दिल्ली में प्राइवेट स्कूलों की बेतहाशा फीस बढ़ोतरी से पनपा आक्रोश

अभिभावक परेशान, बिना पैसों के कैसे मिलेगी शिक्षा
दिल्ली में प्राइवेट स्कूलों की बेतहाशा फीस बढ़ोतरी से पनपा आक्रोश

नई दिल्ली। किसी भी अभिभावक से उनकी सबसे बड़ी परेशानी के बारे में पूछ लो तो वह स्कूल फीस का जिक्र जरूर करेंगे। बीते कुछ सालों में स्कूल फीस में बहुत बढ़ोतरी हुई है। शहर के नामी प्राइवेट स्कूलों की फीस लाखों रुपयों तक में है। एक बार फिर से निजी स्कूलों ने नया सेशन शुरू होने के साथ फीस बढ़ा दी है। ऐसे में लोग कम फीस वाले स्कूल ढूंढने की कोशिश करते नजर आ रहे हैं।

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार नए एकेडमिक सेशन के साथ दिल्ली के कई प्राइवेट स्कूलों में फीस बढ़ी ही, साथ ही महंगी किताबों, यूनिफॉर्म, स्टेशनरी का बोझ भी पैरंट्स पर पड़ रहा है। पैरंट्स की शिकायत है कि कई प्राइवेट उनके स्कूल में बनी दुकान से या कुछ चुनिंदा दुकानों से ही किताबें लेने के लिए मजबूर कर रहे हैं, जिनमें बाकी दुकानों के मुकाबले कीमतें कई गुना हैं। उनका यह भी कहना है की किसी भी अभिभावक से उनकी सबसे बड़ी परेशानी के बारे में पूछ लो तो वो स्कूल फीस का जिक्र जरूर करेंगे. बीते कुछ सालों में स्कूल फीस में बहुत बढ़ोतरी हुई है. शहर के नामी प्राइवेट स्कूलों की फीस लाखों रुपयों तक में है. ऐसे में लोग कम फीस वाले स्कूल ढूंढने की कोशिश करते हैं। उन्हें ये स्कूल नए क्लास की किताबों की लिस्ट तक नहीं देते, किताबों का पूरा सेट लेने पर मजबूर करते हैं। दिल्ली के शिक्षा विभाग के अधिकारियों का कहना है कि स्कूल किसी भी एक वेंडर/दुकान से किताबें लेने के लिए पैरंट्स को मजबूर नहीं कर सकता, ऐसा करने पर स्कूलों का निरीक्षण कर उन पर कार्रवाई की जा सकती है।

टेंशन में अभिवावक

दिल्ली पैरंट्स एसोसिएशन की अध्यक्ष अपराजिता गौतम कहती है, अप्रैल आते ही फीस बढ़ोतरी की शिकायतें भी बढ़ने लगी है। कई स्कूलों ने 15 प्रतिशत तक फीस बढ़ाई है, कई का कहना है कि उन्हें शिक्षा निदेशालय ने इजाजत दी है, मगर विभाग का पत्र अभिभावकों को नहीं दिखाया जाता। हमारी लंबे समय से मांग रही है कि निदेशालय को अपनी वेबसाइट में यह जानकारी सार्वजनिक करनी चाहिए कि किस स्कूल को कितनी फीस बढ़ाने की इजाजत कब से मिली है।

मीडिया रिपोर्ट में ईस्ट दिल्ली के एक प्राइवेट स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे के पैरंट्स कहते हैं, मेरे बेटे की फीस 15 प्रतिशत बढ़ी है। स्कूल का कहना है कि सरकार ने उसे मंजूरी दी है, मगर आदेश हमें नहीं दिखाया गया है। वेस्ट दिल्ली के एक स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे के पैरंट ने बताया कि स्कूल ने ट्यूशन फीस, डेवलपमेंट फीस दोनों बढ़ाई है। दोनों बच्चों की फीस के लिए अब 8 हजार रुपए एक्स्ट्रा देना पड़ रहा है।

अभिभावकों में आक्रोश

प्राइवेट स्कूलों में फीस में बढ़ोतरी की शिकायतें बढ़ती जा रही हैं अभिभावकों का कहना है कि फीस बढ़ोतरी ने उनकी जेबें ढीली कर दी है। हाल के कई प्राइवेट स्कूलों का कहना है कि फीस बढ़ोतरी के लिए शिक्षा निदेशालय ने उन्हें अनुमति दी है और कई स्कूलों की फीस 7 साल बाद बढ़ी है। पैरंट्स का कहना है कि फीस कुछ सालों में किसी ना किसी बहाने बढ़ाई जाती है। दूसरी ओर एजुकेशन डायरेक्टर हिमांशु गुप्ता का कहना है कि पिछले दो-तीन साल कोविड-19 से प्राइवेट स्कूल फीस नहीं बढ़ा पाए और स्पीच टीचर्स के कुछ अलाउंस भी बड़े हैं। कई स्कूल घाटे में चले गए थे इसलिए शिक्षा निदेशालय ने ऑडिट के बाद फीस बढ़ाने की मंजूरी दी है। कई स्कूलों की जरूरत को देखते हुए शिक्षण के सामने 2018-19 और 2022 23 के लिए फीस बढ़ाने की अनुमति दी है।

द मूकनायक ने स्कूल की बढ़ती फीस पर एक ग्रहणी से बात की, जिनके दोनों बच्चे प्राइवेट स्कूल में पढ़ते हैं। वह कहती है कि "मेरे पति प्राइवेट जॉब करते हैं। उनका वेतन भी इतना नहीं है, कि इतनी ज्यादा फीस दी जा सके। अब तक बच्चों को जैसे-तैसे हम प्राइवेट स्कूल में पढ़ा रहे थे, लेकिन अब प्राइवेट स्कूल में पढ़ाना थोड़ा मुश्किल हो गया है। क्योंकि फीस इतनी बढ़ा दी गई है जो हमारे बजट से ऊपर जा रही है और कहीं ना कहीं महंगी किताबें यूनिफॉर्म भी हमसे खरीदी नहीं जा रही है। क्योंकि स्कूल वालों ने हर चीज पर पैसे बढ़ा दिये है। यहां तक की प्रिंसिपल ने यही कहा है कि आपको यूनिफार्म और किताबें स्कूल से ही लेनी होगी।"

महंगी किताबें यूनिफार्म खरीदने पर मजबूर नहीं कर सकते स्कूल - शिक्षा मंत्री दिल्ली

मीडिया की रिपोर्ट में दिल्ली के शिक्षा मंत्री आतिशी ने कहा है कि अगर प्राइवेट स्कूल अभिभावकों को किसी खास दुकान वेंडर से महंगी किताबें और स्कूल फॉर्म खरीदने के लिए मजबूर कर रहे हैं तो उनपर सख्त कार्रवाई की जाएगी। शुक्रवार को शिक्षा मंत्री ने कहा कि हर अभिभावक को नए सेशन से पहले किताबी यूनिफार्म के बारे में कुछ जानकारी लेना का पूरा अधिकार है। ताकि वह अपनी सुविधा के अनुसार इसकी व्यवस्था कर सकें। आतिशी ने कहा मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के निर्देश पर अधिकारियों ने ऐसे स्कूलों के खिलाफ सख्त एक्शन लेने को कहा है।

पेरेंट्स की शिकायत यह भी है कि स्कूल उन्हें किताबों का पूरा सेट खरीदने का दबाव बना रहे हैं। चाहे उन्हें उस सेट में कुछ ही किताबों की जरूरत है। उनका यह भी कहना है कि स्कूल उन्हें किताबों की लिस्ट भी नहीं दे रहे। साथ ही नोटबुक तक महंगे दामों पर खरीदने का दबाव डाल रहे हैं, जबकि ऑनलाइन बाजार में यह किताबें नोटबुक्स बहुत कम दाम में उपलब्ध हैं।

शिक्षा मंत्री कहती हैं कि जो प्राइवेट स्कूल शिक्षा निदेशालय की किताब और स्कूल फॉर्म को लेकर जारी गाइडलाइन का उल्लंघन कर रहे हैं। उन्हें बख्शा नहीं जाएगा। शिक्षा विभाग को ऐसे स्कूलों के खिलाफ जांच कराने और कार्रवाई शुरू करने का निर्देश दिया है। पिछले कुछ दिनों में लगातार शिकायतें सामने आ रही हैं। कुछ पेरेंट्स ने शिक्षा मंत्री से मिलकर अपनी समस्या बताई है। साथ ही कहा कि पिछले साल से गाइडलाइन में छूट दी है कि वह अपनी सुविधा के अनुसार किसी भी जगह से बच्चों की किताबें और यूनिफॉर्म ले सकते हैं। उन्होंने 17 मार्च को जारी किए गए निर्देशों का सख्ती से पालन के निर्देश दिए हैं। किसी भी स्थिति में दिल्ली एजुकेशन एक्ट के तहत कार्रवाई हो। जो भी कार्रवाई की जा रही है, उन्हें उसकी साप्ताहिक रिपोर्ट पेश की जाए।

शिकायत पर हो सकता है ऑडिट

किसी भी प्राइवेट स्कूल के स्टूडेंट के अभिभावक अगर स्कूल की बढ़ाई गई फीस या किसी दूसरे चार्ज से परेशान हैं, तो वे उस स्कूल का ऑडिट करवा सकते हैं। इसके लिए दिल्ली सरकार की फीस अनॉमली कमिटी 90 दिन के भीतर शिकायत की जांच करेगी और रिपोर्ट जमा करेगी। शिकायत करने वाले को फीस अनॉमली कमिटी के चेयरपर्सन के नाम पत्र देना होगा, 100 रुपये जमाकर अभिभावक अकेले या ग्रुप में शिकायत कर सकते हैं। इस कमिटी में जिले के डिप्टी एजुकेशन डायरेक्टर चेयरपर्सन होते हैं। हर जोन का एजुकेशन ऑफिसर और उसकी गैरमौजूदगी में जोन का डिप्टी एजकेशन ऑफिसर कमिटी का मेंबर है। इसके अलावा एजुकेशन डायरेक्टर की ओर से नॉमिनेट किया हुआ एक चार्टर्ड अकाउंटेंट इसका मेंबर होगा।

स्कूलों का कहना है कि मनमानी नहीं, मिली है इजाजत

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार अनऐडेड रिकॉग्नाइज्ड प्राइवेट स्कूल्स की एक्शन कमिटी, दिल्ली के प्रेजिडेंट भरत अरोड़ा कहते हैं, ज्यादातर स्कूलों ने फीस सही तरीके से बढ़ाई है। साथ ही, कई स्कूलों की फीस बढ़ोतरी को शिक्षा निदेशालय ने ही मंजूरी दी है। यह मंजूरी 5% से लेकर 18% तक भी है। इसके तहत ही स्कूलों ने फीस बढ़ाई है। अरोड़ा बताते हैं, प्राइवेट स्कूलों को फीस बढ़ाने की जानकारी 31 मार्च से पहले देनी होती है। इसे हर साल स्कूलों को फाइल करना होता है और शिक्षा निदेशक फाइनेंशल, अकाउंट और रिकॉर्ड चेक करवाते हैं। स्कूलों का ऑडिट होता है। इसके लिए स्कूलों को इजाजत नहीं लेनी होती।

शिक्षा निदेशालय के नियम

  • स्कूल को कम से कम पांच वनडे दुकानों के पते और फोन नंबर की लिस्ट देनी चाहिए जहां से पेरेंट्स किताबे कॉफी यूनिफार्म खरीद सकें।

  • अभिभावक अपनी सुविधा के लिए हिसाब से किसी और दुकान से लिए सभी खरीद सकते हैं। स्कूल किसी खास दुकान से खरीदारी के लिए मजबूर नहीं कर सकता।

  • स्कूल को हर क्लास की किताबें और लिखने की सामग्री लिस्ट वेबसाइट पर देनी चाहिए।

  • यूनिफॉर्म को लेकर भी ब्योरा देना चाहिए।

  • स्कूल यूनिफॉर्म का रंग डिजाइन 3 साल तक नहीं बदल सकता।

  • अगर स्कूल इन नियमों का उल्लंघन करता है तो उन पर दिल्ली स्कूल एजुकेशन एक्ट 1973 के तहत कार्रवाई होगी।

  • स्कूल का निरीक्षण कर जांच हो सकती है इसमें मान्यता रद्द करने का भी प्रावधान है

इस बारे में द मूकनायक ने एक शिक्षिका से भी बात की जो एक प्राइवेट स्कूल में है। वह कहती हैं कि सभी स्कूल एक जैसे नहीं हैं। एक स्कूल वह है जो अपनी जरूरतों को लेकर और विद्यार्थियों को लेकर भी कार्य करते हैं। वह फीस में बढ़ोतरी करते हैं जो कि शिक्षा निदेशालय की अनुमति से होता है। वहीं कुछ स्कूल ऐसे भी हैं जो अपने फायदे के लिए स्कूल की फीस को बढ़ा देते हैं।

आगे शिक्षिका कहती है कि "आजकल सभी प्राइवेट स्कूल में पढ़ाने वाले शिक्षकों को भी सरकारी स्कूल शिक्षिका जैसी सुविधाएं चाहिए, वेतन भी। कितनी बार स्कूल इस बात को लेकर भी फीस बढ़ा देते हैं।"

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