तमिलनाडु: दो किसान दलित भाइयों को ईडी का समन! भाजपा नेता के इशारे पर कार्रवाई

जमीन विवाद को लेकर दबाव बनाने का आरोप, दलित समाज में रोष।
दो किसान दलित भाइयों को ईडी का समन
दो किसान दलित भाइयों को ईडी का समनGraphic- The Mooknayak

तमिलनाडु। सलेम जिले में 70 वर्षीय दो वृद्ध दलित किसान भाइयों को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने समन भेजा था। कथित तौर पर भाजपा नेता के इशारे पर दबाव बनाने के लिए किसान भाइयों के खिलाफ कार्रवाई अमल में लाई गई थी। मामले को लेकर दलित समाज में रोष है।

द न्यूज मिनट की रिपोर्ट के मुताबिक तमिलनाडु के अट्टूर में रहने वाले दो बुजुर्ग किसान कन्नियन और उनके भाई कृष्णन को जुलाई 2023 में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) से एक समन मिला था। केंद्र सरकार के इस संगठन को धन और सम्पत्ति में गड़बड़ी के मामलों की जांच करने का अधिकार है। ईडी मनी लॉन्ड्रिंग और विदेशी मुद्रा कानूनों का उल्लंघन करने पर लोगों के खिलाफ जांच करता है।

इस मामले में अभी भी स्पष्ट नहीं हुआ है कि दोनों भाइयों को ईडी से समन क्यों भेजा गया है। उनके पास मात्र गांव में 6.5 एकड़ कृषि भूमि है। वहीं उनको वृद्धा पेंशन के 1 हजार रुपए मिलते हैं।

ईडी के समन लिफाफे पर लिखी थी किसानो की जाति

ईडी के समन के लिफाफे पर किसानों की जाति पलार लिखी गई है। ईडी पर आरोप है कि वह दलित किसानों को परेशान कर रही है जो 1,000 रुपए मासिक वृद्धा पेंशन पर गुजारा करते हैं। दोनों किसान भाई का स्थानीय भाजपा नेता से भूमि विवाद चल रहा है। भाजपा नेता पर जमीन को अवैध रूप से हड़पने की कोशिश करने का आरोप है।

इधर, समन के अनुसार, जांच अधिकारी (आईओ) रितेश कुमार धन शोधन निवारण प्रावधानों के तहत जांच कर रहे हैं। उन्होंने कन्नियन और कृष्णन को 5 जुलाई, 2023 को समन भेज एजेंसी के सामने पेश होने के निर्देश दिए थे।

जानिए क्या लिखा है समन में?

अधिनियम की धारा 50 की उप-धारा (2) और उप-धारा (3) के तहत मुझे प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए, मैं कन्नियन पुत्र चिन्नासामी को मेरे सामने पेश होने के लिए कहता हूं। 5 जुलाई 2023 को संलग्न निर्देशों के अनुसार दस्तावेजों को भेजें।

समन के बाद किसानों को अपने पैन कार्ड, आधार कार्ड, मतदाता पहचान पत्र की एक प्रति, अपने पासपोर्ट की एक प्रति, दो पासपोर्ट आकार की तस्वीरें, अपने और अपने परिवार के सदस्यों के कर रिटर्न की प्रतियां, किए गए निवेश का विवरण जैसे दस्तावेज लाने के लिए कहा गया था। उनके और उनके परिवार के सदस्यों के नाम पर अचल संपत्तियों का विवरण, बैंक खातों का विवरण, उनके और उनके परिवार के सदस्यों के नाम पर सावधि जमा, कृषि भूमि का विवरण और फसल उत्पादन का विवरण भी माँगा गया था।

द न्यूज मिनट की रिपोर्ट के अनुसार अधिकारी का कहना है, कन्नियन और कृष्णन का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील परवीना ने कहा कि समन में कोई जानकारी नहीं दी गई थी। “भाइयों को पता नहीं था कि मामला क्या है, और समन में उचित दस्तावेजों के साथ ईडी के सामने पेश होने के अलावा कुछ भी लिखा नहीं गया था। ये किसान जिस एकमात्र मामले में कानूनी लड़ाई लड़ रहे है। वह एक स्थानीय भाजपा पदाधिकारी द्वारा जमीन हड़पने का प्रयास है।

कन्नियन और कृष्णन के पास सलेम जिले के अट्टूर के पास रामनाइकनपालयम में 6.5 एकड़ कृषि भूमि है, और वे भाजपा के सलेम पूर्व जिला सचिव गुनाशेखर के खिलाफ कानूनी मामला लड़ रहे हैं। भाजपा नेता पर कृषि भूमि हड़पने की कोशिश करने का आरोप लगाया है। कृष्णन की शिकायत के आधार पर, गुनाशेखर के खिलाफ एक आपराधिक मामला दर्ज किया गया और उन्हें 2020 में गिरफ्तार कर लिया गया, न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। भूमि विवाद के संबंध में एक सिविल मामला अत्तूर अदालत में लंबित है।

इस पृष्ठभूमि में, किसानों को ईडी के समन ने भारी आक्रोश पैदा कर दिया है और सवाल उठाए गए हैं कि क्या ईडी किसानों को डराकर भाजपा पदाधिकारियों की मदद करने की कोशिश कर रहा है।

“हमने सभी रिकॉर्ड ले लिए और जुलाई 2023 में ईडी अधिकारियों से मिलने गए। उन्होंने हमें फिर से पेश होने के लिए कहा। हमने उनसे कहा कि हम किसी तरह जीवित हैं, कोई हम पर अवैध संपत्ति का आरोप कैसे लगा सकता है?” कृष्णन ने पूछा.

ईडी कार्यालय में किसानों से पूछताछ के लिए अंग्रेजी में एक फार्म भरने को कहा गया, जिसे वकीलों ने भर दिया। फार्म में इस बात पर सवाल थे कि क्या उन्हें कभी फेरा या फेमा नियमों के उल्लंघन के तहत समन किया गया था, गिरफ्तार या हिरासत में लिया गया था। दोषी ठहराया गया था या सीमा शुल्क या आयकर अधिनियम के तहत किसी अपराध में शामिल थे।

उसी फार्म में, किसानों को उनके वित्तीय जानकारी के बारे में विवरण भरने के लिए कहा गया और किसानों ने उल्लेख किया कि उन्हें तमिलनाडु सरकार से 1,000 रुपए की वृद्धावस्था पेंशन मिलती है और उनके पास आय का कोई अन्य स्रोत नहीं है। वकील परवीना के मुताबिक, भू विवाद के कारण किसान पिछले चार वर्षों से अपना कृषि कार्य नहीं कर पा रहे हैं। उनकी आय का एकमात्र स्रोत वृद्धावस्था पेंशन है जो उन्हें मिलती है और वे तमिलनाडु सरकार द्वारा प्रदान किए जाने वाले मुफ्त राशन पर निर्भर हैं।

परवीना ने द न्यूज मिनट की रिपोर्ट में बताया कि किसानों को ईडी कार्यालय में अपनी यात्रा के खर्चों को कवर करने के लिए जमीन गिरवी रखकर पैसे उधार लेने पड़े। “जब उन्हें चेन्नई में ईडी कार्यालय में आईओ के सामने पेश होने के लिए समन मिला, तो किसानों के बैंक खाते में 450 रुपए थे। उन्होंने वाहन किराए पर लेने और अन्य खर्चों के लिए 50,000 रुपए उधार लिए। अब उन्हें इसका भुगतान करना होगा।”

इस बीच बीजेपी पदाधिकारी गुणशेखर ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो जारी कर तमिलनाडु पुलिस पर ईडी और बीजेपी को बदनाम करने की कोशिश करने का आरोप लगाया है। सलेम पूर्वी जिला भाजपा अध्यक्ष पी षणमुगनाथन ने अपने सहयोगी गुणशेखर का बचाव किया और कहा कि वे जानकारी इकट्ठा करने की प्रक्रिया में हैं कि शिकायत किसने दर्ज की और ईडी ने किसानों को कैसे समन जारी किया।

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