दलित उत्पीड़न: होटल में कुर्सी पर बैठने पर युवक और बोतल से पानी पीने पर छात्र को पीटा

दलित उत्पीड़न: होटल में कुर्सी पर बैठने पर युवक और बोतल से पानी पीने पर छात्र को पीटा

लखनऊ। यूपी में जातीय उत्पीड़न और हिंसा के मामलों पर अंकुश नहीं लग रहा है। ताजा मामले यूपी से हैं। सूबे के एटा में एक होटल में दलित को मात्र कुर्सी पर बैठने के लिए पीटा गया। यही नहीं उसे जमीन पर बैठने को मजबूर किया गया। वहीं दूसरी तरफ बिजनौर के एक स्कूल में प्रिंसिपल की बोतल से पानी पी लेने पर प्रिंसिपल ने सार्वजनिक रूप से दलित छात्र की पिटाई की। बाद में उसे बेइज्जत करके स्कूल से भगा दिया। दोनों ही मामले में पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।

जानिए क्या है पहला मामला?

यूपी में एटा के अवागढ़ क्षेत्र स्थित एक होटल में 12 फरवरी 2023 को फिरोजाबाद के रहने वाले पंकज सागर एक होटल में खाना खाने गया हुआ था। पंकज अनुसूचित जाति का व्यक्ति है। पंकज ने बताया, "मैं खाना खा रहा था। इस दौरान अवागढ़ क्षेत्र के नावली गांव के रहने वाला योगेश अपने साथी के साथ आया। उसने मुझे देखकर जातिसूचक गाली दी और कुर्सी से उतरकर जमीन में बैठने को कहा। जब मैंने इसका विरोध किया तो माउजर की बट से पीटकर घायल कर दिया।"

पुलिस ने शिकायत पर दर्ज किया मुकदमा

थाना प्रभारी फूल चंद्र ने बताया कि दोनों का पहले से ही आपसी विवाद चल रहा था। इसके कारण झगड़ा हुआ। तहरीर के आधार पर मुकदमा दर्ज कर लिया है। घायल का डॉक्टरी परीक्षण कराया है। मामले में कार्रवाई की जाएगी।

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जानिये क्या दूसरा मामला?

बिजनौर जिले के अफजलगढ़ क्षेत्र में चमनो देवी इंटर कॉलेज में राजकुमार कक्षा ग्यारहवीं के छात्र हैं। राजकुमार दलित समाज से आते हैं। राजकुमार ने बताया, "इंटर वालों का फेयरवेल था तो हम सभी गए हुए थे। धूप ज्यादा थी और मुझे प्यास लगी थी। पानी का नल बाहर था और गेट बंद हो रखा था। टेबल पर रखी बोतल से मैं पानी पीने गया तो पीछे से प्रिंसिपल सर ने मुझे लात मार दी। मैं नीचे गिर गया। उनके साथ उनके भाई भी मौजूद थे। सभी मिलकर मुझे मारने लगे। मुझे जाति सूचक शब्द भी कहे। वहां स्कूल के सभी लोग मौजूद थे। मुझे पीटने के बाद स्कूल से बेइज्जत करके भगा दिया गया।"

क्या बोले जिम्मेदार?

इस मामले में अपर पुलिस अधीक्षक, ग्रामीण जनपद बिजनौर ने कहा है, "सुसंगत धारा में मामला दर्ज कर लिया गया है। पुलिस जल्द ही आगे की कार्रवाई करेगी।"

एनसीआरबी के आंकड़े बता रहे सच्चाई

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों के मुताबिक, साल 2018 में अनुसूचित जाति के खिलाफ अपराध के 42,793 मामले दर्ज हुए थे। 2020 में यह आंकड़ा 50,000 के पार पहुंच गया। इसी अवधि में अनुसूचित जनजाति के खिलाफ अपराध के मामले 6,528 से बढ़कर 8,272 हो गए। अनुसूचित जाति के खिलाफ अपराध के सबसे अधिक मामले उत्तर प्रदेश और बिहार में दर्ज हुए हैं। साल 2018 में यूपी में 11,924 और बिहार में 7061 मामले दर्ज हुए थे। 2019 में यूपी में 11,829 और बिहार में 6,544 मामले दर्ज हुए। 2020 में यूपी में 12,714 और बिहार में 7,368 मामले दर्ज हुए।

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