मध्य प्रदेश: ग्रीन बेल्ट में 600 से ज्यादा कब्जे, एनजीटी के निर्देश के बाद भी धीमी कार्रवाई

राजधानी भोपाल में सबसे ज्यादा अतिक्रमण अयोध्या बायपास, अरेरा कालोनी, करोंद से भानपुर चौराहा, छोला-बैरसिया रोड पर हैं। यहां पर सेंट्रल वर्ज से हरियाली गायब हो गई है।
मध्य प्रदेश: ग्रीन बेल्ट में 600 से ज्यादा कब्जे, एनजीटी के निर्देश के बाद भी धीमी कार्रवाई

भोपाल। राजधानी भोपाल में ग्रीन बेल्ट क्षेत्र में अतिक्रमण के खिलाफ जिला प्रशासन और नगर निगम की कार्रवाई काफी धीमी है। पूरे शहर में लगभग 600 से अधिक कब्जे है, लेकिन निगम सिर्फ 200 ही अतिक्रमण को हटा पाया है। इनमें स्थायी और अस्थायी अतिक्रमण शामिल हैं। फिर भी निगम प्रशासन की कार्रवाई पर विराम लग गया है। यह कार्रवाई एनजीटी के आदेश पर कलेक्टर के निर्देशों पर शुरू की गई थी। 

बता दें कि राजधानी परियोजना वनमंडल की स्थापना 1986 में भोपाल में हरियाली बढ़ाने की दृष्टि से की गई थी। इसके द्वारा सेंट्रल वर्ज एवं साइड वर्ज में विगत वर्षों में विभिन्न स्थलों पर पौधारोपण कराया गया। राजधानी परियोजना ने चार वन मंडल में कुल 692 अतिक्रमण चिह्नित किए हैं। इन स्थानों पर कॉन्क्रीट के पक्के निर्माण तक किए जा चुके है।

सबसे ज्यादा अतिक्रमण अयोध्या बायपास, अरेरा कालोनी, करोंद से भानपुर चौराहा, छोला-बैरसिया रोड पर हैं। यहां पर सेंट्रल वर्ज से हरियाली गायब हो गई है। लोग अपने वाहन खड़े कर रहे हैं। साथ ही बेसहारा मवेशियों का ठिकाना बन गए हैं। वहीं फुटपाथ पर भी स्थायी अतिक्रमण पसरा हुआ है उक्त स्थानों के अलावा शाहपुरा में किचन गार्डन, ईश्वर नगर में झुग्गियों और अयोध्या बायपास में पार्किंग और दुकानों ने हरियाली को खत्म कर दिया है। जबकि यह सब नगर निगम और प्रशासन के सामने होता रहा, लेकिन जिम्मेदारों ने किसी तरह की कोई कार्रवाई नहीं की।

इन क्षेत्रों में है अतिक्रमण 

भोपाल शहर के करोंद चौराहा से भानपुर आशाराम चौराहा तक करीब 150 स्थानों पर पटेल नगर से 11 मील तक करीब 125 स्थानों पर नीलबड़ से मुगालिया छाप तक 30 से अधिक जगह नयापुरा पहाड़ पर चार स्थायी स्थानों पर पटेल नगर से भेल टीन शेड 85 जगहों पर अयोध्या बायपास पर 150 से अधिक स्थानों पर 11 मील से दीपड़ी तक 40 से ज्यादा जगहों पर ईश्वर नगर में 10 से ज्यादा झुग्गी क्षेत्र है। लिंक रोड नंबर-तीन पर 40 से अधिक स्थानों पर साकेत नगर में 12 से अधिक जगह अरेरा कालोनी में 32 से अधिक जगहों पर और ईदगाह हिल्स कलेक्ट्रेट के पास पहाड़ी पर 150 से अधिक स्थानों के ग्रीन बेल्ट पर कब्जा है।

फौरी कार्रवाई खानापूर्ति की कोशिश

दरअसल, ग्रीन बेल्ट से अतिक्रमण हटाने के लिए साल 2022 में एनजीटी निर्देश दिया था। एनजीटी के आदेश का पालन कराने के लिए भोपाल के तत्कालीन कलेक्टर आशीष सिंह द्वारा 25 नवंबर 2023 को कार्रवाई शुरू की गई थी। चार दिन चली कार्रवाई के दौरान सेंट्रल वर्ज और सड़क किनारे से लगभग 200 छोटे और अस्थायी अतिक्रमण ही हटाए गए थे। इसके बाद से कार्रवाई बंद हो गई है। इसके बाद 19 दिसंबर को 11 मील बायपास एवं खजूरीकलां बायपास पर कार्रवाई की गई थी। जहां से मात्र 17 अतिक्रमण को ग्रीन बेल्ट क्षेत्र से हटाया गया था।

प्रशासन की लापरवाही से हुआ कब्जा

ग्रीन बेल्ट के मामले में याचिकाकर्ता और पर्यावरणविद डॉ. सुभाष सी पांडेय ने बताया कि निगम जिला प्रशासन की अनदेखी कारण ग्रीन बेल्ट पर कब्जा हो गए हैं। एनजीटी के निर्देश है कि कब्जों को हटाया जाए, लेकिन प्रशासन सिर्फ कहने भर को कार्रवाई कर चुप बैठ जाता है।  

इधर, द मूकनायक से बातचीत करते हुए नगर निगम भोपाल के जनसंपर्क अधिकारी प्रेमशंकर शुक्ला ने बताया कि ग्रीन बेल्ट के कब्जे को अभियान चलाकर हटाते है। अभी तक 200 से ज्यादा अतिक्रमण निगम ने हटाया था। आगे भी अभियान चलाया जाएगा। 

क्या होता है ग्रीन बेल्ट?

हरित पट्टी (ग्रीन बेल्ट) ऐसा क्षेत्र होता है जहाँ किसी भी प्रकार का निर्माण वर्जित होता है और केवल वन, क्षुप या अन्य वनस्पतियों को उगने दिया जाता है। अक्सर यह नगरीय क्षेत्रों में बनाई जाती है ताकि वायु शुद्धि में सहायता हो, प्राणियों व पक्षियों को आश्रय मिले और नागरिकों को मनोविनोद के लिए एक प्राकृतिक स्थान मिले। साधारण रूप से यह नगर के बाहर या उसके बीच निर्धारित क्षेत्रों में होती है।

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