मध्य प्रदेश: मादा चीता की किडनी फेल होने से मौत, वन्य अधिकारियों पर लग रहे लापरवाही के आरोप

नामीबिया से भारत लाए गए थे चीते, कूनो नेशनल पार्क में था रहवास, दो अन्य चीतों के स्वास्थ्य खराब होने की सूचना
मध्य प्रदेश: मादा चीता की किडनी फेल होने से मौत, वन्य अधिकारियों पर लग रहे लापरवाही के आरोप

भोपाल। पिछले साल नामीबिया से मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क लाए गए आठ चीतों में से सोमवार को एक मादा चीते की मौत हो गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्म दिन यानी 17 सितंबर को नामीबिया से कूनो नेशनल पार्क में यह चीते लाए गए थे। 5 साल की मादा चीता साशा की मौत हो गई। वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट ने मौत का कारण रीनल फेल्योर यानी किडनी खराब होना माना है। जानकारी के मुताबिक साशा 22 जनवरी से बीमार थी, डिहाइड्रेशन के कारण उसे तरल खाद्य पदार्थ दिया जा रहा था। इधर, राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण के एडीजी एसपी यादव ने कहा है कि भारत आने से पहले ही साशा को किडनी की बीमारी थी। चीते की मौत की थ्योरी पर अब सवाल यह उठ रहे है। आरोप लग रहे है कि अगर मादा चीता साशा बीमार थी तो उसे भारत क्यों लाया गया।

बताया जा रहा है कि 22 जनवरी को जब साशा की तबीयत बिगड़ी तो नामीबिया के चीता फाउंडेशन से साशा की ट्रीटमेंट हिस्ट्री मंगाई गई। उसी में बीमारी पता चली। वहां 15 अगस्त 2022 को यानी भारत आने के पहले उसके खून के आखिरी नमूने लिए गए थे, तब उसका क्रियेटिनिन का स्तर 400 से ज्यादा मिला था। वहीं साशा ने नामीबिया में पहले कभी एक प्लास्टिक बॉल खा ली थी, जिसके बाद उसका ऑपरेशन कर पेट से बॉल निकाली गई थी। यह बात भी सामने आईं है।

क्वारेंटीन बाड़े में थी साशा

चीतों के मॉनीटरिंग दल ने 22 जनवरी को पहली बार साशा को सुस्त पाया था, इसके बाद उसे बड़े बाड़े से क्वारेंटीन में शिफ्ट किया गया था। 3 एनिमल डॉक्टरों की टीम उसकी देखभाल कर रही थी। ब्लड सैंपल की जांच भोपाल स्थित वन विहार की वेटरनरी लैब में कराने के बाद उसके किडनी में संक्रमण का पता चला था। अल्ट्रासाउंड में किडनी में गंभीर इन्फेक्शन की पुष्टि हुई।

प्रधान मुख्य वन संरक्षक वन्य-प्राणी जे.एस. चौहान के मुताबिक चीता के स्वास्थ्य की देख-रेख के लिए तैनात 3 पशु चिकित्सकों ने मादा चीता के स्वास्थ्य परीक्षण के बाद उसे बीमार पाया था। साशा को उसी दिन क्वारेंटाइन बाड़े में लाया गया। चीता को जांच के लिए वन विहार राष्ट्रीय उद्यान में स्थित लैब में लाया गया था यहाँ अल्ट्रासाउंड और खून के नमूनों की जाँच से यह जानकारी सामने आई थी कि साशा के गुर्दों में संक्रमण है।

पीसीसीएफ वाइल्ड लाइफ चौहान के मुताबिक भारतीय वन्य जीव-संरक्षण देहरादून के वरिष्ठ वैज्ञानिकों और कूनों राष्ट्रीय उद्यान प्रबंधन द्वारा चीता कंजर्वेंशन फाउंडेशन, नामीबिया से साशा की ट्रीटमेंट हिस्ट्री प्राप्त होने पर यह जानकारी मिली थी कि 15 अगस्त 2022 को नामीबिया में खून के नमूने की गई अंतिम जाँच में भी क्रिएटिनिन का स्तर 400 से अधिक पाया गया था, जिससे यह पुष्टि हुई है कि साशा को किडनी की बीमारी भारत आने के पहले से ही थी।

उन्होंने बताया साशा की बीमारी का पता लगते ही प्राणी चिकित्सकों और नामीबियाई विशेषज्ञ डॉ. इलाई वॉकर द्वारा लगातार दिन-रात परीक्षण कर उपचार किया गया। इसके साथ ही चीता कंजर्वेशन फाउंडेशन, नामीबिया तथा प्रिटोरिया विश्वविद्यालय, दक्षिण अफ्रीका के विशेषज्ञ डॉ. एड्रियन टोर्डिक, डॉ. एन्डी फ्रेजर, डॉ. माइक तथा फिन्डा गेंम रिजर्व के वरिष्ठ प्रबंधक से साशा के स्वास्थ्य के विषय में विस्तार से चर्चा की गई। इन सभी विशेषज्ञों और चिकित्सकों से साशा का स्वास्थ्य परीक्षण कराया गया और उनकी सलाह के अनुसार साशा का इलाज भी किया गया।

नामीबिया से लाए गए शेष 7 चीता, जिनमें 3 नर और 1 मादा है उन्हें खुले वन क्षेत्र में छोड़ा गया है और वह सभी पूरी तरह से स्वस्थ है, शिकार कर रहे हैं। दक्षिण अफ्रीका से लाए सभी 12 चीता वर्तमान में क्वारेंटाइन बाड़ों में स्वस्थ है।

द मूकनायक से बातचीत करते हुए पर्यावरणविद इंद्रभान सिंह बुंदेला ने बताया कि वन्यजीव अपने अनकूल एनवायरमेंट को छोड़ कर किसी नई जगह जाते है तो उनके स्वास्थ्य में कई तरह के बदलाव देखने को मिलते है। उन्होंने बताया कि कोई भी वन्यजीव को दूसरे एनवायरमेंट में अनुकूल होने में समय लगता है। कई बार इनकी अगली पीढ़ी उस वातावरण को अपना पाती है।

साशा की मौत पर उठ रहे सवाल

वन्यप्राणी विशेषज्ञ अजय दुबे ने साशा की मौत पर गंभीर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि लापरवाह अधिकारियों के खिलाफ वह सुप्रीम कोर्ट जाएंगे। करोड़ों रुपये खर्च कर वनमंत्री, वन अधिकारी नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका गए थे। तब उन्होंने चीता का स्वास्थ्य क्यों नहीं देखा। उसकी मौत के जिम्मेदार वन अधिकारी हैं। उनपर कार्रवाई होनी चाहिए।

द मूकनायक की प्रीमियम और चुनिंदा खबरें अब द मूकनायक के न्यूज़ एप्प पर पढ़ें। Google Play Store से न्यूज़ एप्प इंस्टाल करने के लिए यहां क्लिक करें.

Related Stories

No stories found.
The Mooknayak - आवाज़ आपकी
www.themooknayak.com