
जयपुर। राजस्थान के जोधपुर में पत्थर खान के ठेकेदार पर दलित मजदूर पारसराम मेघवाल की हत्या के आरोप में नामजद एफआईआर दर्ज होने के बाद शनिवार देर रात परिजनों ने धरना समाप्त कर दिया। आंदोलन में शामिल रहे जनाधिकार न्याय मंच राजस्थान के संयोजक एडवोकेट डी.आर. मेघवाल ने द मूकनायक को बताया कि मथुरा दास माथुर अस्पताल जोधपुर में पोस्टमार्टम के बाद पुलिस ने रविवार सुबह परिजनों को शव सौंप दिया। इसके बाद परिजनों ने शव का अंतिम संस्कार कर दिया। श्मशान घाट में अंतिम संस्कार के दौरान गमगीन माहौल दिखा। यहां भी परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है।
31 वर्षीय पारसराम मेघवाल जोधपुर में लूणी के सतलाना की नई बस्ती के मेघवाल मोहल्ले का निवासी था। वह भूरी बेरी में ओम बटेर और उनके भाई सनजी उर्फ रामचन्द्र बटेर के पास मजदूरी का काम करता था। एक सप्ताह से उसका मोबाइल फोन स्विच ऑफ था।
शुक्रवार को पुलिस को सालावास के पास मोजली नदी में पारसराम का क्षत विक्षत शव मिला था। पुलिस की इत्तिला पर नदी पर पहुंचे परिजनों ने शव की शिनाख्त कर ली। इसके बाद पुलिस ने शव को मथुरा दास माथुर अस्पताल की मोर्चरी में रख दिया।
मृतक पारसराम मेघवाल के भाई प्रेमाराम ने शव मिलने के बाद शुक्रवार को सूरसागर थानाधिकारी को एक तहरीर देकर ठेकदार ओम बटेर व सनजी उर्फ रामचन्द्र बटेर पर हत्या का आरोप लगाते हुए प्राथमिकी दर्ज करने का आग्रह किया था, लेकिन सूरसागर थाना पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज नहीं की। इस पर परिजनों के साथ विभिन्न सामाजिक संगठन जोधपुर के मथुरादास माथुर अस्पताल के बाहर धरने पर बैठ गए। पुलिस की समझाइश के बाद भी नहीं माने तो शनिवार देर रात पुलिस ने ओमजी बटेर व अन्य के खिलाफ हत्या के आरोप में प्राथमिकी दर्ज की। तब जाकर परिजन धरना समाप्त कर पोस्टमार्टम के लिए राजी हुए।
मृतक पारसराम मेघवाल के भाई प्रेमाराम मेघवाल की तरफ से दर्ज प्राथमिकी में बताया कि उसका भाई भूरीबेरी पालड़ी में ओमजी बटेर और उनके भाई सनजी उर्फ रामचन्द्र बटेर के पास मजदूरी का काम करता था। एक सप्ताह से उसका मोबाइल फोन स्विच ऑफ था।
प्रेमाराम ने रिपोर्ट में आगे बताया कि 10 मई को ठेकेदार ने उसे फोन कर बताया था कि पारसराम नजीर नाम के व्यक्ति के साथ यहां से निकल गया है। इस पर परिवार ने नजीर से बात की तो उसने (नजीर) ने पारसराम के साथ होने की बात से मना कर दिया। फरियादी ने रिपोर्ट में कहा कि इसके बाद ठेकेदार ओम बटेर ने उसे पुलिस थाने भेजकर कुछ कागजों पर हस्ताक्षर करवाये हैं।
मृतक के भाई प्रेमाराम ने कहा कि उसके भाई ने पहले ही उससे कहा था कि ठेकेदार लोग उसके साथ ज्यादती करते हैं। प्रेमाराम का कहना है कि कार्यस्थल पर उसके साथ कहा सुनी के बाद मारपीट कर हत्या की गई है। हत्या के बाद शव को सालावास नदी में फेंका गया है। मृतक के शरीर पर मारपीट के निशान मौजूद है। लहूलुहान शरीर कीचड़ से सना है। कपड़ों पर भी खून व कीच के धब्बे हैं। इस पर पुलिस ने शनिवार देर रात हत्या सहिय एससी, एसटी एक्ट व अन्य धाराओं में प्राथमिकी दर्ज कर ली।
सूरसागर थानाधिकारी गौतम डोटासरा ने द मूकनायक से बात करते हुए कहा कि हत्या के आरोप में प्राथमिकी दर्ज कर ली है। परिजनों ने धरना समाप्त कर शव का अंतिम संस्कार कर दिया। अभी कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है।
इधर जालौर जिले के सांचोर में इशाराम भील के हत्यारों की गिरफ्तारी की मांग कर रहे परिजन रविवार को दूसरे दिन भी धरने पर बैठे रहे। परिजनों ने आरोपियों की गिरफ्तारी होने तक शव लेने से मना कर दिया। पीड़ित परिवार के साथ यहां कई सामाजिक व राजनीतिक संगठनों के लोग भी बैठे हैं।
मृतक इशाराम भील के पुत्र मेलाराम भील ने द मूकनायक से कहा कि "मेरी एक ही मांग है कि मेरे पिता को न्याय मिले। उन्हें न्याय तब मिलेगा जब उनके हत्यारे पकड़े जाएंगे। जब पुलिस पिता के हत्यारों को गिरफ्तार नहीं करती, शव का अंतिम संस्कार नहीं होगा।"
मृतक इशाराम भील के पुत्र मेलाराम भील ने सांचौर पुलिस थाने में रिपोर्ट देकर बताया कि प्रार्थी के पिताजी ईशाराम भील 11 मई दोपहर करीब 2 बजे गुदरात गांव वीड से सांचोर बड़सन बाईपास टेक्सी स्टेण्ड सांचोर में प्रार्थी की मां उगम देवी के साथ आये।
सांचोर पहुंच कर प्रार्थी के पिता ने फोन कर उसे (प्रार्थी) को सांचोर बुलाया तथा मा को शाम 4 बजे के लगभग पीकअप ट्रोला में बैठा कर गांव अचलपुर भेज दिया। अचलपुर में प्रार्थी के पिताजी ने खेत में भावली (बटाई पर खेती) की हुई है। मेलाराम ने रिपोर्ट में कहा कि घर आवश्यक काम होने से वह उस दिन पिताजी के पास सांचोर नहीं जा सका।
इस पर उसने शाम 5 बजे अपने पिताजी को फोन कर कहा वह कल सांचोर आऊंगा। आज घर में जरूरी काम होने से नहीं आ सका। यह सुनकर मेलाराम के पिता ने जवाब में कहा कि ठीक है, तो मैं (पिता) भी अभी अचलपुर निकलता हूं। तुम कल आ जाना। इसके बाद शाम को प्रार्थी की मां ने फोन कर बताया कि मेलाराम तेरे पिताजी अभी तक नहीं आये है। मेलाराम की मा ने भी कई बार भी इशाराम को फोन किया, लेकिन सम्पर्क नहीं हुआ।
मेलाराम ने कहा कि इसके बाद वह लगातार अपने पिता को फोन करता रहा। रात 11 बजे तक भी मेलाराम का अपने पिता से सम्पर्क नहीं हो सका। अगले दिन सुबह प्रार्थी परिवारजनों के साथ पिता की तलाश में सांचोर पहुंचा। आस पास के गांवों में खोजबीन करने पर भी उनका कोई अता पता नहीं चलला। 12 मई की शाम 6 बजे सांचोर पुलिस में पिता के गुम होने की रिपोर्ट देने पहुंचा।
इस दौरान गोलासन गांव के गोचर में अज्ञात लाश मिलने की सूचना मिली। इस पर प्रार्थी मेलाराम अपने काका (चाचा) हंसाराम पुत्र तगाराम, भाई वियाराम व गोवाराम पुत्र तगाराम सभी गोलासन गए। गोलासन के गोचर में जाकर देखा तो शव प्रार्थी के पिता का ही था जिसके मुंह में कपड़ा ठूसा हुआ था, कान टूटे थे, हाथ पैर और शरीर पर गम्भीर घाव थे। गले को लुंगी से कसकर बांधा हुआ था।
मेलाराम ने कहा प्रार्थी के पिता को अज्ञात लोगों द्वारा मारकर कानों में पहनी सोने की मुरकियों व पचास हजार रुपये नकद जो उनके पास थे, लूट ले गए। हत्या के बाद शव को झाड़ी में फेंक दिया।
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