इलेक्ट्रॉनिक कचरे से पर्यावरण प्रदूषित, भोपाल में ई-वेस्ट क्लीनिक से की जा रही प्रोसेसिंग

इलेक्ट्रॉनिक कचरे से पर्यावरण प्रदूषित, भोपाल में ई-वेस्ट क्लीनिक से की जा रही प्रोसेसिंग

भोपाल। देश में ई-कचरे की डंपिंग एक बड़ी समस्या बनी हुई है। इस वजह से पर्यावरण भी लगातार प्रदूषित हो रहा है। लोगों में बीमारियों का खतरा बढ़ गया है। देश में हर साल भारी मात्रा में इलेक्ट्रॉनिक वेस्ट निकलता है। इनमें कम्प्यूटर, लेपटॉप, टेबलेट, मोबाइल फोन, फ्रिज, टीवी और अन्य खराब इलेक्ट्रॉनिक उपकरण और उनकी एक्सेसरीज शामिल हैं। इलेक्ट्रॉनिक वेस्ट को संभालना और उसे रीसाइकल करना बेहद मुश्किल काम है। ई-कचरे में कई प्रकार के तत्व और मेटल होते हैं, जिनसे निकलने वाली जहरीली गैसें पर्यावरण की सेहत को खराब कर रही हैं।

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में साल 2019-2020 में लाखों टन ई-कचरा निकला। इनमें खराब बैटरियों से निकलने वाले अपशिष्ट पदार्थ भी शामिल हैं। हालांकि, हाल के दिनों में इन पदार्थों के रीसाइक्लिंग कर पर्यावरण सुरक्षा की बात होती रही हैं।

सरकार अपने स्तर पर इस दिशा में काम कर रही है। पर्यावरण के जानकार कहते है। ये अपशिष्ट पदार्थ सार्वजनिक और पर्यावरणीय स्वास्थ्य को भी खतरे में डाल सकते हैं। इनमें सीसा, लिथियम, पारा और कैडमियम जैसे विभिन्न खतरनाक रसायन शामिल हैं। हाल के दिनों में बहुतायत मात्रा में अपशिष्ट पदार्थों की रीसाइक्लिंग भी हो रही है।

भारत में ई-अपशिष्ट के प्रबंधन में सबसे बड़ी चुनौती लोगों की कम भागेदारी है। उपयोग किए गए इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को रीसाइक्लिंग के लिए नहीं दिए जाने का एक प्रमुख कारक उपभोक्ताओं की उदासीनता भी है। वहीं अब भी लोगों के अंदर इसको लेकर जागरूकता की काफी कमी है।

भोपाल में ई वेस्ट क्लीनिक से होती है प्रोसेस

सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड और नगर निगम के बीच सहमति बनने के बाद 2020 में राजधानी में पहला ई वेस्ट क्लीनिक शुरू किया गया था। इस क्लीनिक में ई-वेस्ट यानी मोबाइल, चार्जर से लेकर कंप्यूटर तक की प्रोसेसिंग की जाती है। इसके साथ ही जिस ई-वेस्ट की प्रोसेसिंग संभव नहीं होती, उसके कबाड़ से कलाकृति बनाई जाती है।

ई वेस्ट क्लीनिक संचालित करने वाला भोपाल देश में पहला शहर है। ई वेस्ट क्लीनिक में लोगों के घर से निकले इलेक्ट्रॉनिक कचरे को प्रोसेस किया जाता है। इसके लिए नगर निगम के द्वारा संचालित कचरा गाड़ी में ही सूखे-गीले कचरे के साथ ई वेस्ट का एक छोटा कचरा डब्बा लगाया गया है। जिसमें ई-वेस्ट को अन्य कचरे से अलग रखा जा सके।
द मूकनायक ने भोपाल नगर निगम पीआरओ प्रेमशंकर शुक्ला से बातचीत की उन्होंने बताया कि ई वेस्ट पर्यावरण के लिए हानिकारक है। इसलिए कचरा कलेक्शन करने वाली गाडि़या इन्हें अलग से एकत्रित करती है ताकि इसे नष्ट किया जा सके।

कबाड़ से जुगाड़ के तहत निर्मित कलाकृतियां-

नगर निगम ने पूर्व में कबाड़ से जुगाड़ के तहत रोशनपुरा चौराहे पर रेडियो लगा चुका है। इस रेडियो पर स्वच्छता के संदेश प्रसारित किए जाते थे। इसके साथ ही लेक व्यू पर कम्प्यूटर उपकरण से गिटार बनाया गया है।


द मूकनायक ने आर वन संस्थान से जुड़े पनव देशपाण्डे से बातचीत की जो कबाड़ से कई आकर्षक कलाकृतियों को बनाते है। पवन ने बताया कि हमारी टीम ऐसे स्क्रेप को काम में लाते है जिसका रिसायकल नहीं किया जा सकता और न ही उसे किसी अन्य उपयोग में लिया जा सकता है। उन्होंने कहा कि हमें लोगों को जागरूक करने की जरूरत है। इस कचरे से भी आकर्षक चीजें बनाई जा सकती हैं।

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