भोपाल। मध्य प्रदेश के खरगोन जिले में प्रशासनिक उदासीनता और किसानों के अधिकारों की अनदेखी का एक गंभीर मामला सामने आया है। भीकनगांव के किसान चंद्रप्रकाश जायसवाल, जो बीते चार वर्षों से अपनी जमीन का सीमांकन और नक्शा शुद्धिकरण कराने की मांग कर रहे हैं, आखिरकार प्रशासन की लापरवाही के चलते अस्पताल पहुंच गए। अपनी मांगों को लेकर पिछले चार दिनों से एसडीएम कार्यालय परिसर में धरने पर बैठे चंद्रप्रकाश की तबीयत अचानक बिगड़ गई, जिसके बाद उन्हें आईसीयू में भर्ती कराना पड़ा।
किसान चंद्रप्रकाश जायसवाल के अनुसार, उनके सरकारी रिकॉर्ड में 5 एकड़ जमीन दर्ज है, लेकिन वास्तविक स्थिति में उनके पास केवल 4.5 एकड़ जमीन ही मौजूद है। वे पिछले चार वर्षों से सीमांकन और नक्शा शुद्धिकरण की मांग को लेकर सरकारी कार्यालयों के चक्कर काट रहे हैं। इस दौरान उन्होंने पटवारी, तहसीलदार, एसडीएम से लेकर मुख्यमंत्री तक अपनी गुहार लगाई, लेकिन समस्या का समाधान नहीं हुआ।
उन्होंने आरोप लगाया कि प्रशासन की लापरवाही और उपेक्षा के कारण उन्हें यह कठोर कदम उठाने के लिए मजबूर होना पड़ा। चंद्रप्रकाश ने कहा, "सरकारी अधिकारी सुनवाई के नाम पर टालमटोल करते रहे। हर बार नई तारीख दी जाती है, लेकिन समस्या जस की तस बनी हुई है।"
पिछले चार दिनों से लगातार धरने पर बैठे चंद्रप्रकाश की तबीयत रविवार को अचानक बिगड़ गई। उन्हें पहले भीकनगांव अस्पताल ले जाया गया, जहां जांच के दौरान उनका शुगर लेवल अत्यधिक पाया गया। इसके बाद उन्हें खरगोन जिला अस्पताल रेफर किया गया। वहां आईसीयू में डॉ. जुनैद अली सैयद की निगरानी में उनका इलाज चल रहा है।
हालांकि, किसान चंद्रप्रकाश का दावा है कि उनकी तबीयत में कोई गंभीर खराबी नहीं थी। उन्होंने कहा, "तहसीलदार ने प्रशासनिक दबाव बनाकर मुझे अस्पताल में भर्ती कराया। मेरा मकसद धरना खत्म करना नहीं है, मैं अपनी मांग पूरी होने तक लड़ाई जारी रखूंगा।"
इस मामले में तहसीलदार ने किसान के दावों को खारिज करते हुए कहा कि चंद्रप्रकाश की तबीयत वाकई खराब थी, इसलिए उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया। वहीं, एसडीएम ने कहा कि सीमांकन प्रक्रिया जल्द पूरी की जाएगी और किसान की समस्या का समाधान प्राथमिकता के आधार पर किया जाएगा।
यह मामला संविधान के अनुच्छेद 21 (जीवन और स्वतंत्रता का अधिकार) और अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार) के उल्लंघन की ओर इशारा करता है। किसानों को उनकी जमीन का अधिकार दिलाना प्रशासन का दायित्व है।
मध्य प्रदेश भू-राजस्व संहिता के तहत, किसी भी किसान की भूमि के सीमांकन और शुद्धिकरण का कार्य पटवारी और राजस्व विभाग की प्राथमिक जिम्मेदारी है। यदि कोई गड़बड़ी पाई जाती है, तो इसे 30 दिनों के भीतर सुलझाना अनिवार्य है। इस मामले में चार साल से लंबित समस्या प्रशासनिक उदासीनता को दर्शाती है।
आईसीयू में भर्ती चंद्रप्रकाश ने कहा, "मैं अपने हक के लिए लड़ रहा हूं। यह मेरी जमीन है, जिसे मैं किसी भी कीमत पर खोने नहीं दूंगा।" उन्होंने प्रशासन से जल्द से जल्द कार्रवाई की मांग की है।
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