
नई दिल्ली। एनसीईआरटी की किताबों से कई जरूरी अध्याय खत्म किए जाने पर इतिहासकारों ने चिंता जताई है। इतिहासकारों ने कहा है कि स्कूल की किताबों से महत्वपूर्ण चैप्टर को हटाना पक्षपात पूर्ण कदम है। इतिहासकारों ने इस फैसले को वापस लेने की मांग की है।
बदलावों को वापस लेने की मांग के लिए पत्र लिखने वालों में रोमिला थापर, जयंती घोष, मृदुला मुखर्जी, अपूर्वानंद, इरफान हबीब, डीयू के प्रोफेसर अनीता रामपाल लेखन बद्री रहना और उपिंदर सिंह जैसे शिक्षाविद है। इनका कहना है कि इन अध्याय को हटाना सरकार के पक्षपातपूर्ण व्यवहार को दिखाता है। यह निर्णय भारतीय उपमहाद्वीप के संविधान व संस्कृति के खिलाफ है। इसे रद्द किया जाना चाहिए। विश्वविद्यालय स्तर के शिक्षकों के संगठन डेमोक्रेटिक टीचर्स फ्रंट का कहना है कि अगर व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी को खुली छूट इसी तरह से दी जाएगी तो इससे भारतीय लोकतंत्र गंभीर रूप से प्रभावित होगा।
गुजरात दंगे से जुड़े पाठ को हटाया गया
ग़ौरतलब है कक्षा 12वीं की किताब पॉलिटिक्स इन इंडिया सिंस इंडिपेंडेंस से राइज ऑफ पॉपुलर मूवमेंट्स और एरा ऑफ वन पार्टी डोमिनेंस को भी हटाया गया है। इसी प्रकार कक्षा 10वीं की पाठ्यपुस्तक 'लोकतांत्रिक राजनीति-2' से 'लोकतंत्र और विविधता', 'लोकप्रिय संघर्ष और आंदोलन', 'लोकतंत्र की चुनौतियां' पर अध्याय हटा दिए गए हैं।
लोकतंत्र की चुनौतियां वाले पाठ को भी हटाया गया
इनमें कांग्रेस, सोशलिस्ट पार्टी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, भारतीय जनसंघ और स्वतंत्र पार्टी के प्रभुत्व के बारे में बताया गया था। जबकि 10वीं कक्षा की किताब डेमोक्रेटिक पॉलिटिक्स-2 से लोकतंत्र और विविधता, लोकप्रिय संघर्ष और आंदोलन, लोकतंत्र की चुनौतियां जैसे पाठ भी हटा दिए गए हैं। नेशनल कॉउंसिल ऑफ एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग (एनसीईआरटी) के बारहवीं कक्षा के इतिहास की किताब में लगभग 15 वर्षों तक गोडसे की जाति का जिक्र था, जिसे अब हटा दिया गया है। महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे को पाठ्य पुस्तकों में पुणे के एक ब्राह्मण के रूप में संदर्भित किया गया था। इसे भी अब एनसीईआरटी की किताबों से हटा दिया गया है।
मुगल साम्राज्य के पाठ भी हटाए गए
एनसीईआरटी ने कक्षा 10वीं 11वीं 12वीं की इतिहास की पुस्तकों से राजाओं और उनके इतिहास से संबंधित अध्याय और विषयों को हटा दिया है। नए पाठ्यक्रम के तहत इतिहास की किताब से थीम्स आफ इंडियन हिस्ट्री-2 से द मुगल कॉट्स को हटा दिया गया है। इसी तरह सेंट्रल इस्लामिक लैंड्स संस्कृतियों का टकराव और अयोध्या की क्रांति से संबंधित पाठों को भी कक्षा 11 वीं की पुस्तक टीम इन हिस्ट्री को हटा दिया गया है।
कक्षा 12वीं की इतिहास को किताबों से अकबरनामा और बादशाह नामा, मुगल शासकों और उनके साम्राज्य, पांडुलिपियों की रचना, रंग, चित्रण, आदर्श राज्य, राजधानियां और दरबार उपाध्याय और उपहारों शाही परिवार, शाही नौकरशाही, मुगल अभिजीत वर्ग, साम्राज्य और सीमाओं के बारे में भी हटा दिया गया है।
इसके अलावा विश्व राजनीति में से अमेरिकी अद्वितीय और द कोल्ड वर एरा जैसे अध्यायों को नागरिक शास्त्र की पाठ्य पुस्तक से पूरी तरह से हटा दिया गया है। 12 वीं की किताब पॉलिटिक्स इन इंडिया सिंस इंडिपेंडेंस ए राइज ऑफ़ पापुलर मूवमेंट और एरा ऑफ़ वन पार्टी डोमिनेंस को भी हटा दिया गया है।
एनसीईआरटी के पाठ को बदलने की मिली थी कई शिकायतें
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार एनसीईआरटी के मुताबिक उन्हें लंबे समय से सीबीएसई और अधिकांश राज्य शिक्षा बोर्ड द्वारा इस संदर्भ में शिकायतें मिल रही थीं। शिकायतों में कहा गया था कि, स्कूल की पाठ्यपुस्तकों में किसी की जाति का अनावश्यक रूप से उल्लेख नहीं किया जाना चाहिए। एनसीईआरटी के मुताबिक इन्हीं शिकायतों को देखते हुए यह बदलाव किया गया है।
क्या है एनसीईआरटी दावा
वहीं एनसीईआरटी का कहना है कि स्कूलों की किताबों में किया गया बदलाव किसी को खुश या फिर नाराज करने के लिए उद्देश्य से नहीं किया गया है। एनसीईआरटी के चीफ दिनेश प्रसाद सकलानी ने आईएएनएस से कहा कि यह बदलाव विशुद्ध रूप से एक्सपर्ट एडवाइस के आधार पर किए गए हैं। उनका कहना है कि एनसीईआरटी अब राष्ट्रीय शिक्षा नीति के आधार पर सभी कक्षाओं के लिए नई पुस्तकें लाने भी जा रहा है। फाउंडेशन स्तर पर नई पुस्तकें बनाने का कार्य तो पूरा भी हो चुका है।
एनसीईआरटी चीफ के मुताबिक यह बदलाव केवल इतिहास की किताब में ही नहीं किया गया, बल्कि हर विषय में से कुछ सामग्री कम की गई है, ताकि परीक्षा के दौरान छात्रों का बोझ कम हो सके और उन्हें कम सवालों का उत्तर देना पड़े। साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि पुस्तकों में किया गया बदलाव किसी केवल खास व्यक्ति, घटना, कालखंड या संस्था आधारित नहीं है, बल्कि इसमें महात्मा गांधी, निराला और मुगल सभी कुछ शामिल हैं।
एनसीईआरटी का कहना है कि यह कोई बहुत बड़े बदलाव नहीं हैं। दूसरी बात यह है कि यह सभी बदलाव बीते वर्ष किए गए थे। सभी ने देखा है कि तब कोरोना की क्या स्थिति थी। छात्रों को पढ़ाई का भारी नुकसान हुआ था। न केवल स्कूल स्तर पर, बल्कि देश और दुनिया भर में विश्वविद्यालय और उच्च शिक्षा के क्षेत्र में भी स्कूल कॉलेज बंद रहने के कारण छात्रों को पढ़ाई का नुकसान झेलना पड़ा। ऐसे में एनसीईआरटी ने विशेषज्ञों की राय के आधार पर छात्रों का कोर्स कुछ काम करने का निर्णय लिया, ताकि लंबे समय बाद स्कूल आए छात्रों पर पढ़ाई का बोझ कम रहे।
द मूकनायक ने एनसीईआरटी मामले पर प्रोफेसर रतन लाल जी से बात की। वह कहते हैं कि बीजेपी नहीं चाहती कि मुसलमानों के इतिहास को पढ़ा जाए। पाठ के हटाने से थोड़ी इतिहास मिट जाएगा। जब हम वैश्विक दुनिया में रह रहे हैं तो और देश भी मुगल साम्राज्य और दूसरे चैप्टर पढ़ा रहे हैं। अमेरिका जैसे देशों में भी मुगल साम्राज्य के बारे में पढ़ाया जाता है। तो क्या हम अपने देश के बच्चों को अनपढ़ बनाएंगे। उनके लिए भी इतिहास जानना बहुत जरूरी है। जहां तक बात हो रही है कि बच्चों की पढ़ाई के बोझ को कम करने के लिए पाठों को हटाया गया है तो यह बात जानने वाली है कि इन्हीं पाठों को हटाकर बच्चों की पढ़ाई का बोझ कम किया जाएग। और भी तो पाठ है, जिन को हटाया जा सकता है। यह पूरी तरह से गलत। जो पाठ हटाए गए हैं, उससे पता लग जा रहा है कि उनके जेहन में क्या चल रहा है।
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