राजस्थान: कौन हैं दलित परिवार से आने वाले भट्टाराम मेघवाल, जिन्हें नीदरलैंड में मास्टर्स की पढ़ाई के लिए चुना गया?
राजस्थान। भट्टाराम को यूनेस्को से जल शिक्षा संस्थान, नीदरलैंड में जल और सतत विकास में मास्टर की पढाई के लिए उनका नाम चयन हुआ है। उन्होंने रोटरी फांउडेशन की स्काॅलरशिप के लिए आवेदन किया था, इस छात्रवृति के लिए दुनियाभर से हजारों आवेदन आते है जिसमें महज 15 लोगों का चयन हुआ है, भारत से महज 4 विद्यार्थियों का चयन हुआ है, उसमें भट्टाराम का नाम भी है। भट्टाराम ने कहा कि, "लोगों के हित में हमेशा खड़ा रहूँगा। जो तकलीफें मेरे घर, परिवार और समाज ने देखी है वो आने वाली पीढ़ियों को ना देखना पडे़। रेगिस्तान में आज भी हालात खराब हैं।"
शिक्षा प्राप्त करने के लिए चुनौतियों से जूझे
राजस्थान के बाड़मेर जिले के पचपदरा ब्लाक के टापरा गांव के रहने वाले भट्टाराम मेघवाल को नीदरलैंड में आगे के अध्ययन के लिए चुना गया है। बचपन में परिवार की स्थिति ठीक नहीं होने के कारण कम फीस में गांव से दूर लगभग 6 किमी. दूर पढ़ने जाने वाले भट्टाराम, 2014 में 12वीं की पढ़ाई उतीर्ण की, उसके बाद राजकीय महाविद्यालय बालोतरा से कला संकाय से BA की डिग्री ली। भट्टाराम के पिताजी खेती करके परिवार का जीवन यापन कर रहे हैं। मां भी खेती में हाथ बंटाती हैं साथ ही मनरेगा का काम शुरू होने पर मनरेगा में काम करने परिवार चलाने का काम किया।
आगे की पढ़ाई के लिए किसी तरह की दिक्कतों का सामना ना करना पडे़ इसलिए भट्टाराम ने 2015 से 2017 तक आईडिया डिस्ट्रीब्यूटर के यहां सेल्स एक्जीक्यूटिव के तौर पर नौकरी की और इसके बाद 8 महीने तक नांलदा एकेडमी वर्धा में रहकर उच्च शिक्षा के लिए तैयारी की। यहां से वह 2018 में पढ़ाई के लिए टाटा इंस्टीट्यूट मुम्बई गये।
बातचीत में भट्टाराम द मूकनायक को बताते हैं कि शिक्षा ही सबसे मजबूत हथियार है, उनके घर बिजली लगभग 2009 में काफी प्रयास के बाद आई। परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने के कारण कक्षा 7 से भट्टाराम मजदूरी करने लगे।
"बचपन में जब स्कूल में जब मिड-डे-मील मिलता था तब खुद के घर से खाने का बरतन लेकर जाना पड़ता था। जब मैं पढ़ने जाता तो मुझे स्वयं सीमेंट का बोरा बैठने के लिए लेकर जाना पड़ता था, इस तरह से हुआ जातिवाद हमने झेला है", भट्टाराम ने बताया।
सामाजिक कार्यों से भी जुड़े रहे
भट्टाराम अपने द्वारा किए गए सामाजिक कार्यों का जिक्र करते हुए बताते हैं "अपने गांव के इलाके के पास कालूड़ी गांव में लगभग 70 परिवारों को, जो वंचित समुदाय से हैं, को गांव छोड़ने के लिए मजबूर किया जा रहा था। उन लोगों के न्याय के लिए मोर्चा खोला और लगातार संघर्ष किया। इस मुद्दे को यूएनओ UNO तक पहुंचाया।" भट्टाराम ने TISS टाटा इंस्टीट्यूट मुंबई से जल नीतियों को लेकर शिक्षा गृहण की, साथ ही TISS मुंबई से छात्र संघ का चुनाव लड़ा और अपनी जीत का परचम लहराया।
मिलती गई सफलता
भट्टाराम ने 2020 में इनरेम फाउंडेशन के साथ मिलकर अपनी पूरी ताकत के साथ काम किया जिसमें पानी की गुणवता और साथ ही स्वास्थ्य मुद्दों पर अपना योगदान दिया। लगातार काम करते हुए 2021 में उन्नति विकास संगठन में अपने गृह जिला बाड़मेर व जैसलमेर में परंपरागत पानी के स्रोतों के विकास और जीर्णोद्धार के लिए भरसक प्रयास किया।
अक्टूबर 2021 में भट्टाराम का कौशल विकास एवं उघमिता मंत्रालय की और महात्मा गाँधी नेशनल फैलोशिप में चयन हुआ, जिसमें आईआईएम उदयपुर से पब्लिक पालिसी और मैनेजमेंट की शिक्षा पूरी की, साथ ही छात्र हितों को भी सर्वोपरि रखते थे उनके मुद्दों के लिए वो मुखर आवाज बने।
भट्टाराम आखिर में बताते हैं, "बाबा साहब ने कहा था कि शिक्षा एक मजबूत हथियार है, ताकतवर को भी हरा सकती है। हम बाबा साहब के मिशन को, उनके सफर को, उनके कारवां को आगे लेकर जाएंगे। अंतिम पड़ाव तक उन कुंठा से भरे लोगों के खिलाफ लड़ता रहूंगा। देश में संविधान है, हम समानता, न्याय, स्वतंत्रता, बंधुता स्थापित करके उन संवैधानिक मूल्यों को मुल्क में स्थापित करेंगे जैसा कि सुनहरे भारत को बाबा साहब ने सोचा था, उस भविष्य को भारत में स्थापित करना हमारा अंतिम लक्ष्य है।"
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