मध्य प्रदेश: "सरकार वेतन नहीं दे रही, घर चलाना मुश्किल हो गया है"- अतिथि शिक्षक

वित्त विभाग की आपत्ति के कारण 68 हजार अतिथि शिक्षकों का अटका मानदेय.
धरने पर बैठे अतिथि शिक्षक
धरने पर बैठे अतिथि शिक्षक

भोपाल। "मैं घर में सभी भाई बहनों से बड़ा हूँ, परिवार की सारी जिम्मेदारी मेरे ही ऊपर है। 6 मार्च को मेरी छोटी बहन की शादी है, चार महीने बीत चुके हैं, लेकिन अभी तक वेतन नहीं मिला। आर्थिक रूप से कमजोर हूँ, अगर वेतन समय पर मिलता तो बहुत सारी व्यवस्थाएं कर सकता था, लेकिन अब समझ नहीं आ रहा कहां जाऊं, कैसे पैसे की व्यवस्था करूँ, विभाग के लोग कह रहे हैं बजट नहीं हैं।"

यह पीड़ा विदिशा जिले के मोहती गाँव के स्कूल अतिथि शिक्षक अरविंद प्रजापति की है। द मूकनायक से बातचीत करते हुए अरविंद ने बताया कि वह पिछले 17 सालों से अतिथि शिक्षक (अस्थाई शिक्षक) है। भविष्य का पता नहीं कि कब सरकार उन्हें बेरोजगार कर दे, लेकिन परिवार की जिम्मेदारी के चलते वह अतिथि शिक्षक के रूप में सेवाएं दे रहे हैं।

अरविंद छह भाई बहन है। घर में माता-पिता है जो बुजुर्ग हो चुके हैं। इधर पत्नी और दो बच्चों की जिम्मेदारी भी अरविंद के ही ऊपर है। अरविंद ने कहा-" सरकार ने अतिथि शिक्षकों को स्थाई किया न ही समय पर वेतन दिया।" आर्थिक संकटों से जूझ रहे अरविंद बहन की शादी में व्यवस्थाओं को लेकर चिंतित हैं। पिछले चार महीनों से वेतन नहीं मिला, जिसके चलते आर्थिक तंगी और भी बढ़ गई है।

इधर, दतिया जिले के एक और अतिथि शिक्षक राहुल सूत्रकार ने बताया कि वह पिछले पांच वर्षों से स्कूल में वर्ग - 2 श्रेणी अतिथि शिक्षक के रूप में सेवाएं दे रहे हैं। उन्हें 14 हजार रुपए मासिक वेतन मिलता है। पिछले चार महीनों से वेतन नहीं मिलने के कारण राहुल आर्थिक परेशानियों से जूझ रहे हैं। द मूकनायक से बातचीत करते हुए राहुल ने कहा- "पिछले चार महीनों से वेतन नहीं मिलने से राशन तक उधार लेना पड़ रहा है, तीन महीनो में मैंने अपने परिचितों से भी पैसा उधार ले लिया। अब बड़ी शर्मिंदगी महसूस कर रहा हूँ, कोई कब तक उधार देगा।"

ऐसी ही स्थिति प्रदेशभर के 68 हजार अतिथि शिक्षकों की है। जिन्हें चार माह से मानदेय नहीं मिला है। मध्य प्रदेश के अतिथि शिक्षकों को समय पर मानदेय नहीं मिल रहा है। सूत्रों के मुताबिक वित्त विभाग में अतिथि शिक्षकों की सैलरी पर आपत्ति लगी है। जिसके कारण इनका वेतन भुगतान नहीं हुआ है। ऐसे में प्रदेश के अतिथि शिक्षक जिला शिक्षा अधिकारी और स्कूल शिक्षा मंत्री के यहां चक्कर लगाने को मजबूर हो रहे हैं। इन्हें पिछले तीन महीनों से आश्वासन के अलावा एक पैसा तक नहीं मिला।

विधानसभा चुनाव 2023 से पहले भोपाल में आयोजित अतिथि शिक्षक पंचायत में मध्य प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने घोषणा करते हुए कहा था कि अतिथि शिक्षकों को अब महीने के हिसाब से मानदेय की व्यवस्था होगी। अतिथि शिक्षकों के मानदेय में वृद्धि इस प्रकार होगी, वर्ग-1 में 9 हजार की जगह अब 18 हजार मानदेय मिलेगा। वर्ग-2 में 7 हजार की जगह अब 14 हजार मानदेय और वर्ग -3 में 5 हजार की जगह अब 10 हजार मानदेय मिलेगा। अतिथि शिक्षकों का अनुबंध पूरे एक साल का होगा। शिक्षक भर्ती में अतिथि शिक्षिकों को 25% की जगह 50% आरक्षण मिलेगा।

उच्च शिक्षा विभाग के अनुसार अतिथि शिक्षकों को प्रतिवर्ष 4 और अधिकतम 20 अंक बोनस मिलेंगे। महीने की निश्चित तारीख को मानदेय मिलने की व्यवस्था की जाएगी। पात्रता परीक्षा लेकर अतिथि शिक्षकों को नियमित करने की दिशा में योजना बनाई जाएगी। लेकिन वेतनमान में वृद्धि होने के बाद अतिथि शिक्षकों को पिछले चार माह से वेतन नहीं मिला।

द मूकनायक से बातचीत करते हुए संयुक्त अतिथि शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष मनोज मिश्रा ने कहा, "अतिथि शिक्षकों की आर्थिक स्थिति कमजोर है, ऊपर से सरकार ने चार महीने का वेतन नहीं दिया है। इसके कारण प्रदेशभर के अतिथि शिक्षक आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं। हम लगातार स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारियों से चर्चा कर रहे हैं। लेकिन अश्वासन के अलावा कुछ नहीं मिल रहा, यदि जल्द ही वेतन नहीं मिला तो हम सड़कों पर उतरने को तैयार हैं।"

द मूकनायक से बातचीत करते हुए मध्य प्रदेश के नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने कहा, "भाजपा की सरकार में सिर्फ वादे किए जाते हैं उन्हें पूरा करने की बजाए सरकार ध्यान भटकाने का काम कर रही हैं। अतिथि शिक्षकों को न यह स्थाई कर रहे हैं न उन्हें नियमित वेतन दे रहे है। भाजपा सरकार प्रदेश के हर वर्ग को ठगने का काम कर रही है।"

इधर, मध्य प्रदेश सरकार के स्कूल शिक्षा मंत्री उदय प्रताप सिंह को जब द मूकनायक प्रतिनिधि ने फोन किया तो उन्होंने अतिथि शिक्षकों को वेतनमान नहीं मिलने के सवाल को सुनते ही कहा, "अभी मैं मीटिंग में हूँ, फोन पर यह सब बात नहीं होती।"

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