MP में खाद संकट: कृषि मंत्री कंषाना के गैर-जिम्मेदाराना बयान से बढ़ा विवाद, 'बोले यह मेरा काम नहीं..!'

नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने कृषि मंत्री पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि मंत्री को अपनी जिम्मेदारी का ज्ञान ही नहीं है। उन्होंने कहा, "ऐसे मंत्री को पद पर बने रहने का कोई अधिकार नहीं है। मुख्यमंत्री को उनसे तत्काल इस्तीफा लेना चाहिए।"
मध्यप्रदेश के कृषि मंत्री
मध्यप्रदेश के कृषि मंत्री
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भोपाल। मध्य प्रदेश में किसानों को खाद की कमी के कारण हो रही परेशानियों पर पूछे गए सवाल पर प्रदेश के कृषि मंत्री ऐंदल सिंह कंषाना ने एक गैर-जिम्मेदाराना बयान देकर विवाद खड़ा कर दिया है। गुरुवार को भाजपा कार्यालय में मीडिया से बातचीत के दौरान कंषाना ने कहा, "जहां कमी है, वहां घर-घर खाद पहुंचा दूंगा।" हालांकि, बाद में उन्होंने यह भी कहा कि यह उनका काम नहीं है। उनके इस बयान के बाद विपक्ष ने मंत्री के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है और उनके इस्तीफे की मांग की है।

डेढ़ महीने से कतारों में खड़े किसान

प्रदेश में बीते डेढ़ महीने से खाद की कमी के कारण खरीद केंद्रों पर किसानों की लंबी कतारें देखी जा रही हैं। किसान परेशान हैं और सरकार पर सवाल उठा रहे हैं। हालांकि, कृषि मंत्री ने खाद की कमी से इनकार करते हुए इसे सहकारिता विभाग का मामला बताया। उनका कहना है कि अगर कहीं कोई समस्या है तो उन्हें बताया जाए, वे समाधान करेंगे।

प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव जब हाल ही में यूके-जर्मनी दौरे से लौटे, तो उन्होंने रात में ही खाद वितरण में आ रही समस्याओं को लेकर अधिकारियों की बैठक बुलाई थी। लेकिन किसानों को राहत मिलती नजर नहीं आ रही है।

विपक्ष ने साधा निशाना

नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने कृषि मंत्री पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि मंत्री को अपनी जिम्मेदारी का ज्ञान ही नहीं है। उन्होंने कहा, "ऐसे मंत्री को पद पर बने रहने का कोई अधिकार नहीं है। मुख्यमंत्री को उनसे तत्काल इस्तीफा लेना चाहिए।" विपक्ष का कहना है कि खाद की कमी की शिकायतें हर जिले से आ रही हैं, लेकिन मंत्री इसे गंभीरता से नहीं ले रहे।

खाद वितरण प्रणाली की जमीनी हकीकत

विशेषज्ञों के अनुसार, खाद की जरूरत का आकलन और उसकी मांग केंद्र सरकार को भेजना कृषि विभाग की जिम्मेदारी है। आवंटन के बाद खाद का वितरण मध्य प्रदेश राज्य सहकारी विपणन संघ (मार्कफेड) के जरिए किया जाता है, जो सहकारिता विभाग के अधीन है।

गौरतलब है, कि प्रदेश में कोई उर्वरक विभाग नहीं है। ऐसे में मंत्री का यह बयान कि "यह मेरा विभाग नहीं है," उनकी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ने का संकेत देता है।

खाद संकट से जूझ रहे किसान परेशान

मध्य प्रदेश में रबी फसल की बोवनी के समय खाद संकट गहराता जा रहा है। किसानों का कहना है कि सरकारी केंद्रों पर खाद की अनुपलब्धता के कारण उन्हें घंटों लाइन में खड़ा रहना पड़ता है, लेकिन इसके बावजूद कई बार खाली हाथ लौटना पड़ता है। इससे रबी फसलों की समय पर बोवनी और उनकी उत्पादकता पर गंभीर असर पड़ने की आशंका जताई जा रही है। दतिया जिले के किसान महेश केवट ने द मूकनायक से बातचीत में कहा कि हर साल खाद की कमी होती है, लेकिन इस बार समस्या अधिक गंभीर है। उन्होंने बताया कि जहां 10 बोरी की आवश्यकता होती है, वहां केवल 2-3 बोरी ही मिल पा रही है।

किसान मांग रहे हैं समाधान

खाद की इस किल्लत ने किसानों की परेशानियां और बढ़ा दी हैं। किसान संगठनों ने राज्य सरकार और केंद्र सरकार से तत्काल हस्तक्षेप करने की मांग की है। किसान नेताओं का कहना है कि खाद वितरण में सुधार लाने के लिए न केवल केंद्रों की संख्या बढ़ानी चाहिए, बल्कि कालाबाजारी पर भी सख्ती से रोक लगानी चाहिए। किसान इस समय रबी फसलों के लिए खाद पर पूरी तरह निर्भर हैं, और समय पर खाद न मिलने से उनकी मेहनत और फसल दोनों बर्बाद होने का खतरा है।

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