने में महिलाएं भी शामिल
धरने में महिलाएं भी शामिल फोटो- मोहम्मद अब्दुल्ला

किसानों ने बताया कि, पड़ोसी जिले आजमगढ़ के खराब से खराब जमीन का 8 से 10 लाख रुपए प्रति बिस्वा दिया गया लेकिन हमारी अच्छी से अच्छी जमीनों का भी सिर्फ 34000 रुपए प्रति बिस्वा दिया गया जबकि हमारी ज़मीन का सर्किल रेट 10 से 12 लाख रुपए प्रति बिस्वा है।

चार लोगों की मौत भी हो गई

The Mooknayak से बात करने पर कुछ किसानों ने बताया कि, "पिछले 603 दिनों से चल रहे इस धरने पर बैठने की वजह से हमारे चार किसान भाइयों की मौत भी हो गई है। फिर भी जिला प्रशासन चुप्पी साधे हुए है।"

'केवल आश्वासन ही दिया जाता है'

किसान यूनियन के जिला उपाध्यक्ष लच्छी राम वर्मा ने बताया कि, "अभी कुछ दिनों पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी से हमारी मुलाकात हुई जिसमें उन्होंने जिला प्रशासन को फटकार लगाई कि किसानों को मुआवजे को लेकर विलंब क्यों हुआ। उसके बाद हमें ये लगा कि अब हमें मुआवजा मिल जाएगा लेकिन मिला तो सिर्फ आश्वासन और जब भी हमारी बात जिला प्रशासन से होती है तो हर बार सिर्फ आश्वासन ही दिया जाता है।"

'जारी रहेगी महापंचायत'

किसान नेता आसिफ सिद्दीकी ने बताया कि, "जिला प्रशासन ने हमें 14 से 15 दिन तक रुकने को और कहा है। हम 14-15 दिन नहीं 140 दिनों तक रुकने को तैयार हैं. लेकिन हमारी शर्त ये है कि ये महा पंचायत चलती रहेगी। हम ऐसे ही कड़ाके की ठंड में खुले आसमान के नीचे बैठे रहेंगे और महापंचायत करते रहेंगे।"

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