मध्यप्रदेश: हिमालय का निवासी दुर्लभ पक्षी बना भोपाल के वेटलैंड का मेहमान, सीजन में 30 हजार प्रवासी पक्षी आए

प्रवासी पक्षियों की गणना का काम पूरा, पक्षियों की आवक बढ़ी, नतीजों से खुश हैं पक्षीविद्
मध्यप्रदेश: हिमालय का निवासी दुर्लभ पक्षी बना भोपाल के वेटलैंड का मेहमान, सीजन में 30 हजार प्रवासी पक्षी आए

भोपाल। राजधानी भोपाल के आस-पास वेटलैंड्स पर इस बार हुई पक्षी गणना में 30 हजार से भी ज्यादा पक्षी भोपाल पहुँचने की जानकारी मिली है। लेकिन खासबात यह है कि इस बार हिमालय का दुर्लभ पक्षी फायर कैप्ड टिट (रक्तशिर चिचिल्कोटे) को चिह्नित किया गया है। हिमालय के तराई क्षेत्रों में रहने वाला यह पक्षी 10 सेंटीमीटर का होता है, जो ठंड के दौरान प्रवास पर रहता है। इस बार भोपाल में शीतकालीन प्रवासी पक्षियों की विभिन्न प्रजातियों ने डेरा जमाया है।

इस बार भोपाल के बेटलैंड्स पर फायर कैप्ड नजर आया है। यह पक्षी काफी दुर्लभ माना जाता है। यह मूलतः हिमालय का निवासी है। आमतौर पर यह 1800 से 2600 मीटर की ऊंचाई पर अपना घोंसला बनाते हैं। सिर पर लाल निशान के कारण इसे फायर कैप्ड टिट कहा जाता है। इसके अलावा इस बार की गणना में संकटग्रस्त प्रजातियों में सारस क्रेन, पेंटेड स्टार्क, ओरिएंटल डार्टर, अलेक्सेंड्रिन पैराकीट, ब्लैक हेडेड आइबिस भी मिले हैं।

जानकारी के मुताबिक, शीतकाल में स्थानीय प्रजातियों सहित यूरोप और हिमालय के तराई क्षेत्रों में प्रवास करने वाले 155 प्रजाति के 30 हजार से भी ज्यादा पक्षी भोपाल पहुंचे हैं। यह पक्षी मुख्य रूप से रामसर साइट बड़ा तालाब के आस-पास के संरक्षित क्षेत्र में अपना डेरा डाले हुए हैं और ग्रीष्मकाल के पूर्व तक यहाँ ठहरते हैं। मध्य प्रदेश राज्य वेटलैंड अथॉरिटी, वन विहार राष्ट्रीय उद्यान और वीएनएस नेचर सेवियर्स के सहयोग से चौथी भोज वेटलैंड शीतकालीन पक्षी गणना का रविवार को समापन हुआ है। पर्यावरण और पक्षी विशेषज्ञ, डॉ. संगीता राजगीर, मो. खालिक, डॉ. विपिन धोटे, कृताली चिंदरकर, अंकित मालवीय मुख्य रूप से गणना में शामिल रहे। इस बार के पांच चरणों में आयोजित पक्षी गणना कार्यक्रम में मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, हरियाणा, बिहार, केरल, असम और कर्नाटक के 210 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया है।

गणना में शामिल पक्षी विशेषज्ञ मोहम्मद खालिक ने बताया कि, फायर कैप्ट टिट का रहवास मूल रूप से हिमालय पर्वत श्रेणी क्षेत्र में होता है। ग्रीष्म काल में यह समुद्री तल से 1800 से 2600 मीटर की ऊंचाई पर अपने घोंसले तैयार करता है और उसी दौरान प्रजनन भी करता है। जैसे बारिश और तेज ठंड की शुरुआत होती है, पक्षी प्रवास पर निकल पड़ता है। भोपाल में कई वर्षों बाद यह पक्षी नजर आया है।

यह पक्षी भी हुए चिह्नित

शीतकालीन प्रवासी पक्षी गणना कार्यक्रम के समापन के बाद मिली जानकारी के अनुसार विभिन्न प्रजातियों के पक्षियों को इस बार चिन्हित किया गया, जिसमें मुख्य रूप से रेड क्रेस्टेड पोचार्ड, कामन पोचार्ड, रेड नेपड आइबिस, नार्थेर्न शोवलर, कामन टील, ब्लैक हेडेड बंटिंग, रेड हेडेड बंटिंग, ब्रह्मिनी शेल्डक, ब्लू थ्रोट, लैसर वाइट थ्रोट, ग्रीन सैंडपीपर, ब्राउन हेडेड गल्ल, ब्लैक हेडेड गल्ल, पर्पल हेरान, लार्ज कोर्मोरेंट, साइबेरियन स्टोन चौट, कामन चिफचौफ, यूरेशियन कूट, स्पाट बिल डक, लैसर व्हिस्लिंग डक, ग्लासी आइबिस, रेड स्टार्ट, कामन स्निप, यूरेशियन रायनेक, ग्रे लेग गूस, इंडियन थिकनी आदि।

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बरकतउल्ला यूनिवर्सिटी में जारी है प्रवासी पक्षियों की गणना

भोपाल बेटलैंड्स पर प्रवासी पक्षियों की गणना पूरी हो चुकी है। लेकिन राजधानी के बरकतउल्ला विश्वविद्यालय में पक्षियों की गणना का काम अभी भी जारी है। द मूकनायक से बातचीत करते हुए पर्यावरण विभाग के प्रोफेसर डॉ. विपिन व्यास ने बताया है कि विवि परिसर में अभी पक्षियों की गणना जारी है। हम अलग-अलग टीम बना कर इनकी गणना कर रहे है। डॉ. व्यास ने बताया कि अभी तक हमने 30 प्रजातियों को चिन्हित किया है। अभी और पक्षियों के आने की उम्मीद है।

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