मध्य प्रदेश हाईकोर्ट.
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मध्य प्रदेश: दूसरे जगहों की फैकल्टी से शासकीय मेडिकल कॉलेज ने करा ली मान्यता, सरकार को हाईकोर्ट की फटकार

प्रदेश में हर जगह फर्जीवाड़ा चल रहा है, नर्सिंग में फर्जीवाड़ा, मेडिकल कॉलेज में भर्ती में फर्जीवाड़ा? क्यों न एनएमसी से पूछा जाए कि जुगाड़ की फैकल्टी के बावजूद मान्यता कैसे दी गई?- हाईकोर्ट

भोपाल। मध्य प्रदेश में नर्सिंग घोटाले के बाद एक और फर्जीवाड़ा सामने आया है। प्रदेश के शासकीय मेडिकल कॉलेज ने मान्यता लेने के चक्कर में अन्य कॉलेजों की फैकल्टी का ट्रांसफर कर लिया जबकि मेडिकल कॉलेज में नई फैकल्टी की भर्ती की जानी थी। इसपर हाईकोर्ट ने सरकार को कड़ी फटकार लगाई है।

दरअसल, 250 करोड़ रुपए की लागत से सरकारी मेडिकल कॉलेज सतना में मान्यता के लिए जुगाड़ की फैकल्टी लाने की बात सामने आई है। यह फैकल्टी नेशनल मेडिकल काउंसिल (एनएमसी) से मान्यता लाने के लिए लाई गई थी। इस आधार पर मेडिकल कॉलेज को मान्यता भी मिल गई। इस मामले में सतना के जिला अस्पताल में ऑर्थोपेडिक्स डॉ. सुजीत मिश्रा ने हाई कोर्ट में याचिका लगाई थी, जिस पर जबलपुर हाई कोर्ट की प्रिंसिपल बेंच ने सरकार को फटकार लगाई है।

चीफ जस्टिस रवि मलिमथ व जस्टिस विशाल मिश्रा की बेंच सतना मेडिकल कॉलेज के मामले में राज्य सरकार पर भड़क गई। इसके बाद एनएमसी ने 24 मई को जवाब पेश किया। गृह मंत्री अमित शाह ने 2023 में उद्घाटन किया था और 45 डॉक्टर्स को तत्कालीन सीएम शिवराज सिंह चौहान ने नियुक्ति पत्र सौंपे थे।

सतना मेडिकल कॉलेज में बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज समेत प्रदेश के 7 मेडिकल कॉलेजों से 53 चिकित्सा शिक्षकों को बुलाया गया था। बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज से मेडिसिन विभाग की प्रोफेसर डॉ. ज्योति तिवारी, पैथोलॉजी विभाग से असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. नैन्सी मौर्या व एसआर डॉ. प्रकृति राज पटेल और एनाटॉमी विभाग से डॉ. मीनू पुरुषोत्तम को सतना भेजा गया था। जबलपुर मेडिकल कॉलेज से भी 18 फैकल्टी मांगी गई थीं।

कोर्ट ने कहा, हर जगह चल रहा फर्जीवाड़ा

कोर्ट ने कहा, प्रदेश में हर जगह फर्जीवाड़ा चल रहा है, नर्सिंग में फर्जीवाड़ा, मेडिकल कॉलेज में भर्ती में फर्जीवाड़ा? क्यों न एनएमसी से पूछा जाए कि जुगाड़ की फैकल्टी के बावजूद मान्यता कैसे दी गई?

ऑर्थोपेडिक्स डॉ. सुजीत मिश्रा की याचिका से यह पूरा मामला खुला। जिन 18 फैकल्टी को सतना मेडिकल कॉलेज में दिखाया गया है, डॉ. मिश्रा उनमें से एक हैं। उन्होंने हाई कोर्ट से मांग की है कि सीधी भर्ती न कर उन्हें ही यहां नियुक्ति दे दी जाए, क्योंकि एनएमसी के इंस्पेक्शन में उन्हें एसोसिएट प्रोफेसर बताया गया है।

इस संबंध में द मूकनायक प्रतिनिधि ने मध्य प्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय, जबलपुर के कुलपति डॉक्टर अशोक खंडेलवाल से टेलिफ़ोनिक बातचीत की। उन्होंने कहा, "अभी इस संबंध में जानकारी नहीं है। कोई पेपर सामने आएगा तो कार्रवाई करेंगे।"

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