मध्य प्रदेश: दलित डिप्टी कलेक्टर निशा बांगरे से कन्फेशन पर हस्ताक्षर करने का दबाव बना रही थी पुलिस! जानिए पूरी घटना

निशा बांगरे का आरोप है कि पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार करने के बाद एक कन्फेशन पर हस्ताक्षर करने का दबाव बनाया था, जिस पर हस्ताक्षर नहीं करने के बाद पुलिस ने उन्हें जमानत प्रक्रिया के कागजात तैयार होने के बाद भी जेल भेज दिया।
डिप्टी कलेक्टर निशा बांगरे ने द मूकनायक प्रतिनिधि अंकित पचौरी से साझा की पूरी कहानी।
डिप्टी कलेक्टर निशा बांगरे ने द मूकनायक प्रतिनिधि अंकित पचौरी से साझा की पूरी कहानी। फोटो- द मूकनायक

भोपाल। दलित डिप्टी कलेक्टर निशा बांगरे सरकार और पुलिस प्रशासन पर गंभीर आरोप लगा रहीं हैं। द मूकनायक से खास बातचीत में उन्होंने कहा, कि पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार करने के बाद एक कन्फेशन पर हस्ताक्षर करने का दबाव बनाया था, जिस पर हस्ताक्षर नहीं करने के बाद पुलिस ने उन्हें जमानत प्रक्रिया के कागजात तैयार होने के बाद भी जेल भेज दिया। करीब 27 घण्टे बाद केंद्रीय जेल भोपाल से जमानत पर रिहा हुईं निशा बांगरे पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठा रहीं हैं। उन्होंने कहा बोर्ड ऑफिस चौराहे पर मुझे पुरुष पुलिसकर्मियों ने धक्का मारा, मुझे जबरन पुलिस बैन में बैठाया गया। 

निशा बांगरे ने द मूकनायक को दिए इंटरव्यू में कहा, "हम बाबा साहब को मानने वाले लोग हैं, भगवान बुद्ध को मानने वाले लोग हैं। मानवतावादी हमारी विचारधारा है। हम सभी धर्मों को साथ लेकर चलना चाहते हैं, यही बात इनको खटकती है" 

उन्होंने कहा "बीजेपी सरकार की विचारधारा सबके सामने है, यह लोग एक सशक्त महिला को पहले सर्व धर्म प्रार्थना करने से रोकते हैं, तथागत बुद्ध के मार्ग पर जाने से रोकते हैं। अब मैं डॉ. अंबेडकर के द्वारा दिखाए गए रास्ते को अपनाकर राजनीति में जाना चाहतीं हूँ, तब यह मुझे राजनीति में आने से रोक रहे हैं। भाजपा आमला विधानसभा सीट से हार रहीं है। मैं इनके कट्टर विचारधारा से सहमत नहीं हूं इसीलिए मुझे चुनाव लड़ने से रोका जा रहा है।"

निशा बांगरे ने कहा पुलिस ने उनके साथ बदसलूकी की
निशा बांगरे ने कहा पुलिस ने उनके साथ बदसलूकी कीफोटो- द मूकनायक

पुलिस ने की बदसलूकी 

निशा बांगरे ने कहा पुलिस ने उनके साथ बदसलूकी की। जबकि वह नियमों के दायरे में रहकर अपनी मांग रख रहीं थी। उन्होंने बताया कि मौके पर मौजूद पुलिस कर्मियों से सीएम हाउस जाने तक कि अनुमति मांगी थी। लेकिन नहीं माने और जबरन बैन में बैठाने का प्रयास करने लगे। इस बीच एक पुलिसकर्मी ने उनके कपड़े खींचें जिसके कारण उनके कपड़े फट गए। पुलिस ने बदसलूकी की। एक महिला को पुरुष पुलिसकर्मी धकेल रहे थे। निशा ने कहा, गिरफ्तारी के बाद पुलिस से सीएम हाउस के अधिकारियों से मिलकर अपनी बात रखने को भी कहा था, पर पुलिस सिर्फ उन्हें जेल में डालना चाहती थी। 

उन्होंने कहा, पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार करने के बाद एक कन्फेशन पर हस्ताक्षर करने का दबाव बनाया था, जिस पर हस्ताक्षर नहीं करने के बाद पुलिस ने उन्हें जमानत प्रक्रिया के कागजात तैयार होने के बाद भी जेल भेज दिया। अगले दिन भी पुलिस ने जमानत प्रक्रिया में समय लगाया। यह सब मुझे प्रताड़ित करने की नीयत से किया जा रहा था। 

चुनाव लड़ना चाहती है निशा बांगरे

भारतीय निर्वाचन आयोग ने पांच राज्यों में विधानसभा चुनावों का ऐलान कर दिया है। मध्य प्रदेश में 17 नवंबर को मतदान की तारीख तय है। निशा बांगरे तीन हम ने पहले अपने पद से इस्तीफ़ा देकर चुनाव लड़ने का एलान कर चुकी है। लेकिन सरकार ने उनका इस्तीफा मंजूर अबतक नहीं किया है। 

इस्तीफे के लिए उन्होंने हाईकोर्ट जबलपुर में याचिका दायर की है। 13 अक्टूबर को याचिका पर सुनवाई की जानी है। कोर्ट ने सुनवाई के दौरान प्रमुख सचिव राजस्व को उपस्थित रहने के निर्देश दिए हैं। निशा बांगरे ने बताया कि नियमानुसार एक माह में त्याग पत्र स्वीकार किया जाना चाहिए था, लेकिन तीन महीने बाद भी कोई कार्रवाई नहीं कि गई। जब मैने इसके लिए अबाज उठाई तो सीएम शिवराज सिंह की सरकार ने पुलिस को आगे कर मुझे जेल भिजवा दिया। 

बेटे से मिल भावुक हुई निशा

मंगलवार की रात भोपाल सेंट्रल जेल से रिहा होते ही वह अपने तीन वर्षीय बेटे से मिली। बेटे को गले लगाकर निशा भावुक हो गईं। निशा के पति सुरेश अग्रवाल ने बताया कि उनका बेटा इस बीच उन्हें यादकर रो रहा था। रो-रोकर उनके बेटे का बुरा हाल था। जेल से रिहा होते ही निशा बांगरे ने सरकार पर आरोप लगाए की पुलिस ने उनके कपड़े फाडे, उनके हाथों में बाबा साहब की फोटो को तोड़ कर अपमान किया।  

क्या है पूरा मामला?

दरअसल डिप्टी कलेक्टर निशा बांगरे इस्तीफा स्वीकार करने की मांग को लेकर मुख्यमंत्री आवास के सामने आमरण अनशन करने जा रही थी। सोमवार सुबह उन्होंने डॉ. अंबेडकर की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया इसके बाद वह बोर्ड ऑफिस चौराहे से जैसे ही आगे बढ़ी वहां भारी संख्या में मौजूद पुलिस ने उन्हें रोक लिया। पुलिस ने जबरन उन्हें गाड़ी में बैठाने का प्रयास किया।

निशा बांगरे ने पुलिस प्रशासन से सीएम हाउस तक जाने की परमिशन मांगी, मौके पर मौजूद अधिकारियों ने उन्हें पुलिस बैन में बैठने को कहा। जिसके बाद निशा बांगरे और उनके साथ मौजूद समर्थक सड़क पर बैठ गए। पुलिस की खींचतान से उनके हाथों में डॉ. आंबेडकर की फोटो भी टूट गई। पुलिस ने उनके समर्थकों घसीटते हुए पुलिस बैन में बंद कर दिया। इस दौरान उनके कपड़े भी फट गए। 

इन धाराओं में दर्ज हुआ था मामला

प्रदर्शन के दौरान पुलिस ने करीब एक दर्जन समर्थकों को हिरासत में लिया था जिन्हें शाम को छोड़ दिया लेकिन पुलिस ने निशा बांगरे पर धारा 151, 107 और 116 में कार्रवाई की शाम को उन्हें पुलिस कमिश्नर ऑफिस लेजाया गया जहाँ जमानत की प्रक्रिया पूरी नहीं होने के कारण लालघाटी स्थित केंद्रीय जेल भेज दिया गया। द मूकनायक ने निशा बांगरे के पति सुरेश अग्रवाल से बातचीत में बताया अगले दिन मंगलवार दोपहर को उनके अधिवक्ता ने पुलिस आयुक्त न्यायालय में जमानत पेश की। लेकिन अधूरी प्रक्रियाओं की बात कह कर पुलिस ने शाम को रोके रखा। जिसके बाद रात आठ बजे करीब वह जेल से रिहा हुईं। 

जून में दे चुकी है इस्तीफ़ा

इसी साल जून में डिप्टी कलेक्टर निशा बांगरे ने अपने पद का त्याग पत्र प्रमुख सचिव राजस्व विभाग को भेजा था। दरअसल निशा बांगरे ने अपने विभाग से बैतूल जिले के आमला स्थित अपने मकान के गृहप्रवेश और सर्वधर्म प्रार्थना सम्मेलन में शामिल होने के लिए छुट्टी मांगी थी, लेकिन विभाग ने छुट्टी देने से मना कर दिया। छुट्टी न मिलने की वजह से निशा बांगरे ने इस्तीफा दे दिया। लेकिन वह इस्तीफा सरकार ने मंजूर नहीं किया। 

निशा बांगरे ने पद से दिए इस्तीफा को मंजूर कराने के लिए सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। बांगरे ने त्याग पत्र मंजूर करवाने के लिए आमला से भोपाल तक न्याय यात्रा शुरू कर दी। अपने हक अधिकारों की बात करते हुए निशा बांगरे हाथ में संविधान की किताब लिए हुई पैदल भोपाल तक यात्रा कर रहीं थी।

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