शिक्षक संगठन व आमजन उर्दू भाषा बचाने के लिए करेंगे आंदोलन
जयपुर। राजकीय प्राथमिक विद्यालयों में उर्दू भाषा की पढ़ाई शुरू करने की मांग करने वाले शिक्षक नेता अमीन अली कायमखानी को निलम्बित कर दिया गया है। शिक्षा विभाग ने निलंबन काल में शिक्षक का मुख्यालय जयपुर से सैकड़ो किलोमीटर दूर बांसवाड़ा जिला मुख्यालय रखा है। शिक्षक नेता के निलंबन को लेकर राजस्थान के शिक्षक संगठनों में रोष है। वहीं राजस्थान की कांग्रेस सरकार पर उर्दू के लिए आवाज उठाने वालों के दमन के आरोप भी लग रहे हैं।
शिक्षक दिवस पर यह कैसा सम्मान!
उर्दू शिक्षक संघ प्रदेश अध्यक्ष अमीन अली कायमखानी गत सोमवार को जयपुर में हुए राज्य स्तरीय शिक्षक सम्मान समारोह में सरकार के निमंत्रण पर शरीक हुए थे। जैसे ही शिक्षा मंत्री डॉ. बीडी कल्ला ने मंच से बोलना शुरू किया तो शिक्षक नेता ने खड़े होकर शिक्षा मंत्री को मुख्यमंत्री बजट घोषणा 2021 का वादा याद दिला दिया। इससे शिक्षा मंत्री नाराज हो गए। आरोप है कि मंत्री के इशारे पर उनके निजी लोगों ने शिक्षक नेता को अपमानित कर समारोह स्थल से बाहर निकाल दिया।
यह था बजट घोषणा का वादा
द मूकनायक को उर्दू शिक्षक संघ प्रदेशाध्यक्ष अमीन अली कायमखानी ने बताया कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बजट घोषणा 2021 में राज्य के प्राथमिक विद्यालयों में उर्दू तालीम पुनः बहाल करने की घोषणा की थी, लेकिन इस घोषणा पर अभी तक कोई अमल नहीं हुआ। खास बात यह है कि उर्दू की निशुल्क पाठ्य पुस्तक भी नहीं भेजी गई। अमीन बताते है कि शिक्षक सम्मान समारोह में मैने शिक्षा मंत्री को मुख्यमंत्री की बजट घोषणा का वादा याद दिलाया था। इस बात पर मुझे निलंबित कर दिया गया। उन्होंने आरोप लगाया कि उर्दू जुबान व तहजीब को खत्म किया जा रहा है। उर्दू किसी धर्म की भाषा नहीं है।
उर्दू शिक्षक संघ के प्रदेश महासचिव नबीशेर खान ने कहा कि राजस्थान के प्राथमिक सरकारी विद्यालयों में सिंधी, संस्कृत, पंजाबी, सहित अन्य भाषाएं पढ़ाई जा रही है तो फिर सरकार को उर्दू से परहेज क्यों है। राजस्थान के उर्दू पढ़ने वाले बच्चों को दूसरी तृतीय भाषाएं पढ़ने पर मजबूर किया जा रहा है। 2004 में राजस्थान माध्यमिक शिक्षा निदेशालय ने एक आदेश जारी कर सर्वे कराया था कि जहां भी सरकारी विद्यालयों में 10 या इससे अधिक विद्यार्थी उर्दू पढ़ने वाले होंगे। वहां उर्दू शिक्षक का पद सृजित किया जाएगा। बीते वर्ष शिक्षा मंत्री रहते कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने भी सरकारी विद्यालयों में उर्दू शिक्षक लगाने के लिए 10 बच्चों के नामांकन की बात दोहराई थी, लेकिन धरातल पर काम नहीं हुआ। राजस्थान में ऐसे 11 हजार 728 मदरसे है। जहां उर्दू पढ़ने वाले बच्चों का अच्छा खासा नामांकन है, लेकिन सरकार उर्दू शिक्षा के दमन पर तुली हुई है।
याद दिला रहे वादा
राजस्थान में विपक्ष में रहते कांग्रेस पार्टी सदस्यों ने उर्दू को न्याय दिलाने के लिए प्रदेश भर में आंदोलन किए थे। विशेष कर अल्पसंख्यक समुदाय से आने वाले नेताओं ने उर्दू के साथ भेदभाव बर्दाश्त नहीं करने की कसमें खाई थीं। सत्ता में आने पर उर्दू तालीम को सरकारी विद्यालयों में सम्मान दिलाने का वादा भी किया था। उर्दू तालीम के लिए संघर्ष कर रहे जुल्फिकार खान बताते है कि कांग्रेस पार्टी ने राजस्थान की सत्ता पर काबिज होने के बाद उर्दू भाषा से मुंह फेर लिया। उर्दू तालीम की तरक्की के लिए कोई कदम नहीं उठाए। वादे के मुताबिक उर्दू को सम्मान दिलाने की बजाय उर्दू के लिए आवाज उठाने वालों पर निलंबन की कार्रवाई कर दबाने का प्रयास किया जा रहा है। सरकार अपना निर्णय वापस कर शिक्षक नेता को बहाल करे। नहीं तो उर्दू के सम्मान में राजस्थान में आंदोलन होगा।
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