राजस्थानः उर्दू भाषा संरक्षण के लिए सड़कों पर उतरे लोग

उर्दू भाषा को प्राथमिक विद्यालयों में पढ़ाने व शिक्षक नेता का निलम्बन वापस लेने के लिए प्रदर्शन (फोटो- अब्दुल माहिर, द मूकनायक)
उर्दू भाषा को प्राथमिक विद्यालयों में पढ़ाने व शिक्षक नेता का निलम्बन वापस लेने के लिए प्रदर्शन (फोटो- अब्दुल माहिर, द मूकनायक)

उर्दू भाषा को प्राथमिक विद्यालयों में पढ़ाने व शिक्षक नेता का निलम्बन वापस लेने के लिए किया प्रदर्शन

जयपुर। राजस्थान के प्राथमिक विद्यालयों (primary schools of rajasthan) में तृतीय भाषा के रूप में उर्दू भाषा (Urdu language) की पढ़ाई शुरू करने की मांग करने वाले शिक्षक नेता पर निलंबन की कार्रवाई के विरोध में अभिभावकों के साथ मुस्लिम संगठन (Muslim organization) भी सड़कों पर उतर आए है। जयपुर शहर के कांवटिया अस्पताल (Kanwatia Hospital) के सामने स्थित सर्किल पर अभिभावकों के साथ विभिन्न मुस्लिम संगठनों ने राज्य के प्राथमिक स्कूलों में उर्दू शिक्षा (Urdu Education) शुरू करने के साथ शिक्षक नेता अमीन कयामखानी का निलंबन रद्द कर स्कूल में नियुक्त करने की मांग की। इस दौरान जयपुर शहर में शिक्षामंत्री डॉ. बीडी कल्ला का पुतला भी जलाया गया। इस दौरान समाज सेवी पप्पू कुरैशी सहित बड़ी संख्या में अभिभावक भी मौजूद रहे।

विधायक भी आए सामने

राजस्थान के सरकारी प्राथमिक स्कूलों (Government Primary School) में उर्दू भाषा की पढ़ाई शुरू करने व शिक्षक नेता का निलंबन वापस करने की मांग को लेकर कांग्रेस के कुछ विधायक भी सामने आए है। इनमें जन स्वास्थ्य एवं अभियांत्रिक मंत्री डॉ. महेश जोशी, विधायक वाजिब अली ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखे हैं। सवाईमाधोपुर जिले (Sawaimadhopur District) की ग्राम पंचायत सेलू सरपंच सीमा मीना व कांग्रेस के पूर्व मंत्री हबीबुर्रहमान अशरफी लाम्बा ने भी मुखन्त्री को पत्र लिखे हैं।

उर्दू भाषा को प्राथमिक विद्यालयों में पढ़ाने व शिक्षक नेता का निलम्बन वापस लेने के लिए प्रदर्शन (फोटो- अब्दुल माहिर, द मूकनायक)
उर्दू भाषा को प्राथमिक विद्यालयों में पढ़ाने व शिक्षक नेता का निलम्बन वापस लेने के लिए प्रदर्शन (फोटो- अब्दुल माहिर, द मूकनायक)

द मूकनायक से राजस्थान मदरसा शिक्षा सहयोगी संघ (Rajasthan Madrasa Education Associate Association) प्रदेशाध्यक्ष सैयद मसूद अख्तर ने बात करते हुए आरोप लगाया कि, "राजस्थान में शासकीय भेदभाव के कारण उर्दू भाषा की बदहाली किसी से छिपी नहीं है। ब्यूरोक्रेसी के इशारे पर सरकारी प्राथमिक स्कूलों में तृतीय भाषा के रूप में केवल उर्दू शिक्षा को बंद कर दिया गया। माध्यमिक व उच्च माध्यमिक विद्यालयों में भी छात्र उर्दू भाषा पढ़ना चाहते हैं, लेकिन अधिकारी जबरदस्ती दूसरी भाषा पढ़ने के लिए मजबूर कर रहे है।" आरोप यह भी है कि, कांग्रेस शासन (Congress rule) में मुस्लिम विधायक इस भेदभाव पर कुछ नहीं बोल रहे हैं। जबकि वोट के लिए मुस्लिमों पर निर्भर रहते हैं।

उर्दू भाषा को प्राथमिक विद्यालयों में पढ़ाने व शिक्षक नेता का निलम्बन वापस लेने के लिए प्रदर्शन (फोटो- अब्दुल माहिर, द मूकनायक)
उर्दू भाषा को प्राथमिक विद्यालयों में पढ़ाने व शिक्षक नेता का निलम्बन वापस लेने के लिए प्रदर्शन (फोटो- अब्दुल माहिर, द मूकनायक)

उर्दू बेरोजगार संघ प्रदेशाध्यक्ष सलमान लीलर के नेतृत्व में लोगों ने जयपुर के हॉट अल्बर्ट हॉल (Hot Albert Hall of Jaipur) के सामने विरोध प्रदर्शन कर उर्दू बचाओ का नारा दिया। प्रदर्शन में शामिल नौशाद खेलदार ने कहा कि, राजस्थान में एक विचारधारा के लोग उर्दू भाषा को खत्म करने पर तुले है। हम उर्दू के साथ भेदभाव बर्दाश्त नहीं करेंगे। सरकार को सरकारी स्कूलों में उर्दू बहाली के साथ ही उर्दू शिक्षकों के पद बढ़ाने होंगे। हमारी मांग है कि राजस्थान में रीट-2022 में शिक्षक भर्ती में उर्दू शिक्षकों के ढाई हजार पदों पर भर्ती की जाए।

दिलशाद खान बताते हैं कि, उर्दू भाषा को केवल एक धर्म के साथ जोड़ कर प्रचारित किया जा रहा है। यह गलत है। उर्दू एक भाषा है। भारत में उर्दू बहुतायत में बोली जाती है। यह शिक्षा का एक हिस्सा है। यह बात सत्ता व अधिकारियों को समझना होगा। इससे लोगों को रोजगार भी मिलता है। खान ने सत्ताशीन मुस्लिम विधायको से आह्वान किया कि "आप हमें शिक्षा दे, हम आपको वोट देंगे।"

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