राजस्थान: भरतपुर सम्भाग सरसों उत्पादन के लिए देश में नम्बर 1

गुणवत्ता के चलते भरतपुर के सरसों तेल की देश विदेश में डिमांड [फोटो- अब्दुल माहिर, द मूकनायक]
गुणवत्ता के चलते भरतपुर के सरसों तेल की देश विदेश में डिमांड [फोटो- अब्दुल माहिर, द मूकनायक]

गुणवत्ता के चलते भरतपुर के सरसों तेल की देश विदेश में डिमांड।

जयपुर। राजस्थान के भरतपुर सम्भाग का मुख्य फसल सरसों है। यहां पैदा होने वाली सरसों से गुणवत्ता युक्त तेल निकलता है। यही वजह है कि भरतपुर में निकलने वाले सरसों तेल की मांग देश – विदेश में बढ़ने लगी है। इसी क्रम में तेल उद्योग भी खूब फले-फूले हैं। यही वजह है कि सरसों के दाम बढ़ने से किसानों का रुझान भी बढ़ने लगा है। इस बार भी भरतपुर सम्भाग में बेहतर बुवाई से तेल उद्योग के संवरने की उम्मीद है।

कृषि अधिकारियों की माने तो भरतपुर सम्भाग में सरसों के उत्पादन में अलवर व भरतपुर जिला सिरमौर है। सम्भाग में इन दो जिलों में सरसों का सर्वाधिक उत्पादन होता है। इस रबी सीजन में भरतपुर व अलवर जिलों में 5.31 लाख हेक्टियर में सरसों की बुवाई हुई है। भरतपुर की बात करे तो यहां 2.62 लाख हेक्टियर में सरसों की बुवाई हुई है। जो गत वर्ष की तुलना में 10 हजार हेक्टियर अधिक है। सरसों की बम्पर पैदावार का फायदा किसानों को मिल रहा है। वहीं तेल उद्योग को भी इसका भरपूर फायदा मिलने वाला है। कृषि विभाग के अनुसार रबी सीजन में भरतपुर जिले में दो नवम्बर के आखिर तक कुल 96 प्रतिशत क्षेत्र में बुवाई हो चुकी है।

अलवर जिले के भरतपुर निवासी किसान हरदेव सिंह, मुबारक अली व सवाईमाधोपुर जिले के किसान अब्दुल ताहिर ने बताया कि कोरोना संकट काल के पहले तक सरसों के भाव 3 से 4 हजार रुपये प्रति किवंतल तक मिलते थे। इससे किसानों की लागत भी नहीं निकल पाती थी। कोरोना के बाद से ही सरसों तेल की डिमांड बढ़ने लगी तो सरसों के भावों में भी उछाल आया। इससे किसानों की किस्मत चमकने लगी। 2020 व 2021 में सरसों के भाव तेजी से बढ़ने से किसानों ने सरसों बुवाई पर ध्यान दिया। हालांकि इस वर्ष सरसों के पिछले वर्षों के मुकाबले कम है, लेकिन बुवाई का रकबा बढ़ा है।

सरसों के साथ शहद उत्पादन दे सकता है मुनाफा

जानकार बताते हैं कि सरसों के साथ किसान शहद उत्पादन कर अपने जीवन में मिठास घोल सकते हैं। मधुमक्खी पालन के लिए फुलवारी आवश्यक होती है। ऐसे में सरसों के पीले फूल मधुमक्खियों को खूब भाते हैं। इसके साथ किसान शहद उतपादन कर मुनाफा कमा सकते हैं। मधुमक्खी पालन के लिए सरकारी स्तर पर अनुदान देने की योजना भी है।

उपनिदेशक कृषि विस्तार सवाईमाधोपुर रामराज मीना ने द मूकनायक को बताया कि, "उत्पादन बढ़ाने के लालच में किसान रसायनिक खादों का अधिक उपयोग करते हैं। यह भूमि के लिए नुकसानदायक होता है। यह भूमि की उर्वरक क्षमता कम करता है। किसानों को भूमि को स्वस्थ्य बनाए रखने के लिए देशी खाद का उपयोग करना चाहिए। साथ ही डीएपी व यूरिया के उपयोग से बचते हुए सिंगल सुपर फास्फेट या सल्फर खाद तथा जिप्शम का उपयोग करें। इससे फसल में गुणवत्ता आएगी व भाव भी अधिक मिलेगा।"

देश राजसिंह संयुक्त निदेशक कृषि सम्भाग भरतपुर ने बताया कि, "इस रबी सीजन में अलवर जिले में 2.69 लाख हेक्टियर, भरतपुर जिले में 2.62 लाख हेक्टियर, सवाईमाधोपुर जिले में 1.85 लाख 400 हेक्टियर, करौली में 97 हजार हेक्टियर व धौलपुर में 76 हजार हेक्टियर में सरसों की बुवाई हुई है। यह सभी आंकड़े गत वर्ष के मुकाबले अधिक है।"

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