दिल्ली में एमसीडी को लेकर प्रत्याशी जोर-शोर से प्रचार कर रहे हैं। इस बार का एमसीडी चुनाव बहुत ही दिलचस्प है। कुछ दिन पहले ही हमने दिल्ली में ट्रांसजेंडर के चुनाव लड़ने की खबर दिखाई थी। अब बात एक सफाई कर्मचारी की जो एमसीडी चुनाव में अपनी किस्मत को आजमा रहे हैं।
जितेंद्र कुमार दक्षिणी दिल्ली के लाडो सराय 67 नंबर वार्ड से चुनाव लड़ रहे हैं। जितेंद्र दिल्ली के ही जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालयय (जेएनयू) में लगभग 10 साल से सफाई कर्मचारी के तौर पर कार्यरत हैं और पहली बार पार्षद का चुनाव लड़ रहे हैं। लेकिन चुनाव का पर्चा भरने के बाद से उन्हें कंपनी द्वारा चुनाव लड़ने के लिए कारण बताओ नोटिस दिया गया है।
क्या है मामला
जेएनयू के सफाई कर्मचारी जितेंद्र कुमार ने द मूकनायक से बात करते हुए बताया कि उन्होंने आखिरी दिन पर्चा भरा था। यह उनकी निजी इच्छी थी कि वह चुनाव लड़े। सिर्फ नवीं तक पढ़े जितेंद्र ने बताया कि पर्चा भरने के बाद 26 नवंबर को उन्हें सिक्योरिटी कंपनी रक्षा सिक्योरिटी प्राइवेट लिमिटेड द्वारा एक नोटिस जारी करके चुनाव लड़ने का कारण बताने के लिए कहा गया। जितेंद्र कहते हैं कि इस नोटिस के बाद मैं फिलहाल तो काम पर आ रहा हूं। मुझे रोका नहीं गया है। बाकी अगर कोई संवैधानिक कारवाई होगी तो पार्टी के लोग कंपनी से बात करेंगे।
क्या कहना है कंपनी का
हमने इस बारे में रक्षा सिक्योरिटी प्राइवेट लिमिटेड से इस बारे में बात की तो उन्होंने बताया कि फिलहाल सिर्फ नोटिस भेजी गई हैं। उस पर कोई कारवाई नहीं हुई। बाकी आप जितेंद्र कुमार से इस बारे में पूछे।
वही दूसरी ओर जितेंद्र का कहना है कि मुझे कहा गया हैं कि फिलहाल आप नौकरी पर आएं। जब हमने जितेंद्र से नोटिस के जवाब के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा कि उसका जवाब पार्टी के द्वारा ही दिया जाएगा। आपको बता दें कि जितेंद्र एमसीडी में लेफ्ट पार्टी सीपीआईएमएल की तरफ से चुनाव लड़ रहे हैं।
नोटिस में क्या कहा गया
कंपनी ने अपनी कारण बताओ नोटिस में कहा है कि कर्मचारियों के राजनीतिक चुनावों में भाग लेने से न केवल कर्तव्य पालन में बाधा आती है, बल्कि संविदा कर्मचारियों के लिए आचार संहिता राजनैतिक, विधायी व स्थायी निकाय चुनावों में भाग लेने की अनुमति नहीं देता। एक कर्मचारी अपने रोजगार के दौरान चुनाव एजेंट मतदान एजेंट मतदान या मतगणना एजेंट के रूप में कार्य नहीं कर सकता है। साथ ही कहा कि अगर वह पत्र प्राप्त होने के तीन दिन के अंदर जवाब नहीं देते हैं तो उनकी सेवाएं समाप्त कर दी जाएंगी।
क्या कहता है कानून
साल 2015 में निर्वाचन आयोग द्वारा जारी एक नोटिस के अनुसार संविदाकर्मी बतौर प्रत्याशी हिस्सा नहीं ले सकेंगे। साथ ही चुनाव भी नहीं लड़ सकेंगे। अगर कोई व्यक्ति चुनाव लड़ना चाहता है तो उसे पहले अपने पद से इस्तीफा देना होगा उसके बाद ही वह चुनाव लड़ सकता है।
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