उत्तर प्रदेश। यूपी के अमेठी में केवल मामूली विवाद के कारण लाठी-डंडों से दलित युवक को पीट-पीटकर उसके दोनों पैर तोड़ दिए। गरीब दलित युवक की मां का पहले ही देहांत हो चुका है जबकि पिता दिल्ली में रहकर मजदूरी करते हैं। घर पर दो छोटे भाई और दो बहनों की देखभाल का जिम्मा इस युवक पर ही है। घर में सबसे बड़े होने के कारण उस दलित युवक पर ही अपने छोटे-भाई बहनों की जिम्मेदारी थी लेकिन विगत दो हफ्तों से वह बिस्तर पर पड़ा है। अब उसके छोटे – भाई बहन उसकी सेवा में लगे हैं। इस मामले में पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर ली है। पुलिस पर आरोप है की "पुलिस पहले आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं कर रही थी" हालांकि पुलिस ने तीन नामजद आरोपियों में कुछ युवकों की गिरफ्तारी कर ली है। वहीं एक आरोपी अब भी फरार है। पीड़ित ने बताया की "आरोपी पहले भी कई घटनाओं को अंजाम दे चुके हैं।"
जानिए क्या है पूरा मामला ?
उत्तरप्रदेश के अमेठी जिले के जामो क्षेत्र के अंगरावा गांव के मूलचंद नामक दलित युवक की मां श्यामकुमारी का डेढ़ साल पहले ही देहान्त हो चुका है। जबकि पिता कालीदीन (49) दिल्ली में मजदूरी का काम करते हैं। मूलचंद के तीन छोटे भाई और दो बहनें भी हैं। चूंकि पिता बाहर रहते हैं,इसलिए घर और खेत के काम – काज के साथ ही भाई-बहनो की जिम्मेदारी भी मूलचंद पर ही है। जिस दिन यह घटना घटी उस जिन हमेशा की तरह मूलचंद पालतू बकरियों के लिए खेत से बाइक पर पत्ता लेने गए थे, वापस लौटते समय रास्ते में पास के गांव में ही रहने वाले सवर्ण जाति के लोगों को बाइक की सीट पर रखे पत्ते के गट्ठर से कुछ पत्ते छू गए।
इससे आहत होकर उन लोगों ने मूलचंद को वापस आकर रोक लिया। मूलचंद ने द मूकनायक से बताया के "मैं बाईक पर पत्ती लेकर खेत से लौट रहा था इसी क्रम में पड़ोस के गांव के रहने वाले हिमांशु और आकाश अपनी बाइक से सामने से आ रहे थे इस क्रम में उन बाइक पर सवार दोनो व्यक्तियों से पत्ती छू गई जिससे आहत होकर उन्होंने मेरा पीछा करके मुझे रोक लिया, उनमें से एक ने अवैद्य देशी कट्टा निकालकर मुझपर फायर किया पर मैं बच गया। हिमांशु सिंह और अंकित का घर पास था। गोली की आवाज सुनकर उनके घर से एक व्यक्ति लोहे की रॉड और डंडा लेकर आ गए। तीनो ने मिलकर मेरे घुटनों पर लोहे की रॉड से ताबड़तोड़ वार किया।"
मूलचंद आगे बताते हैं कि -"मैं दर्द से तड़प रहा था, वह तीनो मुझे लगातार पीटे जा रहे थे। 20 मिनट तक उन तीनों ने मुझे लगातार पीटा। इसके बाद मैं बेहोश हो गया। गांव के कुछ लोगों ने मेरे परिवार और रिश्तेदारों को इसकी जानकारी दी। परिवार वालों ने मुझे पास के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती किया।"
मूलचंद कहते हैं कि -"मेरी तबियत लगातार बिगड़ती जा रही थी। दर्द कम होने का नाम नहीं ले रहा था। मेरी दोनों टांगे सूज गई। दोनों टांगों ने काम करना बन्द कर दिया, प्राथमिक उपचार के बाद मुझे जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया।"
दोनों पैरों की हड्डियां टूटी,किडनी में घाव हुआ
मूलचंद ने अपना एक्स-रे और सिटी स्कैन रिपोर्ट दिखाते हुए बताया-"मेरे दोनों पैर की हड्डियां बुरी तरह से टूट गई। मेरी किडनी में चोटे आईं हैं। चोट इतनी गहरी है कि पेशाब करने के दौरान खून भी साथ आ रहा है।"
सरकारी डॉक्टर बरत रहे थे लापरवाही, प्राइवेट में कराया इलाज 1 लाख से ज्यादा हुआ खर्च
मूलचंद कहते हैं कि -"मेरा परिवार इलाज के लिए मुझे सरकारी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले गया। प्राथमिक उपचार देने के बाद सीएचसी कर्मचारियों ने मुझे जिला अस्पताल के लिए भर्ती कर दिया। जिला अस्पताल में जाने पर मेरी हालत लगातार बिगड़ती जा रही थी। डॉक्टर लगातार लापरवाही बरत रहे थे। मेरे परिजन मुझे लेकर प्राइवेट अस्पताल में आ गए। एक पैर का दो जगह ऑपरेशन हुआ है। दोनों हड्डियों में रॉड डाली गई है। अब तक कुल एक लाख से ज्यादा खर्च हो चुका है। "
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