दिल्ली: NCERT की किताबों से बाबरी मस्जिद के हटाए गए संदर्भ, मुस्लिम शिक्षक ने कहा...

एनसीईआरटीई ने कहा है कि देश की राजनीति में हाल के कुछ वर्षों में कई महत्वपूर्ण बदलाव हुए हैं जिसकी वजह से सिलेबस को अपडेट किया गया है।
दिल्ली: NCERT की किताबों से बाबरी मस्जिद के हटाए गए संदर्भ, मुस्लिम शिक्षक ने कहा...

नई दिल्ली: पिछले वर्ष 2023 की तरह 2024 का नया शैक्षणिक सत्र शुरू होती ही एनसीईआरटी पाठक पुस्तक में कई बदलाव किए गए हैं। पिछले वर्ष जहां इतिहास की किताबों में कई अंश को हटाने का मामला सामने आया था। वहीं अब 11वीं 12वीं की राजनीति विज्ञान की पाठ्यपुस्तकों में कई बदलाव किए गए हैं।

पहले क्या था?

पुराने सिलेबस में पहले पैराग्राफ में लिखा था, "कई घटनाओं के नतीजे के रूप में दिसंबर 1992 में अयोध्या में विवादित ढांचे (जिसे बाबरी मस्जिद के नाम से जाना जाता था) को गिराया गया। यह घटना देश की राजनीति में कई बदलावों की शुरुआत का प्रतीक बनी और भारतीय राष्ट्रवाद और धर्मनिरपेक्षता की प्रकृति को लेकर बहस तेज हो गई। इसी के साथ देश में बीजेपी का उदय हुआ और हिंदुत्व की राजनीति तेज हुई।"

क्या बदला गया?

अब इस पैराग्राफ को बदल दिया गया है। अब लिखा है, "अयोध्या में राम जन्मभूमि मंदिर पर सदियों पुराने कानूनी और राजनीतिक विवाद ने भारत की राजनीति को प्रभावित करना शुरू कर दिया, जिसने कई राजनीतिक परिवर्तनों को जन्म दिया। राम जन्मभूमि मंदिर आंदोलन, केंद्रीय मुद्दा बन गया, जिसने धर्मनिरपेक्षता और लोकतंत्र पर चर्चा की दिशा बदल दी। सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ के फैसले (9 नवंबर, 2019 को घोषित) के बाद इन बदलावों का नतीजा ये हुआ कि अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण हुआ।"

PoK के टॉपिक में भी हुआ चेंज

पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के मुद्दे पर पहले की किताबों में कहा गया था, "भारत का दावा है कि यह क्षेत्र अवैध कब्जे में है। पाकिस्तान इस क्षेत्र को आज़ाद पाकिस्तान के रूप में जानकारी देता है।" बदले हुए संस्करण में कहा गया है, "हालांकि, यह भारतीय क्षेत्र है जो पाकिस्तान के अवैध कब्जे में है और इसे पाकिस्तान अधिकृत जम्मू और कश्मीर (पीओजेके) कहा जाता है।" बदलाव के पीछे एनसीईआरटी का तर्क यह है कि "जो बदलाव लाया गया है वह जम्मू-कश्मीर के संबंध में भारत सरकार की नवीनतम स्थिति से पूरी तरह मेल खाता है."

मणिपुर के टॉपिक पर भी बदलाव

मणिपुर पर, पहले की किताबों में कहा गया था, "भारत सरकार मणिपुर की लोकप्रिय निर्वाचित विधानसभा से परामर्श किए बिना, सितंबर 1949 में विलय समझौते पर साइन करने के लिए महाराजा पर दबाव डालने में सफल रही। इससे मणिपुर में काफी गुस्सा और आक्रोश पैदा हुआ, जिसका अहसास अभी भी किया जा रहा है।" अब बदले हुए संस्करण में कहा गया है, "भारत सरकार सितंबर 1949 में महाराजा को विलय समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिए मनाने में सफल रही।"

एनसीईआरटी ने गुरुवार (4 अप्रैल) को इन बदलावों को अपनी वेबसाइट पर सार्वजनिक कर दिया। सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन (सीबीएसई) से मान्यता प्राप्त स्कूलों में एनसीईआरटी की किताबों को पढ़ाया जाता है। देश में इस बोर्ड से मान्यता प्राप्त स्कूलों की संख्या 30 हजार के करीब हैं। भारत के लगभग हर हिस्से में सीबीएसई बोर्ड के स्कूल मौजूद हैं। उम्मीद की जा रही है कि ऐसा ही बदलाव अन्य राज्यों के बोर्ड्स की किताबों में भी देखने को मिल सकता है।

सिलेबस में बदलाव पर NCERT का तर्क

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, इन बदलावों को लेकर एनसीईआरटीई ने कहा है कि देश की राजनीति में हाल के कुछ वर्षों में कई महत्वपूर्ण बदलाव हुए हैं जिसकी वजह से सिलेबस को अपडेट किया गया है। अधिकारियों ने कहा कि बदलाव रूटीन अपडेट का हिस्सा हैं और नए पाठ्यक्रम ढांचे (एनसीएफ) के अनुसार नई किताबों के विकास से जुड़े नहीं हैं। यह बदलाव अन्य के अलावा कक्षा 11 और 12 की राजनीति साइंस की किताबों में भी किए गए हैं।

बदलाव को स्वीकार करना चाहिए

द मूकनायक ने इस मामले पर एजाज अहमद से बात की जो एक शिक्षक है। वह बताते हैं कि "आजकल सब कुछ डिजिटल हो रहा है। अगर कुछ चीजों को हटा भी देते हैं। तो वह हर तरह से पूरी दुनिया में थोड़ी मिट जाएगा। तो हटाने, न हटने से कोई मतलब नहीं है। आज सारी पढ़ाई टेक्नोलॉजी पर निर्भर है। तो पढ़ने वाले बच्चों को अगर किसी चीज की जानकारी चाहिए होगी, तो वह वहां से ले लेंगे। एनसीईआरटी एक संस्था है। वह कुछ सोच समझकर ही चीज हटा रही होगी। यह अभी की बात नहीं है, पहले से पाठ्यक्रम में बदलाव होते रहे हैं। इस बदलाव को स्वीकार करना चाहिए।"

लोकतंत्र की चुनौतियां वाले पाठ को भी हटाया गया था

10वीं कक्षा की किताब डेमोक्रेटिक पॉलिटिक्स-2 से लोकतंत्र और विविधता, लोकप्रिय संघर्ष और आंदोलन, लोकतंत्र की चुनौतियां जैसे पाठ भी हटा दिए गए थे।। नेशनल कॉउंसिल ऑफ एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग (एनसीईआरटी) के बारहवीं कक्षा के इतिहास की किताब में पहले लगभग 15 वर्षों तक गोडसे की जाति का जिक्र था, जिसे अब हटा दिया गया था। महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे को पाठ्य पुस्तकों में पुणे के एक ब्राह्मण के रूप में संदर्भित किया गया था। इसे भी अब एनसीईआरटी की किताबों से हटा दिया गया था। 

गुजरात दंगे से जुड़े पाठ को हटाया गया था

गौरतलब है कि कक्षा 12वीं की किताब पॉलिटिक्स इन इंडिया सिंस इंडिपेंडेंस से राइज ऑफ पॉपुलर मूवमेंट्स और एरा ऑफ वन पार्टी डोमिनेंस को भी हटाया गया था। इसी प्रकार कक्षा 10वीं की पाठ्यपुस्तक 'लोकतांत्रिक राजनीति-2' से 'लोकतंत्र और विविधता', 'लोकप्रिय संघर्ष और आंदोलन', 'लोकतंत्र की चुनौतियां' पर अध्याय हटा दिए गए था।

इनमें कांग्रेस, सोशलिस्ट पार्टी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, भारतीय जनसंघ और स्वतंत्र पार्टी के प्रभुत्व के बारे में बताया गया था। जबकि 10वीं कक्षा की किताब डेमोक्रेटिक पॉलिटिक्स-2 से लोकतंत्र और विविधता, लोकप्रिय संघर्ष और आंदोलन, लोकतंत्र की चुनौतियां जैसे पाठ भी हटा दिए गए था।

मुगल साम्राज्य के पाठ भी हटाए गए

एनसीईआरटी ने कक्षा 10वीं 11वीं 12वीं की इतिहास की पुस्तकों से राजाओं और उनके इतिहास से संबंधित अध्याय और विषयों को हटा दिया था। नए पाठ्यक्रम के तहत इतिहास की किताब से थीम्स आफ इंडियन हिस्ट्री-2 से द मुगल कॉट्स को हटा दिया गया था। इसी तरह सेंट्रल इस्लामिक लैंड्स संस्कृतियों का टकराव और अयोध्या की क्रांति से संबंधित पाठों को भी कक्षा 11वीं की पुस्तक टीम इन हिस्ट्री को हटा दिया गया था।

कक्षा 12वीं की इतिहास को किताबों से अकबरनामा और बादशाह नामा, मुगल शासकों और उनके साम्राज्य, पांडुलिपियों की रचना, रंग, चित्रण, आदर्श राज्य, राजधानियां और दरबार उपाध्याय और उपहारों शाही परिवार, शाही नौकरशाही, मुगल अभिजीत वर्ग, साम्राज्य और सीमाओं के बारे में भी हटा दिया गया था।

इसके अलावा विश्व राजनीति में से अमेरिकी अद्वितीय और द कोल्ड वर एरा जैसे अध्यायों को नागरिक शास्त्र की पाठ्य पुस्तक से पूरी तरह से हटा दिया गया था। 12 वीं की किताब पॉलिटिक्स इन इंडिया सिंस इंडिपेंडेंस ए राइज ऑफ़ पापुलर मूवमेंट और एरा ऑफ़ वन पार्टी डोमिनेंस को भी हटा दिया गया था।

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार एनसीईआरटी ने पिछले सप्ताह सीबीएसई स्कूलों को सूचित किया था कि कक्षा 3 और 6 के लिए नई पाठ्यपुस्तकें विकसित की गई हैं, जबकि एनसीएफ के अनुसार अन्य कक्षाओं के लिए पाठ्यपुस्तकें अपरिवर्तित रहेंगी।

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