नई दिल्ली: आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) में आने वाले 140 से अधिक उम्मीदवारों ने निजी मेडिकल कॉलेजों की प्रबंधन और एनआरआई कोटा सीटों पर पोस्टग्रेजुएट (PG) सीटें चुनी हैं। इन सीटों की वार्षिक ट्यूशन फीस 25 लाख रुपए से 90 लाख रुपए से अधिक है। इसने सवाल खड़े कर दिए हैं कि ये उम्मीदवार EWS प्रमाणपत्र कैसे प्राप्त कर पाए, जबकि वे तीन साल के कोर्स के लिए 1 करोड़ रुपए से अधिक फीस वहन कर रहे हैं।
20 नवंबर को घोषित मेडिकल कॉलेजों में पोस्टग्रेजुएट सीटों की पहली आवंटन सूची में 24,600 से अधिक सीटें आवंटित की गईं। इनमें से 135 सीटें निजी कॉलेजों के प्रबंधन कोटा से और 8 सीटें एनआरआई कोटा से EWS उम्मीदवारों को दी गईं।
उदाहरण के लिए, पुडुचेरी के श्री लक्ष्मी नारायण इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज में प्रबंधन कोटा के तहत एक MS ऑर्थोपेडिक्स सीट, जिसकी पूरी कोर्स फीस 1.6 करोड़ रुपए है, एक EWS उम्मीदवार को आवंटित की गई। इसी तरह, मैसूर के राजा राजेश्वरी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में एनआरआई कोटा के तहत MD रेडियोलॉजी सीट, जिसकी वार्षिक फीस 91 लाख रुपए (तीन साल में 2.7 करोड़ रुपए), एक EWS उम्मीदवार को दी गई।
यह मामला EWS प्रमाणपत्र के दुरुपयोग के आरोपों को जन्म दे रहा है। NEET-PG परीक्षा देने वाले कई छात्रों ने इस पर नाराजगी जताई और सरकार से जांच की मांग की। NEET-PG के एक अभ्यर्थी अमन कौशिक ने कहा, "EWS उम्मीदवारों को करोड़ों की फीस वाले कॉलेजों में दाखिला लेते देखना निराशाजनक है। सरकार को उनकी सीटें रद्द करनी चाहिए।"
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