इलाहाबाद विश्वविद्यालय में अधिकारों की मांग कर रहे छात्रों पर कार्रवाई!

इलाहाबाद विश्वविद्यालय के प्रॉक्टर डॉ. राकेश सिंह ने कहा- छात्र आंदोलन के दौरान विश्वविद्यालय संपत्ति को नुकसान पहुंचाया, तोड़-फोड़ व आगजनी की.
छात्रों का आरोप है कि दर्जनों की संख्या में छात्रों को विश्वविद्यालय से बेदखल कर परिसर के लोकतांत्रिक छवि को धूमिल किया जा रहा है।
छात्रों का आरोप है कि दर्जनों की संख्या में छात्रों को विश्वविद्यालय से बेदखल कर परिसर के लोकतांत्रिक छवि को धूमिल किया जा रहा है।

लखनऊ- इलाहाबाद विश्वविद्यालय में अपने हक अधिकारों की मांग कर रहे छात्रों पर विश्वविद्यालय प्रशासन कड़ा रुख अपना रहा है। छात्रों का आरोप है कि उन्हें बिना किसी कारण के सिर्फ इसलिए निलंबित किया जा रहा है कि वह विश्वविद्यालय से मूलभूत सुविधाओं और अधिकारों की मांग कर रहे हैं। छात्रों का यह भी आरोप है कि विश्वविद्यालय यह कार्रवाई सिर्फ दलित-पिछड़े छात्रों के खिलाफ कर रही है।

क्या है मामला ?

विश्वविद्यालय के शोध छात्र मनीष कुमार का आरोप है कि विश्वविद्यालय परिसर छात्र विरोधी गतिविधियों का अड्डा बनता जा रहा है। जहां एक तरफ केंद्र और राज्य सरकारें शिक्षा के प्रति अपनी जिम्मेदारियां से भाग रही हैं। वहीं विश्वविद्यालय में नियुक्त प्रशासनिक अमला छात्र विरोधी दमनात्मक कार्यवाही किया जा रहे हैं। छात्रों के लिए विश्वविद्यालय में मूलभत सुविधाओं पर ध्यान देने के लिए उन्होंने एक पोस्ट सोशल मीडिया पर किया था। जिसके बाद विश्वविद्यालय के प्रॉक्टर डॉ. राकेश सिंह ने उन्हें निलंबित करते हुए परिसर प्रवेश से भी प्रतिबंधित कर दिया।

मनीष कुमार ने बताया कि यह एक खास तरह का पैटर्न बनता जा रहा है जो देश के अलग-अलग विश्वविद्यालय में साफ नजर आ रहा है। उत्तर प्रदेश की हालत तो इसमें सबसे खराब है जहां तीन प्रमुख केंद्रीय विश्वविद्यालय में जिसमें इलाहाबाद विश्वविद्यालय, लखनऊ विश्वविद्यालय और बनारस विश्वविद्यालय शामिल हैं। छात्रों के निलंबन निष्कासन से लेकर के फीस बढ़ाने और लंबे समय से छात्र संघ पर प्रतिबंध लगाकर लोकतांत्रिक परिसर के हक और स्वरूप दोनों को खत्म जा रहा है।

मनीष ने इस पूरे मामले को लेकर हाल ही में विश्वविद्यालय के कुलपति के नाम एक पत्र भी लिखा है।

छात्रों का आरोप है कि विश्वविद्यालय में कर्तव्यनिष्ट मूल्यों का बढ़ावा देकर छात्र-छात्राओं के मूलभूत जरूरत के अधिकार को भी खत्म किया जा रहा है। विश्वविद्यालय में निलंबन निष्कासन की कार्यवाही इतनी धड़ल्ले से हो रही है कि दर्जनों की संख्या में छात्रों को विश्वविद्यालय से बेदखलकर परिसर के लोकतांत्रिक छवि को धूमिल किया जा रहा है।

आंदोलन के दौरान कई छात्रों हुए मुकदमें दर्ज

इलाहाबाद विश्वविद्यालय में अक्टूबर 2022 को फीस वृद्धि के विरोध में छात्रों ने आंदोलन शुरू किया था। आंदोलन धीरे-धीरे तेज होता गया। चार महीने तक चले आंदोलन में अनिश्चित कालीन भूखहड़ताल, मशाल जुलूस और विभिन्न तरह से छात्रों ने विरोध दर्ज कराया था। इसी बीच जब आंदोलन तेज हुआ तो विश्वविद्यालय प्रशासन ने कुछ छात्रों पर अराजकता फैलाने, अनाधिकृत गतिविधियों सहित अन्य आपराधिक आरोपों में छात्रों के खिलाफ मामले दर्ज कराए।

इन छात्रों पर दर्ज हुआ मुकदमा

फीस वृद्धि का विरोध कर रहे छात्र अजय यादव, जितेंद्र धनराज, सत्यम कुशवाहा, मनीष कुमार, सुधीर क्रांतिकारी, राहुल पटेल, हरेंद्र यादव और आकाश यादव सहित अन्य छात्रों पर विश्वविद्यालय प्रशासन ने आपराधिक प्रकरण दर्ज करा दिए। कुछ छात्र ऐसे भी है जिनपर आंदोलन के समय एक दर्जन से भी ज्यादा प्रकरण दर्ज करवा दिए गए। छात्रों का यह भी आरोप है कि विश्वविद्यालय प्रशासन और प्रॉक्टर डॉ. राकेश सिंह सिर्फ दलित और पिछड़े वर्ग के छात्रों के खिलाफ ही कार्रवाई कर रहे हैं।

द मूकनायक ने इस मामले में इलाहाबाद विश्वविद्यालय के प्रॉक्टर डॉ. राकेश सिंह से बात की तो उन्होंने कहा कि पिछले साल कुछ छात्र उग्र आंदोलन कर रहे थे। विश्वविद्यालय की संपत्ति की तोड़-फोड़ की गई आगजनी की गई। कुछ छात्रों ने महिला शिक्षकों से बदतमीजी की थी। जिस कारण छात्रों पर अपराधिक मुकदमे दर्ज हुए थे। उन्होंने बताया वर्तमान में शोध छात्र मनीष कुमार को इसलिए निलंबित किया गया कि वह विश्वविद्यालय में अशांति उत्पन्न करने की साजिश रच रहा था।

छात्रों का आरोप है कि दर्जनों की संख्या में छात्रों को विश्वविद्यालय से बेदखल कर परिसर के लोकतांत्रिक छवि को धूमिल किया जा रहा है।
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