MP: स्वतंत्रता दिवस पर गोंगपा ने गुमनाम आदिवासी नायकों को किया याद, पार्टी अध्यक्ष बोले- 'आज़ादी की पहली लड़ाई का शंखनाद भारत के मूलनिवासी आदिवासियों ने किया!'

आदिवासी नायक सिर्फ इतिहास का हिस्सा नहीं हैं, बल्कि आज भी उनकी कहानियां संघर्ष और आत्मसम्मान की प्रेरणा देती हैं।
स्वतंत्रता दिवस पर गोंगपा ने गुमनाम आदिवासी नायकों को किया याद
स्वतंत्रता दिवस पर गोंगपा ने गुमनाम आदिवासी नायकों को किया याद
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भोपाल। स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर गोंडवाना गणतंत्र पार्टी (गोंगपा) ने प्रदेश मुख्यालय भोपाल में शुक्रवार को धूमधाम से ध्वजारोहण कार्यक्रम आयोजित किया। कार्यक्रम की अगुवाई प्रदेश अध्यक्ष इंजी. कमलेश तेकाम ने की। उन्होंने कार्यक्रम में उपस्थित कार्यकर्ताओं को स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं दीं। इसके साथ ही महापुरुषों और आदिवासी नायकों की प्रतिमाओं पर शहीदों को श्रद्धांजलि दी।

तेकाम ने अपने संबोधन में कहा कि आज़ादी की पहली लड़ाई का शंखनाद भारत के मूलनिवासी आदिवासियों ने किया था। अंग्रेजों की दमनकारी नीतियों के खिलाफ सबसे पहले आदिवासी समाज ने विद्रोह किया और अपने प्राणों की आहुति दी। उन्होंने कहा कि देश की स्वतंत्रता में आदिवासी समाज का योगदान उतना ही महत्वपूर्ण है, जितना अन्य समुदायों का, किंतु दुर्भाग्य है कि इस योगदान को इतिहास के पन्नों से लगभग गायब कर दिया गया।

गोंगपा अध्यक्ष ने कहा कि बिरसा मुंडा, तांत्या भील, रघुनाथ शाह, शल्का शाह जैसे अनगिनत आदिवासी योद्धाओं ने ब्रिटिश शासन को चुनौती दी। इन योद्धाओं की गाथाएं आज भी देश की मिट्टी में दर्ज हैं और उनकी शहादत इस बात का प्रमाण है कि स्वतंत्र भारत की नींव में आदिवासियों का भी उतना ही खून-पसीना शामिल है। उन्होंने कहा कि आज़ादी के बाद के दशकों में जानबूझकर आदिवासी इतिहास और संघर्षों को हाशिए पर धकेला गया, जो बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है।

स्वतंत्रता किसी एक वर्ग या समुदाय की देन नहीं

कमलेश तेकाम ने स्पष्ट किया कि देश की स्वतंत्रता किसी एक वर्ग या समुदाय की देन नहीं, बल्कि सभी ने मिलकर यह लड़ाई लड़ी। उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता संग्राम में हर समुदाय के पुरखों ने अपने तरीके से संघर्ष किया और कुर्बानी दी। ऐसे में यह जरूरी है कि इतिहास में सभी को उनका उचित स्थान मिले और आने वाली पीढ़ी को सही जानकारी दी जाए।

उन्होंने कहा कि आदिवासी नायक सिर्फ इतिहास का हिस्सा नहीं हैं, बल्कि आज भी उनकी कहानियां संघर्ष और आत्मसम्मान की प्रेरणा देती हैं। गोंगपा लगातार इस बात पर जोर देती रही है कि आदिवासी नायकों को राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता मिले और उनके योगदान को पाठ्यपुस्तकों में शामिल किया जाए। यह न केवल आदिवासी समाज के सम्मान की बात है, बल्कि भारत की असली आज़ादी की कहानी को सही रूप में सामने लाने की आवश्यकता भी है।

ध्वजारोहण समारोह में गोंगपा के प्रदेश महामंत्री सुरेश झारिया, प्रदेश प्रवक्ता शुभकरन पांडे, कमलेश गोंड, राजा अली समेत बड़ी संख्या में स्थानीय कार्यकर्ता और छात्र मौजूद रहे। सभी ने एक स्वर में देश की अखंडता और आदिवासी नायकों के बलिदान को याद करते हुए स्वतंत्रता दिवस के महत्व पर प्रकाश डाला। समारोह के अंत में "जय गोंडवाना" और "भारत माता की जय" के नारों से पूरा परिसर गूंज उठा।

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