भोपाल। मध्य प्रदेश में इस समय किसानों को खाद की किल्लत का सामना करना पड़ रहा है। रबी सीजन में गेहूं, चना और अन्य फसलों की बुआई के लिए किसानों को डीएपी (डाई अमोनियम फॉस्फेट) और यूरिया की जरूरत होती है। लेकिन प्रदेश के कई जिलों में खाद उपलब्ध नहीं होने से किसान परेशान हैं। वहीं, कई जगहों पर खाद की कालाबाजारी के मामले भी सामने आ रहे हैं।
प्रदेश के भोपाल, टीकमगढ़ और सागर समेत कई जिलों में किसानों ने खाद नहीं मिलने पर हंगामा किया। भोपाल की बैरसिया मंडी में तीन दिन पहले किसानों ने जमकर प्रदर्शन किया। पुलिस और प्रशासन को स्थिति संभालने के लिए मौके पर पहुंचना पड़ा। टीकमगढ़ जिले के एक खाद वितरण केंद्र पर भी किसानों ने प्रदर्शन किया। वहां गांव डूंडा से आई एक युवती ने आरोप लगाया कि महिला कांस्टेबल ने उसके साथ मारपीट की। इस घटना के बाद किसानों ने केंद्र पर जमकर विरोध किया।
सागर जिले के बंडा में खाद की किल्लत के चलते 18 दिन पहले पूर्व कांग्रेस विधायक तरवर सिंह लोधी ने किसानों के साथ धरना दिया। उन्होंने मांग की कि किसानों को तुरंत खाद उपलब्ध कराई जाए।
भोपाल के बैरसिया थाने में गौर कृषि सेवा केंद्र के संचालक कमल सिंह गौर पर खाद की कालाबाजारी का आरोप लगाते हुए एफआईआर दर्ज की गई है। जांच में सामने आया कि 1350 रुपये में मिलने वाली डीएपी की एक बोरी को 1850 रुपये में बेचा जा रहा था। इसी तरह 267 रुपये की यूरिया की एक बोरी 340 रुपये में बेची जा रही थी। एसडीएम आशुतोष शर्मा ने जांच के बाद गोदाम और दुकान को सील कर दिया। यह भोपाल में इस सीजन में खाद विक्रेता पर पहली बड़ी कार्रवाई है।
खाद की किल्लत और कालाबाजारी को लेकर भारतीय किसान संघ ने सरकार पर सवाल उठाए हैं। संघ के प्रदेश अध्यक्ष सर्वज्ञ जी. दीवान ने कहा कि सरकार की नीतियां विफल हो रही हैं। किसानों को समय पर खाद नहीं मिल पा रही है, और उन्हें ऊंचे दाम चुकाने पड़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि सोमवार को भारतीय किसान संघ प्रदेश के सभी जिलों में कलेक्टरों को ज्ञापन सौंपेगा।
द मूकनायक से बातचीत में किसान नेता राहुल धूत ने कहा कि, खाद की किल्लत से जूझ रहे किसानों के लिए यह समय बेहद कठिन है। सरकार और प्रशासन को इस समस्या का स्थायी समाधान निकालने की जरूरत है। किसानों को समय पर खाद मिले और कालाबाजारी पर रोक लगे, इसके लिए सख्त कदम उठाने की आवश्यकता है। उन्होंने किसानों से अपील की की वह संगठित होकर अपनी मांगों को सरकार तक पहुंचाने की जरूरत है, ताकि उनकी आवाज सुनी जा सके।
किसानों की परेशानी को देखते हुए प्रशासन ने बैरसिया कृषि उपज मंडी में पुलिस की मौजूदगी में खाद वितरण शुरू किया। किसानों को टोकन देकर 5-5 बोरी डीएपी खाद दी जा रही है। प्रशासन का कहना है कि जल्द ही खाद की आपूर्ति सामान्य हो जाएगी। लेकिन प्रदेश में फिलहाल खाद संकट बना हुआ है।
खेती विशेषज्ञों के मुताबिक, इस साल रबी सीजन में फसलों की अच्छी बुआई के कारण डीएपी और यूरिया की मांग अचानक बढ़ गई है। इसके अलावा, वितरण प्रणाली में पारदर्शिता की कमी और कालाबाजारी की वजह से समस्या और बढ़ गई है। जहां किसानों को 10 बोरी खाद की जरूरत है, वहां उन्हें महज 3-5 बोरी ही खाद उपलब्ध हो पा रहा है।
भोपाल के अधिवक्ता विकास सिंह परमार ने द मूकनायक को बताया कि, खाद की कालाबाजारी रोकने के लिए उर्वरक नियंत्रण आदेश, 1985 और आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 लागू हैं। इन कानूनों के तहत दोषी पाए जाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा सकती है। भोपाल में दर्ज मामले में भी इन्हीं प्रावधानों के तहत कार्रवाई की गई है।
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