MP के देवास पुलिस थाने में दलित युवक की मौत के बाद पुलिस पर हत्या का आरोप, जानिए क्या पूरा है मामला?
भोपाल। मध्य प्रदेश के देवास जिले के सतवास थाने में 35 वर्षीय दलित युवक की पुलिस कस्टडी में मौत ने प्रदेश में हड़कंप मचा दिया है। मृतक के परिजनों ने पुलिसकर्मियों पर हत्या का आरोप लगाया है, जबकि पुलिस ने इसे आत्महत्या करार दिया है। इस घटना को लेकर क्षेत्र में प्रदर्शन और राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है।
मृत युवक के परिजनों का कहना है कि पुलिस ने एक महिला द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत के आधार पर युवक को पूछताछ के लिए बुलाया था। परिजनों का आरोप है कि पुलिस ने मामले में समझौता करने के लिए रिश्वत की मांग की थी, जिसे पूरा न करने पर युवक की हत्या कर दी गई। उनका दावा है कि थाने से उन्हें सिर्फ यह सूचना दी गई कि युवक की मौत हो गई है।
देवास पुलिस अधीक्षक पुनीत गहलोत ने बताया कि युवक को बयान दर्ज कराने के लिए बुलाया गया था। बयान पढ़े जाने के दौरान उसने आत्महत्या कर ली। पुलिस का कहना है कि तत्काल उसे अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। मामले की निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए पोस्टमार्टम तीन डॉक्टरों की निगरानी में कराया गया।
कांग्रेस ने किया थाने का घेराव
घटना के बाद सतवास थाने के बाहर विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी ने रविवार को मृतक के परिजनों से मुलाकात की और इसे पुलिस की बर्बरता करार दिया। उन्होंने थाने के पूरे स्टाफ को सस्पेंड करने की मांग की और आरोप लगाया कि यह घटना "सरकार के अहंकार" का परिणाम है।
पटवारी ने कहा, "मध्य प्रदेश में यह चौथी घटना है जब दलित की हत्या थाने में हुई है। रिश्वत न मिलने पर हत्या कर दी गई।" उन्होंने ट्वीट किया, "जब तक इस परिवार को न्याय नहीं मिलेगा, मैं अन्न-जल त्याग कर धरने पर बैठा रहूंगा।"
थाना प्रभारी के सस्पेंड और न्यायिक जांच के आदेश के बाद कांग्रेस नेता जीतू पटवारी ने मृतक दलित युवक के परिवार से मुलाकात की और उन्हें पांच लाख रुपये की आर्थिक सहायता प्रदान की। इसके बाद पटवारी ने अपना अनशन समाप्त करते हुए कहा कि यह लड़ाई केवल एक व्यक्ति के लिए नहीं, बल्कि पूरे दलित समाज के न्याय और अधिकारों के लिए है। उन्होंने सरकार पर आरोप लगाया कि ऐसे मामलों में कार्रवाई तब ही होती है जब जनता और विपक्ष दबाव बनाते हैं।
भीम आर्मी ने किया प्रदर्शन
भीम आर्मी के कार्यकर्ताओं ने भी सतवास थाने के बाहर प्रदर्शन किया और सभी पुलिसकर्मियों को सस्पेंड करने की मांग की। बढ़ते विरोध को देखते हुए प्रशासन ने सतवास थाना प्रभारी आशीष राजपूत को सस्पेंड कर दिया। हालांकि, प्रदर्शनकारी इससे संतुष्ट नहीं हैं और पूरे थाने के खिलाफ कार्रवाई की मांग पर अड़े हुए हैं।
अनुसूचित जाति कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष प्रदीप अहिरवार ने द मूकनायक से बातचीत में कहा कि यह घटना प्रदेश में दलितों के खिलाफ बढ़ती हिंसा और प्रशासन की असंवेदनशीलता को उजागर करती है। उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस थानों में दलितों के साथ हो रहे अत्याचार राज्य सरकार की "दलित विरोधी मानसिकता" का परिणाम हैं। उन्होंने सवाल उठाया कि जब थानों को जनता की सुरक्षा के लिए बनाया गया है, तो वहां लगातार दलितों की मौत क्यों हो रही है?
अहिरवार ने मांग की कि इस मामले में निष्पक्ष जांच होनी चाहिए और दोषी पुलिसकर्मियों पर हत्या का मुकदमा दर्ज किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, "हमारी पार्टी इस मामले को लेकर सड़क से संसद तक संघर्ष करेगी। दलित समुदाय अब अन्याय सहने वाला नहीं है। यदि सरकार ने समय रहते न्याय नहीं दिलाया, तो राज्यव्यापी आंदोलन होगा।"
घटना को लेकर विपक्षी दलों ने सरकार पर निशाना साधा है। कांग्रेस के अलावा अन्य दलों और संगठनों ने भी सरकार को दलित विरोधी करार देते हुए राज्य में "जंगल राज" का आरोप लगाया। वहीं, सत्ताधारी दल ने इस घटना को लेकर किसी भी तरह की राजनीतिक टिप्पणी करने से परहेज किया है।
मजिस्ट्रेट जांच के आदेश
जिला प्रशासन ने इस मामले की जांच के आदेश दे दिए हैं। पोस्टमार्टम रिपोर्ट और घटना के अन्य पहलुओं की जांच के लिए मजिस्ट्रेट जांच की घोषणा की गई है। प्रशासन ने प्रदर्शनकारियों से शांति बनाए रखने की अपील की है।
मृतक के परिजनों और प्रदर्शनकारियों ने सरकार से न्याय की मांग की है। परिवार ने युवक की हत्या के लिए जिम्मेदार पुलिसकर्मियों को कड़ी सजा देने और मामले की सीबीआई जांच कराने की मांग की है।
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