घर व खेत-खलिहान बचाने की जंगः आजमगढ़ का खिरिया बाग आंदोलन, जमीन के लिए जान देने को तैयार महिलाएं

10-10 रुपए चंदा इकट्ठा कर किसान-मजदूर महिलाएं लड़ रहीं अपनी जमीन को बचाने की लड़ाई। दलित महिलाओं की सक्रियता से मिला आंदोलन को बल, पुरुष भी सक्रिय।
धरने पर बैठीं महिलाएं
धरने पर बैठीं महिलाएंफोटो- सत्य प्रकाश भारती, द मूकनायक

उत्तर प्रदेश। आजमगढ़ जिले के मन्दूरी ब्लॉक के खिरिया बाग में किसान महिलाएं पिछले 104 दिनों से सरकारी अमले से लोहा लिए हुए हैं। यह महिलाएं किसी भी हाल में अपनी जमीनें देने को तैयार नहीं हैं। उनका साफ कहना है —"हम जान दे देंगे, लेकिन जमीन नहीं देंगे।" महिलाओं का आरोप है कि सरकार जमीन अधिग्रहित करने के लिए हर हथकंडे अपना रही है। कभी भारी पुलिस बल को लेकर सर्वे किया जाता है तो कभी रात में ड्रोन के जरिये सर्वे करवा रही है। इस आंदोलन की रीढ़ दलित महिलाएं हैं। गत 12 नवंबर के दिन रात करीब 1 बजे पुलिस से आमना-सामना भी दलित महिलाओं ने ही किया। हालांकि रात को पुलिस के आने का शोर ब्राह्मण टोले की महिलाओं ने मचाया, लेकिन पुलिस को रोकने के लिए दौड़कर दलित महिलाएं ही गईं। सभी प्रत्यक्षदर्शी और आंदोलन के शीर्ष नेता यह तथ्य एक स्वर से स्वीकार करते हैं।

धरने पर बैठीं महिलाएं
धरने पर बैठीं महिलाएंफोटो- सत्य प्रकाश भारती, द मूकनायक

जानिए क्या पूरा है मामला?

यूपी के आजमगढ़ जिले में अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट के विस्तारीकरण की कवायद चल रही है। एयरपोर्ट के विस्तारीकरण को लेकर सरकार ने कुल 670 एकड़ जमीन अधिग्रहित करने का निर्णय लिया है। पहले चरण में सरकार 360 एकड़ जबकि दूसरे चरण में 310 एकड़ जमीन को अधिग्रहित करने के लिए कार्यवाही चल रही है। इस जमीन को अधिग्रहित करने में कुल 8 गांवों की जमीनें व घर-मकान जा रहे हैं। इन 8 गांवों में लगभग दस हजार परिवार रहते हैं। लगभग चार हजार घर मौजूद हैं। इससे कुल पचास हजार की आबादी प्रभावित होगी। यही नहीं यह आंकड़ा केवल जनगणना में दर्ज लोगों के हैं। इन लोगों के साथ इनके पूर्वजों द्वारा बनाई गई गृहस्थी और उनके पशु भी हैं। इसके विरोध में जिला मुख्यालय से लगभग 18 किमी दूर खिरिया बाग में पिछले 104 दिनों से किसान घरों की महिलाएं धरना प्रदर्शन कर रही हैं, जिसमें पुरुष भरपूर साथ दे रहे हैं।

धरना स्थल पर लगा एक बैनर
धरना स्थल पर लगा एक बैनर फोटो- सत्य प्रकाश भारती, द मूकनायक

जिला मुख्यालय से करीब 12 किलोमीटर दूर सगड़ी तहसील के मंदुरी में आजमगढ़ एयरपोर्ट स्थित है। आजमगढ़-अयोध्या मुख्य मार्ग पर स्थित मंदुरी हवाई अड्डा करीब 104 एकड़ भूमि में बनाया गया है। मंदूरी में 2005 में पहले सिर्फ एक हवाई पट्टी हुआ करती थी। इस हवाई पट्टी पर कई बार नेताओं के विमान उतर व उड़ान भर चुके हैं।

नवंबर 2018 में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हवाई पट्टी का विस्तार करते हुए अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा बनाने की घोषणा की थी। अप्रैल 2019 में निर्माण कार्य के लिए शासन द्वारा 18.21 करोड़ रुपए का बजट जारी किया गया। धन मिलने के बाद निर्माण कार्य जोर पकड़ा और हवाई अड्डा बनकर पूरी तरह से तैयार हो गया है। इस हवाई अड्डे के निर्माण के लिए उत्तर प्रदेश राजकीय निर्माण निगम लिमिटेड को नोडल एजेंसी नियुक्त किया गया था। निर्माण कार्य वाराणसी एयरपोर्ट अथॉरिटी की देखरेख में संपन्न हुआ है। इस हवाई अड्डे का निरीक्षण करके कई बार वाराणसी, लखनऊ और दिल्ली एयरपोर्ट अथॉरिटी अपनी रिपोर्ट सौंप चुकी है। इसी बीच शासन ने एयरपोर्ट विस्तारीकरण के लिए 670 एकड़ भूमि का सर्वे का काम जिला प्रशासन को सौंपा। जिला प्रशासन ने सर्वे का काम शुरू किया तो किसान विरोध में उतर आए।

धरना प्रदर्शन में पिछले 104 दिनों से धरने पर खिरियाबाग में आंदोलनरत महिलाएं
धरना प्रदर्शन में पिछले 104 दिनों से धरने पर खिरियाबाग में आंदोलनरत महिलाएंफोटो- सत्य प्रकाश भारती, द मूकनायक

670 एकड़ जमीन करीब एक दर्जन गांवों के सैकड़ों किसानों से ली जाएगी। इसमें से कई गांवों का अस्तित्व ही समाप्त होने के कगार पर है, जिसमें मुख्य रूप से गधनपुर और हिच्छनपट्टी, जमुआ और कुआ गांव आते हैं। इसी विस्तारीकरण के खिलाफ किसान उठ खड़े हुए हैं। गधनपुर और हिच्छनपट्टी में महीनों से धरना प्रदर्शन चल रहा है।

किसानों से बात करते जिलाधिकारी आजमगढ़, विशाल भारद्वाज
किसानों से बात करते जिलाधिकारी आजमगढ़, विशाल भारद्वाजफोटो- सत्य प्रकाश भारती, द मूकनायक

जबरन सर्वे करने घुसी पुलिस और राजस्व की टीम ने महिलाओं को पीटा, किसानों का आरोप

आजमगढ़ की किसान नेता फूलमती बताती हैं, "12 अक्टूबर को जमुआ गांव में पुलिस के साथ जिलाधिकारी की टीम पहुंचकर फीता लेकर जमीन नापने लगी। कुछ महिलाओं ने जब यह देखा तो इकट्ठा हो गईं। महिलाओं ने टीम का विरोध किया। पुलिस और अन्य लोग महिलाओं को गालियां देने लगे। जब महिलाओं ने इसका विरोध किया तो पुलिस ने महिलाओं को पीटना शुरू कर दिया।"

किसान नेता राजीव यादव
किसान नेता राजीव यादवफोटो- सत्य प्रकाश भारती, द मूकनायक

किसान नेता राजीव यादव इस तथ्य को स्वीकार करते हुए कहते हैं कि पुलिस के साथ संघर्ष में दलित महिलाएं सबसे आगे थीं। पुलिस को जब इस तथ्य का पता चला कि जो महिलाएं उन्हें सर्वे करने से रोक रही हैं, जरीब पकड़ रही हैं, उन्हें डंडा बरसाने से रोक रही हैं, वे दलित महिलाएं हैं तब पुलिस ने इन महिलाओं को जाति सूचक गालियां भी दीं।

104 दिनों से चल रहे इस आंदोलन में धरना स्थल खिरिया बाग में हमेशा 70 से 80 प्रतिशत महिलाएं ही रहती हैं। वहां वे पुरुष ही उपस्थित होते हैं जो आंदोलन के शीर्ष नेता हैं या आंदोलन में बहुत ही सक्रिय हैं, या कोई विशेष अवसर हो, या बाहर से आंदोलन में कोई व्यक्ति शामिल होने आया हो।

धरनास्थल के लिए जाती महिलाएं
धरनास्थल के लिए जाती महिलाएंफोटो- सत्य प्रकाश भारती, द मूकनायक

सर्वे टीमों को गाँव में घुसने नहीं दे रहे आंदोलनरत किसान महिलाएं

12 अक्टूबर को हुई घटना के बाद किसान महिलाएं सर्वे की टीमों को गांव में घुसने नहीं दे रहीं हैं। किसानों का यह भी आरोप है कि प्रशासन ने कई लोगों को उठाकर थाने में बंद कर दिया है। रात के अंधेरे में पुलिस और पीएसी के जवानों के साथ सर्वे का काम चल रहा है।

धरनास्थल पर पहुंचे जिले के प्रशासनिक अधिकारी
धरनास्थल पर पहुंचे जिले के प्रशासनिक अधिकारी फोटो- सत्य प्रकाश भारती, द मूकनायक

राजीव यादव का कहना है कि, "जिले का कोई भी अधिकारी अपनी बात स्पष्ट नहीं बता रहा है। कभी कहा जाता है कोई सर्वे नहीं हो रहा है, कभी कहते हैं ड्रोन से सर्वे किया जा रहा है तो कभी कहा जाता है मामला शासन स्तर पर लम्बित है। सरकार किसानों को लगातार गुमराह कर रही है। हमारे किसानों का कहना है हम जान दे देंगे, लेकिन एक इंच जमीन नहीं देंगे।"

धरना स्थल पर मौजूद पुलिस और किसान नेता
धरना स्थल पर मौजूद पुलिस और किसान नेताफोटो- सत्य प्रकाश भारती, द मूकनायक

जानिए क्या बोले जिम्मेदार?

इस मामले में जिलाधिकारी आजमगढ़ विशाल भारद्वाज का कहना है, "बिना किसानों की सहमति के किसी भी किसान की जमीन नहीं ली जाएगी।" वहीं दूसरी तरफ जिलाधिकारी का यह भी कहना है कि यह मास्टर प्लान वापस नहीं लिया जा रहा है।

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