हरियाण : क्या जय श्रीराम ना बोलने पर हुई आसिफ की मॉब लिंचिंग ?

हरियाण : क्या जय श्रीराम ना बोलने पर हुई आसिफ की मॉब लिंचिंग ?
हरियाणा: मेवात में एक मुस्लिम युवक की पीट-पीटकर हत्या कर दी जाती है। आरोप है कि 30 साल के जिम ट्रेनर को कुछ लोगों ने जय श्रीराम कहने के लिए मजबूर किया था। हालांकि पुलिस ने इससे इनकार किया है कि युवक की हत्या जय श्रीराम न कहने पर हुई है। पुलिस का कहना है कि पुरानी रंजिश के चलते हत्या की गई है।
मामला सोहना इलाके है। बताया जा रहा है कि 30 वर्षीय जिम ट्रेनर अपने चचेरे भाई के साथ मेडिकल स्टोर से दवा लेकर लौट रहा था। उसके चचेरे भाई ने बताया कि गाड़ियों से आए कुछ लोगों ने उन्हें घेर लिया। जिम ट्रेनर को खींचा और पीट-पीटकर हत्या कर दी।
हालांकि परिवार के सदस्यों ने बाद में आरोप लगाया कि युवक मॉब लिंचिंग का शिकार हुआ और उसे अपहरणकर्ताओं ने पकड़कर 'जय श्री राम' कहने के लिए मजबूर किया था। पुलिस ने इस मामले में 14 लोगों के खिलाप मामला दर्ज किया है वहीं 6 लोगों को गिरफ्तार किया है.. साथ ही कहा कि यह हेट क्राइम नहीं है। पुलिस ने कहा कि एक ही गांव के युवकों के दो समूहों के बीच दुश्मनी के चलते यह घटना हुई है।
देश में लिंचिंग के मामले सामने आए. जिनमें मेवात इलाके के निवासी पहलू खान , फरीदाबाद के निवासी जुनैद, श्रीनगर की जामा मस्जिद के बाहर तैनात डीएसपी मोहम्मद अयूब पंडित बुलंदशहर में इंस्पेक्टर सुबोध कुमार ये वो घटनाएं थी जो सुर्खियां बनी.
NCRB के आंकड़े

ज्ञात हो कि वर्ष 2015 के बाद से NCRB ने लिंचिंग के मामलों से संबंधित आँकड़े जारी नहीं किए हैं। इस मामले में NCRB का कहना था कि मॉब लिंचिंग को लेकर राज्यों द्वारा जो आँकड़े प्रस्तुत किये गए वे हैरान करने वाले थे। हालाँकि मॉब लिंचिंग को लेकर कई संस्थाओं ने आकंड़े जारी किए हैं वो चौंकाने वाले हैं। वर्ष 2018 में सर्वोच्च न्यायालय ने लिंचिंग को 'भीड़तंत्र के एक भयावह कृत्य' के रूप में संबोधित करते हुए केंद्र सरकार व राज्य सरकारों को कानून बनाने के दिशा-निर्देश दिये थे। इसके बावजूद विभिन्न राज्यों ने इस ओर ध्यान नहीं दिया है और लिंचिंग की घटनाएँ लगातार बढ़ती जा रही हैं।

क्या कहता है कानून
भारतीय दंड संहिता (IPC) में लिंचिंग जैसी घटनाओं के विरुद्ध कार्रवाई को लेकर किसी तरह का स्पष्ट उल्लेख नहीं है और इन्हें धारा- 302 (हत्या), 307 (हत्या का प्रयास), 323 (जान बूझकर घायल करना), 147-148 (दंगा-फसाद), 149 (आज्ञा के विरुद्ध इकट्ठे होना) तथा धारा- 34 (सामान्य आशय) के तहत ही निपटाया जाता है।

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