हैदराबाद यूनिवर्सिटी में पांच दिनों में दो कर्मचारियों की मौत, जातिगत उत्पीड़न की जड़ें सामने आईं

जिस प्रोफेसर ने रोहित वेमुला को सस्पेंड और हॉस्टल से बाहर किया था, उसी पर अपने अधीनस्थ कर्मचारी को प्रताड़ित करने का आरोप. दो कर्मचारियों की मौत के बाद छात्र संगठन ने विभागाध्यक्ष आलोक पाण्डेय पर कार्रवाई की मांग की.
मृतक, हिंदी विभाग में कार्यरत विनोद कुमार, और लेक व्यू गेस्ट हाउस में तैनात रहे सफाई कर्मचारी किचाला प्रवीण के तस्वीर.
मृतक, हिंदी विभाग में कार्यरत विनोद कुमार, और लेक व्यू गेस्ट हाउस में तैनात रहे सफाई कर्मचारी किचाला प्रवीण के तस्वीर.फोटो- द मूकनायक

नई दिल्ली: हैदराबाद विश्वविद्यालय में पिछले पांच दिनों में दो कर्मचारियों (एक दलित, और एक इसाई) की कार्यस्थल पर मौत ने एक बार फिर विश्वविद्यालय में पनपती जातिगत उत्पीड़न की जड़ों को सामने ला दिया है. हिंदी विभाग में कार्यरत विनोद कुमार, जो ईसाई पृष्ठभूमि से आते हैं,  जिनकी मृत्यु हार्ट अटैक और मेडिकल सुविधाओं को देर से उपलब्ध कराने के कारण बताया जा रहा है, दूसरी ओर लेक व्यू गेस्ट हाउस में एक सफाई कर्मचारी किचाला प्रवीण (दलित कर्मचारी) ने पेस्टीसाइड पीकर आत्महत्या कर ली। 

बताया जा रहा है कि दोनों ही कर्मचारी लंबे समय से अपने सुपरवाइजर से परेशान थे। हिंदी विभाग के विद्यार्थियों, स्टूडेंट यूनियन तथा कर्मचारियों ने मिलकर यूनिवर्सिटी प्रशासन को दोनों सुपरवाइजर को अपने पदों से बर्खास्त करने और मृतजनों के परिवार को वाजिब मुआवजा देने की मांग की है।

इन घटनाओं पर 15 दिसंबर को कर्मचारियों एवं विद्यार्थियों ने बड़ी संख्या में रजिस्टार से मिलकर मामले को अवगत कराया। छात्रों ने बताया कि, सैनिटाइजेशन सुपरवाइजर को तत्काल बर्खास्त करने की मांग पर रजिस्टार बिना कुछ बोले ऑफिस में चले गए। रजिस्टार के इस गैर ज़िम्मेदार व्यवहार से आहत स्टूडेंट्स ने एडमिन बिल्डिंग में शाम 6 के करीब प्रोटेस्ट भी किया।

हैदराबाद विश्वविद्यालय जिसे इंस्टीट्यूट ऑफ एमिनेंस की उपाधि मिली हुई है, वहां बीते एक हफ़्ते में दो कर्मचारियों की ऑन ड्यूटी मौत पर पूरी यूनिवर्सिटी हैरान है। दोनों ही लंबे समय से यूनिवर्सिटी में कॉन्ट्रैक्ट बेस पर काम कर रहे थे। 

सूत्रों के अनुसार हिंदी विभाग में एक महीने पहले नए विभागाध्यक्ष की नियुक्ति बाद से ही वहां के ऑफिस कर्मचारी विनोद कुमार परेशान थे। आरोप है कि, विभागाध्यक्ष आलोक पाण्डेय द्वारा काम के अतिरिक्त दबाव, डांट, अपमानित व्यवहार एवं अपशब्दों से परेशान विनोद कुमार ने एक महीने में ही ट्रांसफर के लिए आवेदन दे दिया था। अपने से नीचे पद पर काम करने वाले कर्मचारी के प्रति असंवेदनशीलता इतनी गहरी थी कि घटना के दिन जब विनोद कुमार को हार्ट अटैक के लक्षण दिख रहे थे तब भी विभागाध्यक्ष ने समय पर कोई जरूरी कदम नहीं उठाया। 

हिंदी विभाग में एम.ए. की पढ़ाई करने वाले एक छात्र ने बताया, "मैं विभाग में एक फॉर्म पर विभागाध्यक्ष का साइन लेने गया था। वहां ऑफिस में मैंने देखा कि विनोद सर की तबियत खराब है फिर भी वह काम करने को मजबूर हैं। मैंने विभागाध्यक्ष को कई बार बताया कि उनकी तबीयत खराब हो गई है उन्हें हेल्थ सेंटर ले जाइए, लेकिन उन्होंने मेरी बात नहीं सुनी और मुझे ही डांटने लगे। जब हालत ख़राब हो गई तो उन्होंने ऑफिस से बाहर आकर आनन- फानन में हमारे फॉर्म पर साइन किया। वह घबराए हुए थे। कुछ ही देर बाद पता चला कि विनोद सर नहीं रहें।"

दूसरी ओर विभागाध्यक्ष ने विद्यार्थियों को बताया कि, जब विनोद की तबियत खराब हुई तब उन्होंने उन्हें अपना तकिया देकर ऑफिस की मेज पर लेटने को कहा। उन्हें एक महिला प्रोफेसर ने डाईजीन नाम की दवा भी दी। विनोद असहज महसूस कर रहे थे और उसी तकलीफ में शौचालय की तरफ गए और वहां गिरे हुए मिले। वहीं उन्होंने दम तोड़ दिया। 

दूसरी घटना में सैनिटाइजेशन वर्कर किचाला प्रवीण लंबे समय से अपने सुपरवाइजर बसंती मल्लेश द्वारा प्रताड़ित हो रहे थे। आरोप है कि, सुपरवाइजर वर्कर्स को सफाई के लिए ग्लव्स वगैरह नहीं देता और अतिरिक्त काम लेता। यदि कोई भी वर्कर शिकायत करने की कोशिश भी करता तो बसंती मल्लेश उसे काम से निकालने की धमकी देता। इस बात की गवाही उनके साथी वर्कर्स ने दी है।

यह पहली बार नहीं जब हैदराबाद विश्वविद्यालय में किसी स्टूडेंट या कर्मचारी की मौत हुई हो। इसी यूनिवर्सिटी के छात्र रोहित वेमुला ने साल 2016 में आत्महत्या कर ली थी। रोहित वेमुला की आत्महत्या ने पूरे देश का दिल दहला दिया था। सूत्रों के मुताबिक हिंदी विभाग के यही विभागाध्यक्ष आलोक पांडेय रोहित की आत्महत्या केस में मुख्य आरोपी के रूप में भी शामिल थे। वह उस समय चीफ प्रॉक्टर थे।

हैदराबाद विश्वविद्यालय के छात्र संगठन ने 15 दिसंबर, शुक्रवार को विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर और रजिस्टार को पत्र लिखकर पूरे मामले में निष्पक्ष जांच और आरोपियों पर कार्रवाई की मांग की है. छात्र संगठन द्वारा लिखे गए पत्र में छात्रों ने विश्वविद्यालय के समक्ष अपनी 7 सूत्रीय मांगे भी रखी हैं. 

विश्वविद्यालय को संबोधित पत्र में छात्र संगठन ने लिखा कि, “11 दिसंबर को, विनोद सर, जो हिंदी विभाग में एक कार्यालय कर्मचारी थे, की कथित तौर पर अपने वरिष्ठों के उत्पीड़न और दबाव के कारण काम के दौरान मृत्यु हो गई। 14 दिसंबर को, किचाला प्रवीण सर, जो एक सफाई कर्मचारी थे, ने कथित तौर पर उत्पीड़न और दबाव के कारण काम पर आत्महत्या कर ली। चार दिनों के अंतराल में दो मौतों ने हैदराबाद विश्वविद्यालय में कर्मचारियों को कार्यस्थल की भयानक स्थितियों को सुर्खियों में ला दिया है। उन स्थितियों का समाधान न करना जिनके कारण दो मौतें हुईं, विश्वविद्यालय में काम करने वाले सभी कर्मचारियों के जीवन को खतरे में डालना है।”

पत्र में आगे लिखा गया कि, इसलिए हम छात्र संघ 2023-24, मांग करते हैं कि निम्नलिखित उपायों पर तुरंत कार्रवाई की जाए:

1. दोनों मौतों की गहन और स्वतंत्र जांच शुरू की जानी चाहिए। जांच में संविदा कर्मियों के साथ बड़े पैमाने पर होने वाले जातिगत भेदभाव की भी जांच होनी चाहिए।

2. प्रोफेसर आलोक पांडे, जो हिंदी विभाग के प्रमुख के रूप में कार्य करते हैं, श्री श्रीनिवास राव, जो उप रजिस्ट्रार (स्वच्छता) के रूप में कार्य करते हैं और श्री बसंती मल्लेश, जो अनुभाग अधिकारी (स्वच्छता) के रूप में कार्य करते हैं, को उनके पद से हटाया जाना है। स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच सुनिश्चित करने की स्थिति।

3. काम के दौरान मरने वाले दोनों श्रमिकों के परिवारों को उचित मुआवजा प्रदान किया जाना चाहिए। दोनों परिवारों के एक सदस्य को स्थायी नौकरी आवंटित की जानी है।

4. श्रमिकों के वेतन का भुगतान समय पर करना होगा, इसे सुनिश्चित करने के लिए एक जवाबदेही तंत्र तैयार करना होगा।

5. सफाई कर्मचारियों और कार्यालय कर्मचारियों पर असाधारण दबाव कर्मचारियों की भारी कमी के कारण है, जो विभिन्न विभागों में व्याप्त है। काम के बोझ के अनुपात में तुरंत अधिक श्रमिकों को नियोजित करना होगा।

6. सफाई कर्मचारियों के लिए सम्मानजनक एवं सुरक्षित कार्य परिस्थितियाँ सुनिश्चित करनी होंगी। सुरक्षा मानकों और दंडों को मैनुअल सेवेंजर्स के रूप में रोजगार पर प्रतिबंध और उनके पुनर्वास अधिनियम 2013 और ठोस अपशिष्ट प्रबंधन (एसडब्ल्यूएम) नियम 2016 के अनुरूप होना चाहिए। उपरोक्त का उल्लंघन दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 के तहत संज्ञेय गैर-जमानती अपराध है।
7. सभी संविदा कर्मियों को नियमित करें.

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