राजस्थानः फिर संविदा शिक्षक रखने की तैयारी!

सूबे के महात्मा गांधी अंग्रेजी माध्यम स्कूलों में 10 हजार संविदा शिक्षकों की भर्ती की प्रक्रिया शुरू, ऑनलाइन आवेदन मांगे। इधर, शैक्षिक जगत के लोगों ने कहा-सरकार स्थायी भर्ती करे
राजस्थानः फिर संविदा शिक्षक रखने की तैयारी!

जयपुर। राजस्थान में हजारों मदरसा पैराटीचर्स, शिक्षाकर्मी, राजीव गांधी पैराटीचर, पंचायत सहायक आंदोलन पर है। चुनावी वादे के मुताबिक कांग्रेस सरकार इन्हें नियमित नहीं कर पाई है।

इधर, सरकार ने महात्मा गांधी राजकीय विद्यालय (अंग्रेजी माध्यम) व राजकीय अंग्रेजी माध्यम स्कूलों में संविदा शिक्षक रखने की अनुमति के साथ ऑनलाइन आवेदन मांग कर 10 हजार बेरोजगारों को रोजगार देने की बात कही है। सरकार के इस कदम से आंदोलित संविदाकर्मी आक्रोशित है।

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने 1206 महात्मा गांधी राजकीय विद्यालयों व पहले से संचालित राजकीय अंग्रेजी माध्यम स्कूलांे में शिक्षकों की कमी को देखते हुए 10 हजार संविदा शिक्षक रखने की अनुमति जारी कर 1 मार्च तक ऑनलाइन आवेदन मांगे है।

राजस्थान शिक्षा विभाग ने यहां गैर अनुसूचित क्षेत्र व अनुसूचित क्षेत्र के विद्यालयों में संविदा शिक्षक पदों का निर्धारण किया है। गैर अनुसूचित क्षेत्र के विद्यालयों में सरकार सहायक अध्यापक लेवल प्रथम के पद पर 6 हजार 670 संविदा शिक्षक रखेगी। इसके अलावा इन विद्यालयों में 1219 पदों पर सहायक अध्यपक लेवल दित्तीय (अंग्रेजी) व 1219 पदों पर ही सहायक अध्यापक लेवल दित्तीय (गणित) के संविदा शिक्षक रखे जाने है।

अगर अनुसूचित जनजाति क्षेत्र के जिलेवार विद्यालयों में संविदा शिक्षक के पदों की बात करें तो बांसवाड़ा में सहायक अध्यापक लेवल प्रथम के 94, अंग्रेजी के 21 व गणित के 21, चित्तौड़गढ़ में केवल सहायक अध्यापक लेवल प्रथम के 05 पद अन्य विषयों के नहीं। डूंगरपुर में सहायक अध्यापक लेवल प्रथम के 152, अंग्रेजी के 14 व गणित के 14 पद, प्रतापगढ़ में सहायक अध्यापक लेवल प्रथम के 62, अंग्रेजी के 7, गणित के 7, सिरोही में सहायक अध्यापक लेवल प्रथम के 12, अंग्रेजी के 4 व गणित के 4 पद, उदयपुर में सहायक अध्यापक लेवल प्रथम के 145, अंग्रेजी के 21 व गणित के 21 पद निर्धारित किए हैं।

9 साल 16 हजार 900 में करना होगा काम

राजस्थान के महात्मा गांधी राजकीय विद्यालय (अंग्रेजी माध्यम) एवं राजकीय अंग्रेजी माध्यम स्कूलों में संविदा शिक्षक पद पर चयन होने के प्रति माह 16 हजार 900 रुपए मानदेय मिलेगा। यहां अन्य किसी भी प्रकार के भत्ते नहीं दिए जाएंगे। चयनित संविदा शिक्षक जब नियमित 9 वर्ष सेवा देगा। इसके बाद 29 हजार 600 रुपए प्रति माह मानदेय कर दिया जाएगा।

जुल्फिकार खान, प्रदेशाध्यक्ष अल्पसंख्यक सेवा संघ
जुल्फिकार खान, प्रदेशाध्यक्ष अल्पसंख्यक सेवा संघ

सरकारी महकमों में संविदा भर्ती के बहाने सरकारों द्वारा रोजगार के दावे करने के सवाल पर अल्पसंख्यक सेवा संघ प्रदेशाध्यक्ष जुल्फिकार खान ने द मूकनायक को बताया कि यह रोजगार नहीं शोषण है। खान ने आगे कहा कि राजस्थान में शिक्षा के विभिन्न प्लेटफॉर्मस् पर 15 से 25 साल से राज्य सरकार बेरोजगारों से अल्प मानदेय में काम ले रही है। यह भी इतना ही काम करते हैं, जितना भारी भरकम तनख्वाह पाने वाले स्थायी शिक्षक करते हैं।

उन्होंने आगे कहा कि अपने चुनाव से पूर्व अपने घोषणा पत्र में संविदा कर्मियों को नियमित करने का वादा किया था। वादे से मुकर गए। अब फिर बेरोजगारों का शोषण करने के लिए संविदा शिक्षक लगा रहे हैं। 9 साल तक केवल 16 हजार 900 रुपए में काम करवाएंगे। 9 साल लगातार काम करने के बाद प्रति माह 29 हजार 600 रुपए देने की बात हो रही है। हालांकि इसकी कोई गारंटी नहीं है। खास बात यह है कि भविष्य के लिए कोई सेक्युरिटी नहीं है। रिटायरमेंट के समय खाली हाथ घर भेज दिया जाएगा।

सरकारी महकमों में संविदा प्रणाली बन्द हो

सवाईमाधोपुर जिले में शिक्षा के साथ समाज सेवा से जुड़े आदिवासी मुकेश भूप्रेमी कहते हैं कि संविदा के नाम पर धीरे-धीरे सरकारी तंत्र को नष्ट किया जा रहा है। चाहे शिक्षा का सरकारी तंत्र हो या फिर अन्य सरकारी विभाग। सभी जगह सरकार संविदाकर्मी रखने पर ज्यादा ध्यान दे रही है।

मुकेश भूप्रेमी- शिक्षक व समाज सेवी
मुकेश भूप्रेमी- शिक्षक व समाज सेवी

भूप्रेमी आगे कहते हैं कि मेरा मत है कि सबसे पहले शिक्षा, चिकित्सा के साथ सभी सरकारी दफ्तरों में संविदा प्रणाली बन्द हो। सरकारी ढांचे में स्थायी, जवाबदेही जिम्मेदार लोगों को लगाए जाने की बात होना चाहिए। संविदा की जगह सरकार संविधान की पालना करते हुए स्थायी कार्मिकों की भर्ती करे। उन्होंने कहा कि पहले

बिना किसी अतिरिक्त भत्ते के स्थायी कर्मचारी की तरह अल्प मानदेय में काम लेंगे। सरकार इसे रोजगार बता रही है, लेकिन यह बेरोजगारों का शोषण माना जाना चाहिए। बेरोजगारों को भी इस सरकारी शोषण का विरोध कर स्थायी रोजगार की मांग करना चाहिए।

सवाईमाधोपुर जिले के बहतेड़ गांव के मूल निवासी मोहम्मद आसिफ खान ने बताया कि वह गांव से 40 किलोमीटर दूर जिला मुख्यालय के एक मदरसे में 2008 से पैराटीचर पद पर काम कर रहा है। 80 प्रतिशत दिव्यांग अल्प मानदेय में अस्थायी रूप से बच्चों को पढ़ा रहा है। उसे लगभग 10 हजार रुपए मासिक मानदेय मिलता है। इससे महंगाई के दौर में अब गुजारा नहीं चलता। आसिफ ने द मूकनायक को बताया कि सरकार संविदा के नाम पर बेरोजगारों का शोषण कर रही है। मदरसा पैराटीचर अभी तक नियमित की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे हैं।

मोहम्मद आसिफ खान, मदरसा पैराटीचर
मोहम्मद आसिफ खान, मदरसा पैराटीचर

मोहम्मद आसिफ कहते हैं कि राज्य सरकार स्थायी रोजगार नहीं दे कर बेरोजगारों को संविदा के नाम पर ठग रही है। जब स्थायी कर्मी व संविदाकर्मी समान काम कर रहे हैं तो फिर समान वेतन क्यों नहीं दे सकते।

रामावतार मीना, समाज सेवी
रामावतार मीना, समाज सेवी

सवाईमाधोपुर जिले के ही समाज सेवी रामावतार मीना ने द मूकनायक से कहा कि राज्य सरकार ने बिना किसी तैयारी के 1200 से अधिक हिंदी माध्य सरकारी स्कूलों को महात्मा गांधी अंग्रेजी माध्यम स्कूलांे में परिवर्तित कर दिया। हिंदी पढ़ने वाले विद्यार्थियों को सरकारी से निजी स्कूल में जाना पड़ा। जबरदस्ती सरकार ने हिंदी पढ़ने के इच्छुक विद्यार्थियों को अंग्रेजी माध्यम पढ़ने के लिए मजबूर किया, लेकिन आपके पास अंग्रेजी पढ़ाने के लिए शिक्षक ही नहीं है।

मीना कहते हैं कि आप महात्मा गांधी अंग्रेजी माध्यम स्कूल खोलने की तारीफ करते हो, लेकिन यह नहीं बताते की यहां बच्चों को अंग्रेजी माध्यम से पढ़ायेगा कौन। इन परिवर्तित स्कूलों में शिक्षक नहीं है। अब आप संविदा शिक्षक लगाने जा रहे हो। यह बच्चों के साथ अन्याय है। राज्य सरकार महात्मा गांधी राजकीय विद्यालय (अंग्रेजी माध्यम) में शिक्षकों की स्थायी भर्ती करें।

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