राजस्थान: स्कूलों में मिल्क पाउडर की सप्लाई हुई पर 69 लाख बच्चों को पीने को नहीं मिला दूध!

मुख्यमंत्री बाल गोपाल योजना के तरह स्कूलों में पहुंचा मिल्क पाउडर [फोटो- अब्दुल माहिर, द मूकनायक]
मुख्यमंत्री बाल गोपाल योजना के तरह स्कूलों में पहुंचा मिल्क पाउडर [फोटो- अब्दुल माहिर, द मूकनायक]

सरकारी दावा है कि बच्चों को पोषण युक्त भोजन देने के उद्देश्य से मुख्यमंत्री बाल गोपाल योजना शुरू की गई है, लेकिन चिकित्सकीय विशेषज्ञों की माने तो प्योर दूध की जगह बच्चों को पाउडर वाला दूध पिलाने पर योजना का पोषण युक्त आहार देने का उद्देश्य सफल नही हो सकता।

जयपुर। बीते वर्ष बजट सत्र में राज्य सरकार ने मुख्यमंत्री बाल गोपाल योजना के तहत कक्षा एक से आठवीं तक के बच्चों को दूध बांटने की घोषणा की थी। योजना के तहत प्रदेश के 69 लाख बच्चों को निर्धारित मात्रा में दूध पाउडर देना था, लेकिन सरकारी आदेश के इंतजार में मासूम दूध का इंतजार कर रहे। बच्चों को दूध पिलाने में राज्य सरकार किस राजनीतिक मूहर्त का इंतजार कर रही है, यह कोई नहीं जानता। लोगों का मानना है कि बच्चों को जितना जल्दी पोषण युक्त आहार मिलेगा लाभदायक होगा। सरकारी दावा है कि बच्चों को पोषण युक्त भोजन देने के उद्देश्य से योजना शुरू की गई है, लेकिन चिकित्सकीय विशेषज्ञों की माने तो प्योर दूध की जगह बच्चों को पाउडर वाला दूध पिलाने पर योजना का पोषण युक्त आहार देने का उद्देश्य सफल नही हो सकता। विशेषज्ञ बताते हैं कि मुख्यमंत्री बाल गोपाल योजना का मकसद नामांकन बढ़ाना, उपस्थिति में वृद्धि, ड्रापआउटर को रोकना व मुख़्य उद्देश्य बच्चों के पोषण स्तर में वृद्धि करना है।

तीन महीने से स्कूलों में हो रहा दूध पाउडर सप्लाई

राजस्थान के सरकारी स्कूलों व राजस्थान मदरसा बोर्ड से पंजीकृत मदरसों में पढ़ने वाले 69 लाख से अधिक बच्चों को मिड-डे-मील मिलने का इंतजार है। सरकारी डेयरियों ने डेढ़ माह पहले तीन माह का दूध पाउडर स्कूलो में भेज दिया है। बीते बजट सत्र में मुख्यमंत्री बाल गोपाल योजना में सरकारी स्कूलों में 8वी तक के बच्चों को पाउडर दूध बांटने की घोषणा हुई थी। विभागीय सूत्रों की माने तो सरकारी डेयरी (सरस), अजमेर, भीलवाड़ा, अलवर, जयपुर, हनुमानगढ़ व रानीवाड़ा प्लांट से कुल 2364. 940 मीट्रिक टन दूध पाउडर की सप्लाई की जानी थी। डेयरी ने पहले चरण में सभी जिलों की दूध पाउडर की आपूर्ति कर दी है।

यह है योजना

योजना के तहत राज्य के सरकारी स्कूलों में अध्ययनरत कक्षा एक से पांचवी के तक बच्चों को हर मंगलवार व शुक्रवार को 15 ग्राम मिल्क पाउडर 150 एमएल गुनगुने पानी मे 8.40 ग्राम चीनी के साथ दूध बनाकर पिलाना है। इसी तरह कक्षा 6 से आठवीं तक के बच्चों को 200 एमएल गुनगुने पानी मे 20 ग्राम मिल्क पाउडर 10.2 ग्राम चीनी के साथ प्रत्यके बच्चे को सुबह प्रार्थना सभा के बाद अनिवार्य रूप से पिलाना होगा। यदि इन दिनों में अवकाश होता है तो अगले दिन बच्चों को पाउडर से तैयार दूध देना है।

मुख्यमंत्री बाल गोपाल योजना के तरह स्कूलों में पहुंचा मिल्क पाउडर [फोटो- अब्दुल माहिर, द मूकनायक]
मुख्यमंत्री बाल गोपाल योजना के तरह स्कूलों में पहुंचा मिल्क पाउडर [फोटो- अब्दुल माहिर, द मूकनायक]

इन जिलों में पहुंचा इतना दूध

जिला शिक्षा अधिकारी प्रारम्भिक गोविंद दीक्षित ने द मूकनायक को बताया कि राजस्थान कोऑपरेटिव डेरी फेडरेशन सवाईमाधोपुर जिले में कक्षा एक से आठवीं तक के एक लाख 15272 व मदरसों में अध्ययनरत 7429 बच्चों को मिड-डे-मील योजना के तहत पाउडर से तैयार दूध दिया जाना है। लगभग तीन माह के दूध पाउडर की सप्लाई हो चुकी है। इसी तरह भीलवाड़ा जिले के 12 ब्लॉक की स्कूलों में 89,485 किलो दूध पहुंच चुका है। उदयपुर में एक लाख 40 हजार किलो दूध पाउडर, बांसवाड़ा को 98,370 किलो, करौली जिले को 51,635 किलो व हनुमानगढ़ को 46 हजार 51 किलो दूध पाउडर मिला है। इनके अलावा बीकानेर, श्रीगंगानगर, झुंझुनू सीकर को भी दूध सप्लाई हो चुकी है।

मुख्य ब्लॉक प्रारम्भिक शिक्षा अधिकारी मलारना डूंगर विजय कुमार वर्मा ने द मूकनायक को बताया कि "सभी स्कूलों में मिल्क पाउडर आ चुका है। योजना के तहत किस दिन से बच्चों को मिल्क पाउडर देना है, यह सरकार तय करेगी। अभी हमारे पास मिड-डे-मील में मिल्क पाउडर का घोल बच्चों को पिलाने के आदेश नही आए हैं। जैसे ही आदेश आएंगे। हम बच्चों को देना शुरू कर देंगे।"

सर गंगाराम अस्पताल दिल्ली में गैस्ट्रो एंट्रोलॉजिस्ट डॉ. मुक्ता वशिष्ठ द मूकनायक को बताती हैं कि "पाउडर में फैट मिसिंग होता है। विटामिन ए, बी, ई, एम, के भी मिस हो जाएंगे। बेहतर होता कि हम नॉर्मल काऊ व बफ़ेलो मिल्क ही बच्चों को दे। बच्चों को फैट देना भी अनिवार्य होता है। मेरे हिसाब से बच्चों को मिल्क फैट देना जरूरी है। बहुत मोटे बच्चों को फैट मिल्क नही देना चाहिए। पाउडर मिल्क में केलोरिज कम होंगी तो प्रॉपर दूध के के मुकाबले पाउडर को इनक्रीज करना होगा। सप्ताह में दो दिन देना बिल्कुल गलत है। बच्चों की रिक्वायरमेंट हर दिन होती है। दो दिन देने का कोई मतलब है। नही देंगे तो भी कोई फर्क नही पड़ेगा। बेहतर है कि प्रतिदिन नॉर्मल मिल्क दिया जाए, या फिर पाउडर की मिल्कदर बढाना चाहिए।"

द मूकनायक की प्रीमियम और चुनिंदा खबरें अब द मूकनायक के न्यूज़ एप्प पर पढ़ें। Google Play Store से न्यूज़ एप्प इंस्टाल करने के लिए यहां क्लिक करें.

Related Stories

No stories found.
The Mooknayak - आवाज़ आपकी
www.themooknayak.com