मध्य प्रदेशः बाघों की गणना का काम पूरा, एमपी का टाइगर स्टेट दर्जा रह सकता है बरकरार

मध्य प्रदेशः बाघों की गणना का काम पूरा, एमपी का टाइगर स्टेट दर्जा रह सकता है बरकरार

वन विभाग ने भारतीय वन्यजीव संस्थान को भेजी रिपोर्ट, जल्द जारी किए जाएंगे आंकड़े


भोपाल। मध्यप्रदेश के टाइगर रिजर्वों में बाघों की गिनती पूरी की जा चुकी है। करीब डेढ़ सौ बाघों के बढ़ने का अनुमान लगाया जा रहा है। हालांकि अभी तक परिणाम जारी नहीं हुए है। दरअसल एमपी में बाघ गणना का चौथा चरण अक्टूबर में पूरा हो गया है। और तीन चरण की गणना के बाद ही डेढ़ सौ बाघों के बढने की जानकारी के बाद मध्यप्रदेश के टाइगर स्टेट का दर्जा बरकरार रहने की उम्मीद है। मध्यप्रदेश ने गणना का ब्यौरा भारतीय वन्यजीव संस्थान देहरादून को भे दिया है। अब भारत सरकार बाघ आकलन 2022 के परिणामों की घोषणा करेगी।

प्रदेश में नवंबर 2021 से बाघों की गिनती शुरू हुई थी। तीसरा चरण अप्रैल 2022 में पूरा हुआ। इसके बाद संरक्षित क्षेत्रों में चौथे चरण की गिनती शुरू हुई, जो अक्टूबर माह के अंत में पूरी कर ली गई है। इस साल हुई गणना से प्रदेश में बाघों का कुनबा बढ़ने के आसार हैं। उम्मीद की जा रही है कि 150 बाघ बढ़ेंगे। यदि ऐसा हुआ तो प्रदेश में 700 से ज्यादा बाघ हो जाएंगे। वर्ष 2018 की गणना में प्रदेश में 526 बाघ थे। यह संख्या देश में सबसे ज्यादा है। दूसरे नंबर पर कर्नाटक राज्य रहा था। वहां 524 बाघ पाए गए थे।

मध्यप्रदेश को फिर मिल सकता है टाइगर स्टेट का दर्जा

एक्स्पर्ट के अनुसार मध्यप्रदेश में बाघ बढ़ते हैं तो टाइगर स्टेट का दर्जा बरकरार रह सकता है। हालांकि मध्यप्रदेश में बाघों के कुनबे बढ़ने की खबरें लगातार मिलती रही है। इसी से अंदाजा लगाया जा रहा है कि मध्यप्रदेश इस बार फिर टाइगर स्टेट बन सकता है। फिलहाल बाघों की गणना का काम पूरा किया जा चुका है। जिसकी रिपोर्ट भारतीय वन्यजीव संस्थान को भेजी जा चुकी है। उम्मीद की जा रही है कि इस बार मार्च, 2023 में परिणाम घोषित किए जा सकते हैं। पिछली बार परिणाम (2018) में जुलाई में घोषित हुए थे।

ऐसे होती है गणना

बाघों की पहले चरण की गणना जंगल में एक तय स्थान पर ट्रांजिट लाइन खींच कर की जाती है। सुबह से शाम तक इस लाइन से गुजरने वाले वन्यप्राणियों की गिनती के आधार पर रिपोर्ट तैयार होती है। सैटेलाइट इमेज, ट्रैप कैमरे से ली गई फोटो और जंगल से लिए गए डाटा का मिलान किया जाता है। भारतीय वन्यजीव संस्थान के विज्ञानी अलग-अलग फोटो में बाघ के शरीर की धारियों का मिलान कर तय करते हैं कि एक ही बाघ है या अलग-अलग। सैटेलाइट इमेज से लिए गए डाटा के आधार पर यह गणना होती है।

आपसी संघर्ष में हो चुकी बाघों की मौत

मध्य प्रदेश में 2014 से 2018 के बीच 115 बाघों की मौत के मामले सामने आ चुके हैं। 40 बाघों की मृत्यु आपसी संघर्ष के कारण हुई। बिजली के करंट से 16 बाघ और 21 तेंदुओं की मृत्यु हुई। मध्य प्रदेश में वन्यप्राणी संरक्षण और वन्यप्राणी रहवासों के सतत प्रबंधन पर कैग ने रिपोर्ट तैयार की थी। इसमें बताया गया कि 2018 की बाघ गणना में बाघों की संख्या में 71 प्रतिशत की वृद्धि हुई और ये देश में सर्वाधिक 526 हो गए। दो बाघों को ओडिशा के सतकोशिया टाइगर रिजर्व स्थानांतरित करने से पहले नए स्थल पर सुरक्षा उपायों को सुनिश्चित नहीं किया गया। इसके कारण एक बाघ का नुकसान हुआ और दूसरा भी नए स्थल पर परिस्थितियों को अपना नहीं सका।

2014 से 2018 के बीच 115 बाघ और 209 तेंदुओं की मृत्यु हुई। 80 बाघों के मृत्यु प्रकरण प्रतिवेदित किए गए। कान्हा और बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में बाघों की मृत्यु दर सर्वाधिक रही। हालांकि, बाघों के संघर्ष को वन विभाग ने जुलाई 2021 में दिए उत्तर में बाघों की संख्या में 71 प्रतिशत की वृद्धि और बाघ पारिस्थितिकी में आपसी संघर्ष को सामान्य व्यवहार बताया है।

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