बढ़ते तापमान से फसलें 'स्ट्रेस' में, समय पूर्व परिपक्वता से उत्पादकता प्रभावित होने की आशंका

जनवरी मध्य में कड़ाके की ठंड, कहीं-कहीं ओलावृष्टि और तेज हवाओं की वजह से कई इलाकों विशेषकर राजस्थान में फसलों को काफी नुकसान हुआ था। अब यकायक बढ़ते हुए तापमान से भूमिपुत्र चिंताग्रस्त हैं।
गेहूं की फसल, बस्ती, यूपी
गेहूं की फसल, बस्ती, यूपीफोटो साभार- राजन चौधरी

देश के उत्तरी भागों में यकायक तापमान में बढ़ोतरी लोगों की सेहत के साथ खेतों में खड़ी फसलों की तबीयत भी नासाज़ कर रही है। पन्द्रह बीस दिन पहले तक जहां कड़ाके की ठंड से फसलों को बचाने के लिए किसान खेतों में अलाव लगा रहे थे, अब वहीं अचानक पारे में आये उछाल के बाद फसलों पर समय पूर्व परिपक्वता का संकट आ गया है। अधिकांश जगहों पर दाना भरने की अवस्था में पहुंच चुकी गेहूं, सरसों, चना और जौ की फसलें समय पूर्व ही यदि पक जाती हैं तो इनकी उत्पादकता पर विपरीत प्रभाव पड़ने की आशंका है।

राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा, पंजाब सहित देश के कई इलाकों में बढ़ते हुए तापमान ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है। फरवरी में ही तापमान 35 डिग्री पार हो चुका है और इस बेमौसम की गर्मी से किसान चिंतित हैं।

केंद्र सरकार ने गेहूं की फसल पर तापमान में बढ़ोतरी के प्रभाव की निगरानी के लिए एक समिति का गठन किया है। विशेषज्ञों का कहना है कि मध्य प्रदेश को छोड़कर प्रमुख गेहूं उत्पादक क्षेत्रों में अधिकतम तापमान फरवरी के पहले हफ्ते के दौरान पिछले 7 वर्षों के औसत से अधिक रहा है, एहतियात बरतना आवश्यक हैं। हरियाणा पंजाब समेत कई जगह पर गेहूं की पैदावार पर असर पड़ेगा और गेहूं की फसल खराब भी हो सकती है।

खेत में गेहूं के फसल की स्थिति
खेत में गेहूं के फसल की स्थितिफोटो साभार- राजन चौधरी

राजस्थान

प्रदेश में जहां कुछ दिन पहले किसान ओलावृष्टि और तेज हवाओं की वजह से फसलों को हुए नुकसान से चिंताग्रस्त थे, वहीं अब यकायक हुई तापमान में बढ़ोतरी ने किसानों की परेशानी कई गुना बढ़ा दी है। वरिष्ठ कृषि अधिकारी सुधीर वर्मा बताते हैं कि रबी की फसलों में प्रदेश में सबसे अधिक रकबा गेहूं, सरसों, जौ और चना है जो कई हज़ार हेक्टेयर में बोया गया है जिसके लिए मुफीद टेंपरेचर (अनुकूल तापमान) 20 से 25 डिग्री माना जाता है। वर्तमान में प्रदेश के कई जिलों में तापमान 38 डिग्री तक है जो सामान्य से करीब 10 डिग्री ज्यादा है। वर्मा बताते हैं कि फसलों में अभी दाना भरने की अवस्था है जिसे डफ (dough) स्टेज कहते हैं। तापमान बढ़ने की वजह से फसलों की सारी एनर्जी रेस्पिरेशन में ही चली जाती है जिससे फसलें पूरी ग्रोथ नहीं ले पाती हैं लेकिन परिपक्व हो जाती हैं। यह फोर्स्ड मैच्युरिटी (forced maturity) स्टेज फसलों के लिए नुकसानदायक है।

वर्मा बताते हैं, जिन फसलों को पकने में 20 से 25 दिन लगते हैं तापमान बढ़ने की दशा में अगर वे 12 से 15 दिन में पक जाए तो दाने कमजोर निकलते हैं जिससे उत्पादकता प्रभावित निश्चित रूप से होगी। कृषि विशेषज्ञों के अनुसार यदि फसलें अपना लाइफ साइकिल समय से पूर्व ही पूरा कर लेती है उत्पादकता पर विपरीत प्रभाव पड़ता है।

उत्तर प्रदेश के पूर्वाञ्चल के एक खेत में गेहूं और सरसों की फसल
उत्तर प्रदेश के पूर्वाञ्चल के एक खेत में गेहूं और सरसों की फसलफोटो साभार- राजन चौधरी

उत्तर प्रदेश

यूपी के किसानों की बात करें तो यहां के किसान गेहूं, चावल और गन्ने की खेती मुख्य रूप से बड़े पैमाने पर करते हैं। बस्ती जिले के किसान राजेश त्रिपाठी (54) ने द मूकनायक को बताया, “देर बारिश की वजह से खेतों में अत्यधिक नमी थी जिससे गेहूं की बुवाई में पिछले साल की अपेक्षा 1 महीने देरी हो गई। देर से बुवाई होने के कारण गेहूं के पौधे अभी नाजुक हैं, जिससे मौसम और इस फरवरी के तेज तापमान का असर सीधे फसल पर पड़ रहा है। ऐसे में गेहूं के पौधों का विकास और होने वाले उत्पादन पर प्रतिकूल असर पड़ेगा,” त्रिपाठी ने बताया, “गेहूं के पौध काफी नाजुक हैं, अगर किसान खेतों में पानी चलाता है और थोड़ी सी भी हवा चल गई तो गेहूं के पौधे जमीन पर लोट जाएंगे और बर्बाद हो जाएंगे। ऐसे में इस बार गेहूं की पैदावार में कमी निश्चित है।”

उत्तर प्रदेश की जलवायु को आम तौर पर उपोष्णकटिबंधीय मानसून प्रकार के रूप में परिभाषित किया जाता है। उत्तर प्रदेश राज्य के अधिकांश हिस्सों में तापमान में उतार-चढ़ाव की इतनी विस्तृत श्रृंखला पाई जाती है जो शीतकाल में शीत लहर और गर्मियों में गर्म हवाएं (लू) पैदा कर सकती है।

गेहूं की फसल
गेहूं की फसलफोटो साभार- राजन चौधरी

मध्य प्रदेश

मध्य प्रदेश में कई इलाकों में फरवरी में ही मार्च जैसी तपन पड़ने लगी है। जलवायु में हो रहे तेज परिवर्तन से फसलों पर नकारात्मक असर पड़ रहा है। राजस्थान और गुजरात की तरफ से आ रही गर्म हवाओं के कारण मध्य प्रदेश में तापमान बढ़ने लगा है।

कृषि विशेषज्ञों ने तापमान बढ़ने के कारण गेहूं की फसल के समय से पहले पकने पर गेहूं की गुणवत्ता के साथ ही उत्पादन पर 10 प्रतिशत तक की कमी आने की आशंका जाहिर की है। साथ ही नुकसान से बचने के लिए किसानों को खेत में नमी बनाए रखने के लिए फसल में पानी देने की सलाह दी है। मौसम विज्ञान केंद्र से मिली जानकारी के मुताबिक पिछले 24 घंटों के दौरान मध्य प्रदेश के सभी संभागों के जिलों में मौसम मुख्यत: शुष्क रहा। सभी संभागों के जिलों में टेम्परेचर बढ़ रहा है।

बीते दिनों भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने भी गुजरात और महाराष्ट्र के कुछ जिलों के लिए लू की चेतावनी जारी की।महाराष्ट्र के रायगढ़ और रत्नागिरी जिलों और गुजरात के शहरों राजकोट, सुरेंद्रनगर और कच्छ के लिए 20 से 22 फरवरी तक अलर्ट जारी किया गया था।

गेहूं की फसल, बस्ती, यूपी
काला नमक चावल के उत्पादन से लाखों का मुनाफा कमा रहे पूर्वांचल के किसान

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