
तमिलनाडु। मद्रास हाईकोर्ट ने अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति समुदायों से संबंधित विधि स्नातकों से बार काउंसिल ऑफ तमिलनाडु और पुडुचेरी द्वारा नामांकन के लिए वसूले जा रहे अधिक शुल्क को लेकर बार काउंसिल पदाधिकारियों को तलब कर लिया है। बार काउंसिल द्वारा वसूले जा रहे अत्यधिक नामांकन शुल्क को चुनौती देते हुए एक विधि छात्र ने याचिका दायर की थी।
तमिलनाडु के मद्रास हाईकोर्ट में विधि के छात्र मणिमारन ने याचिका दायर की है। मणिमारन ने आरोप लगाया कि स्टेट बार काउंसिल अनुसूचित जाति के छात्रों से भी नामांकन के लिए अधिक शुल्क वसूल कर रही है। जानकारी के मुताबिक अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति के उम्मीदवारों से 11,100 रुपये जबकि सामान्य वर्ग से संबंधित लोगों से 14,000 नामांकन के तौर पर लिए जा रहे हैं। छात्र ने तर्क दिया कि अधिवक्ता अधिनियम की धारा 24(1)(एफ) के अनुसार मात्र रु. 750 सभी उम्मीदवारों द्वारा भुगतान किया जाना चाहिए। इसके अलावा, अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति समुदाय के उम्मीदवारों को केवल 100 रुपये का भुगतान करना होगा। जिसमें बार काउंसिल ऑफ इंडिया और स्टेट बार काउंसिल को 25 रुपये देय होगा।
याचिकाकर्ता ने यह भी तर्क दिया कि इतनी अधिक नामांकन फीस कम विशेषाधिकार प्राप्त पृष्ठभूमि से आने वाले उम्मीदवारों को प्रभावित करेगी।
अदालत ने प्रथम दृष्टया फीस अधिक होने को स्वीकार किया और याचिका पर नोटिस जारी किया। इस याचिका पर सुनवाई करते हुए कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश टी राजा और न्यायमूर्ति भरत चक्रवर्ती की पीठ ने बार काउंसिल ऑफ इंडिया, राज्य सरकार और संबंधित बार काउंसिल को याचिका पर जवाब देने का निर्देश दिया है।
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