MP के खंडवा में तीन दिवसीय आंदोलन शुरू, इंदिरा सागर बांध के विस्थापितों ने एनएचडीसी के खिलाफ खोला मोर्चा

सरकार से पुराने वादों को निभाने और न्याय की मांग, 254 गांवों के प्रतिनिधि आंदोलन में शामिल
खंडवा में इंदिरा सागर बांध के विस्थापितों ने शुरू किया आंदोलन
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भोपाल। इंदिरा सागर बांध के विस्थापितों ने एक बार फिर अपनी आवाज बुलंद करते हुए तीन दिवसीय धरना-प्रदर्शन की शुरुआत कर दी है। बीते सोमवार से खंडवा में स्थित एनएचडीसी (नर्मदा हाइड्रो डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड) कार्यालय के सामने सैकड़ों विस्थापितों ने टेंट लगाकर आंदोलन शुरू किया। इस प्रदर्शन में बांध के कारण डूब क्षेत्र में आए लगभग 254 गांवों के प्रतिनिधि शामिल हैं, जो वर्षों से लंबित न्याय और पुनर्वास की मांग कर रहे हैं।

वर्षों बाद भी न्याय की आस

विस्थापितों का कहना है कि एनएचडीसी और सरकार ने पहले यह तय किया था कि इंदिरा सागर परियोजना के प्रभावितों के मामलों में न्यायालय में उनके विरुद्ध अपील नहीं की जाएगी। इसके बावजूद अब तक कई मामलों में उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय में अपीलें दायर हैं, जिनकी वजह से विस्थापितों को अब तक मुआवज़ा और अन्य लाभ नहीं मिल सके हैं।

प्रदर्शनकारियों की मांग है कि इन सभी अपीलों को बिना शर्त वापस लिया जाए और प्रभावितों को लंबित भुगतान किया जाए। उनका कहना है कि 20 वर्षों से अधिक समय बीत चुका है, लेकिन अभी तक सरकार और एनएचडीसी अपने वादे पूरे नहीं कर पाए हैं।

विस्थापितों की प्रमुख मांगें

- एनएचडीसी कार्यालय को खंडवा में ही यथावत रखा जाए (कंपनी इसे अन्यत्र स्थानांतरित करने की योजना बना रही है)

- उच्च न्यायालय और सुप्रीम कोर्ट में लंबित सभी अपीलें वापस ली जाएं

- इंदिरा सागर परियोजना के विस्थापितों को सरदार सरोवर व ओंकारेश्वर की तरह स्पेशल पैकेज दिया जाए

- नया हरसूद में व्यावसायिक भूखंडों का मालिकाना हक प्रदान किया जाए

- आवासीय भूखंडों का समतलीकरण करके विकसित रूप में सौंपा जाए

- विस्थापित परिवारों के शिक्षित युवाओं को सरकारी नौकरी में प्राथमिकता दी जाए

वादा भूले नेता!

आंदोलन से जुड़े डॉ. डीएल बकोरिया ने बताया कि यह आंदोलन मुआवज़े के लिए नहीं, बल्कि सरकार द्वारा विस्थापन के समय किए गए वादों को पूरा कराने के लिए है। उन्होंने कहा कि हरसूद को चंडीगढ़ की तर्ज पर बसाने का वादा किया गया था, लेकिन नया हरसूद आज भी बुनियादी सुविधाओं से वंचित है।

उन्होंने कहा, “हमारी मांगों में दोबारा मुआवज़ा नहीं है, बल्कि उन वादों को निभाने की बात है जो सरकार ने विस्थापन के समय किए थे। शिक्षित युवाओं को नौकरी देने का आश्वासन आज तक अधूरा है।”

खंडवा से एनएचडीसी कार्यालय हटाने का विरोध

एनएचडीसी द्वारा कार्यालय को खंडवा से बाहर स्थानांतरित करने की योजना की भी विस्थापितों ने कड़ी आलोचना की है। उनका कहना है कि इंदिरा सागर परियोजना के प्रभावित 254 गांवों के लाखों लोगों की समस्याओं का सीधा संबंध इसी कार्यालय से है, ऐसे में इसे खंडवा में ही बनाए रखना जरूरी है। प्रभावितों का कहना है कि कई मामलों की सुनवाई जिला न्यायालय, उच्च न्यायालय और सुप्रीम कोर्ट में चल रही है, जिनका समाधान एनएचडीसी के माध्यम से ही किया जा सकता है।

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